न्यायधानी बना अपराधियों का गढ़ नशाखोरी से बढ़ रही है शहर में अपराध की वारदाते- पूर्वमंत्री अमर अग्रवाल

बिलासपुरअमर अग्रवाल ने कहा दोयम दर्जे की हो गई पुलिसिंग तो आम आदमी कैसे होगा सुरक्षित, अपराधियों के मन मे पुलिस का कोई खौफ नही,अपराध निवारण के लिए सजग एवम सक्रिय तंत्र का नितांत अभाव,नशाखोरी से बढ़ रही है शहर में अपराध की वारदाते।न्यायधानी में बढ़ते अपराध, चाकूबाजी की घटना और नशे के कारोबार को लेकर पूर्वमंत्री अमर अग्रवाल ने चिंता जाहिर करते हुए कहा हैं की शहर में कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गयी है अपराध बढ़ रहे है। जगह जगह नशे का सामान बिक रहा है, चाकूबाजी की घटनाएं हो रही है, जमीनों में कब्जे हो रहे है। इसके लिए पूरी तरह कांग्रेस की सरकार की ढुलमुल नीति जिम्मेवार है। बिलासपुर सहित पूरे प्रदेश में कांग्रेस राज में अपराधियों को संरक्षण देने का काम बखूबी किया जा रहा है। सत्ता संरक्षण में अपराध बढ़ रहा है। अपराध रोकने के लिए सजग व सक्रिय तंत्र का अभाव है। ऐसे में सवाल उठता है कि न्यायधानी में ही पुलिसिंग दोयम दर्जे की हो गई हो तो आम आदमी भला कैसे सुरक्षित महसूस करेगा शहर में अपराधियों के हौंसले इतने बुलंद है कि पुलिस का खौफ भी इनके मन मे नही रहा।

पूर्वमंत्री अमर अग्रवाल ने सोमवार को शहर के बिगड़ती कानून व्यवस्था पर प्रेस कांफ्रेंस की। पत्रकारों से चर्चा करते हुए शासन प्रशासन पर के गंभीर आरोप लगाए, उन्होंने कहा कि सत्ताधारी दल के नेताओ के बीच बढ़ती गुटबाजी और आपसी प्रतिस्पर्धा से अपराधियों को संरक्षण देने की प्रवृत्ति के कारण ही शांत शहर अपराधियों का गढ़ बन गया है। शहरवासियों के मन मे असुरक्षा की भावना घर कर गई है। शहर में एक दिन भी ऐसा नही निकलता जब चोरी, लूट, हत्या और दुष्कर्म से लेकर चाकूबाजी की घटनाएं ना हो।

अमर अग्रवाल ने कहा सरकारी जमीन के दस्तावेज बदलने वाले दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है। मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद भी माफिया अब भी रेत का उत्खनन और परिवहन कर रहे हैं। सीएम के शहर प्रवास के दौरान तालापारा में एक युवक चाकू मारकर हत्या कर दी जाती है। जिला एवं पुलिस प्रशासन की नाक के नीचे न्यायधानी बिलासपुर में लगातार बिगड़ती कानून व्यवस्था लूट, गुंडागर्दी, डकैती, हत्या, छेड़छाड़, बलात्कार, वसूली, कब्जा आदि घटनाओं से बिलासपुर जैसे शांत शहर में नागरिक जीवन असुरक्षित हो गया है। लोकल पुलिस केवल छोटे मोटे अपराधी, चोरों को पकड़ने तक की सीमित है। शहर में जब भी कोई बड़ी घटना होती है हर बार मुख्यालय से पृथक टीम आकर जांच करती है। आर्म्स एक्ट, अपराधिक षड़यंत्र, शासकीय कार्य में बाधा, गाली- गलौज, हत्या प्रयास की धारा के तहत अपराध, कूट रचना, बलवा, ठगी, धमकी आदि आम बात हो गई है।

सीएम, गृहमंत्री को बढ़ते अपराध पर नकेल कसने की जरूरत–
पूर्व मंत्री अमर अग्रवालने कहा की दो साल पूर्व दायर जनहित याचिका पर माननीय उच्च न्यायालय ने न्यायधानी की पुलिसिंग पर सख्त टिप्पणी की थी, जवाब में सरकार ने चुनाव में व्यस्तता का हवाला दिया था। आज हालात और बदत्तर हो गए है, नशे की आड़ में अपराध का कारोबार न्याय धानी को जकड़ते जा रहा है, जो कि पुलिस प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू को संज्ञान लेकर महानगर का स्वरूप ले रहे न्यायधानी बिलासपुर सहित पूरे प्रदेश में बढ़ते अपराध पर नकेल कसनी चाहिये।

पुलिस पर हो रहे हमले, वर्दी भी सुरक्षित नही…
पूर्वमंत्री ने बताया कि अपराधियों के हौसले इस हद तक बुलंद हो गए हैं कि पुलिस, पत्रकार और अधिकारी भी सुरक्षित नहीं है। कुछ माह पहले एक बार में बाउंसर की दो महिला डीएसपी के साथ झड़प और दुर्व्यवहार की घटना हुई थी, ग्राम घुटकू में कांस्टेबल एम जायसवाल पर हमला हुआ, पचपेड़ी क्षेत्र के घोराडीह में जुआ पकड़ने गए हेड कांस्टेबल कुर्रे, सिपाही पर हमला हुआ,सकरी थाना के कांस्टेबल हमला हुआ। मस्तूरी थाने के कांस्टेबल को उन्ही काडंडा छीनकर पीटा गया। तखतपुर थाना क्षेत्र के जूनापुर चौकी में कांस्टