
कोयला संकट या मुनाफाखोरी -एसईसीएल कंपनी को कोयले ईआक्सन में मिले करोड़ो रूपये,लेकिन कोल व्यवसायी को नही मिल रहा है कोयला का डीओ लेटर
बिलासपुर-इन दिनों पूरे देश मे कोयला की कमी को लेकर बवाल मचा हुआ।जिसको लेकर देश की कोल विभाग से यह दावा किया जा रहा है कि कोयले की कोई कमी नही है और इसको लेकर केंद्र में बैठी मोदी सरकार के केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी छत्तीसगढ़ प्रवास में यह बात बोली थी कि कोयले का कोई संकट नही है।और भरपूर मात्रा में कोयला का भंडारण है।इनकी बातों को गौर करे तो देश मे कोयला का संकट नही है और पर्याप्त मात्रा में कोयला है।लेकिन वही दूसरे तरफ जमीनी हकीकत कुछ और बया कर रही है।और गौर करे तो यह स्पष्ट हो जाता है कि देश मे कैसे कोयला संकट एक विकराल समस्या ले रही है।इस समस्या को विकराल रूप देने में कोयले कंपनी का हाथ ऐसा कहा जा सकता।क्योंकि आज हम उन बातों को सामने रख रहे है जिसमे यह सपष्ट हो जाएगा कि एसईसीएल कंपनी कैसे कोयले के संकट में अपनी बखूभी भूमिका निभा रहा है।इस संकट से उबारने के बजाय कैसे कोयले के संकट को एक समस्या का रुप दिया जा रहा है।अभी बीते माह की 25 जनवरी को सात लाख अट्ठत्तर हजार टन के करीब कोयला का ई आक्सन हुआ था।जिसमें 444 पार्टियां शामिल होकर कोयला की खरीदारी की थी।इन सभी लोगो से एसईसीएल ने सात लाख अट्ठत्तर टन का मूल्य टैक्स सहित लगभग 5 सौ करोड़ रुपये टैक्स सहित जमा करा लिया गया।लेकिन अभी तक इनको कोयला उपलब्ध नही कराया गया।जबकि यह पहली बार हो रहा है,इनके साथ।कोयला का डीओ नही मिलने से इसमे से बहुत से लोगो का कहना का ही एसईसीएल ने ईआक्सन के दो से तीन बाद ही हमसे हमारे द्वारा आक्सन में जो कोयला लिया गया है,उसका भुगतान करा लिया गया है।लेकिन आज पर्यंत तक कोयला एसईसीएल उपलब्ध नही करा पाया है।इस विषय मे एसईसीएल के अधिकारी कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे है।जबकि अभी फरवरी माह में कोयले को लेकर युवक कांग्रेस के कार्यकर्ता और पदाधिकारी एसईसीएल का घेराव कर नान सेक्टर क्षेत्र के लोगो को कोयला पूर्ति के लिए ज्ञापन सौंपा गया था।लेकिन उसके बाद भी एसईसीएल कंपनी ने इस और कोई ध्यान नही दिया गया।
जानकारों का कहना है कि कोयला देश की अर्थव्यवस्था में एक अहम योगदान रहता है।जिसके कारण देश की अर्थव्यवस्था और सशक्त और मजबूत होती है।लेकिन कोयले के संकट से देश की अर्थव्यवस्था को तगड़ी मार झेलनी पड़ सकती है।यदि ऐसी स्थिति रही तो आने वाले समय मे महंगाई और चरम पर पहुँच जायेगी।
काला बाजारी में इजाफा
कोयले संकट की समस्या से कोयला का काम करने वाले लोगो की चांदी हो गई।कोयला का भंडारण कर जमाखोरी कर मूल्य में बढ़ोतरी कर मोटी रकम वसूल कर रहे है।जहाँ पर कोयले की कीमत दो हजार से लेकर अधिकतम तीन हजार रुपये टैक्स सहित रहती थी।लेकिन वही आज कोयले के संकट में इनकी कीमत आज सात हजार रुपये से अधिक बाजार में बताई जा रही है।यदि समय पर एसईसीएल कोयला का डीओ लेटर जारी नही करती है तो आने वाले समय मे और कोयले के मूल्य में इसका इजाफा देखा जा सकता।
बेरोजगारी और गरीबी
कोयले के संकट को दूर नही किया गया तो कोयले की कालाबाजारी करने वाले महंगे दर पर कोयले को बेचने में कोई गुरेज नही करँगे और नतीजा यह होगा कि कोयले से जुड़े छोटे कल कारखाने बन्द होने के कगार में पहुँच जायँगे।जिसके बाद देश मे बेरोजगारी और गरीबी का स्तर भी बढ़ा हुआ मिलेगा।
मूल्य में बढ़ोतरी
कोयले की कालाबाजारी करने वाले इस संकट का पूरा फायदा उठाते हुए,कोयला को ऊंचे दामो में बेच कर अपनी जेब भरने में कोई कसर नही छोड़ रहे जिसके कारण बाजार में कोयले के भरोसे और उससे जुड़े बड़े कारखानो में उत्पादन हुए सामानों में के मूल्यों में वॄद्धि देखी जा सकती है।
ब्याज की मार
कोयले के इस संकट से बाजार में कोयले आपूर्ति नही होने से छोटे और कई बड़े व्यवसायी को बैंक और प्राइवेट सेक्टर से रकम में ब्याज की मार भी झेलनी पड़ रही है।
यदि जल्द ही कोयले को लेकर एसईसीएल कंपनी कोई ठोस पहल नही करती तो आने वाले समय मे महंगाई और बेरोजगारी जैसे कई गंभीर समस्या देखी जा सकती है।
इस मामले में एसईसीएल के जीएम सेल्स अधिकारी से फोन में चर्चा करने पर प्रोसेस का हवाला देकर बचते नजर आए और इस मामले में पीआरओ से बात करने की बात कही।
जबकि एसईसीएल के जनसंपर्क अधिकारी सनिष चंद्र ने बयान जारी करते हुए कहा कि
“अवगत कराना चाहेंगे कि उक्त ऑक्शन से सम्बंधित प्रक्रिया अभी जारी है , प्रकरण प्रोसेस में है “
डॉ सनीश चन्द्र
जनसम्पर्क अधिकारी
एसईसीएल
एसईसीएल के अधिकारियों के बयान आने से ये जो प्रोसेस का हवाला दे रहे है उससे तो कोई समाधान तो नजर नही आता लेकिन यह बात तो सपष्ट होती है कि कोयले के इस खेल में एसईसीएल को अच्छा खासा फायदा होते दिख रहा है।क्योंकि जहाँ तक इनकी प्रक्रिया है उस प्रक्रिया में कोयले की कमी तो बाजार में दिखने लगी है और ई आक्सन में जैसे पहले अलग अलग खदानों में जो दर निर्धारित की जा जाती थी वह बहुत कम होती थी।लेकिन आज स्थिति यह कि एसईसीएल कोयले की ई आक्सन में काफी इजाफा हुआ।पहले कम दर में बड़ी आसानी से कोयले को खरीद लिया जाता था।लेकिन इस बार प्रति टन 6000 रुपये मे बोली गेवरा खदान की बन्द हुई।जिससे आप सहज अंदाजा लगा सकते है कोल कंपनी को कितना मुनाफा हो रहा है।जबकि एसईसीएल ने लगभग अपनी सभी खदानों के कोयले की इआक्सन में शामिल किया था।जिसमे अलग अलग दर से बड़ी हुई कीमतों में बोली लगकर बन्द हुई।
इस पूरे मामले को अगर बारीकी से समझा जाये तो कही न कही कोयले का बड़ा खेल किया जा रहा है।इस मामले को देश के प्रधानमंत्री व कोयला मंत्री को संज्ञान में लेने की आवश्यकता है।इसके साथ ही इस मामले की सीबीआई जांच करवाई जानी चाहिए।अगर इस मामले की जांच होती है तो एक बड़ा मामला सामने आएगा।काले हीरे का कैसा खेल छत्तीसगढ़ के एसईसीएल में चल रहा है।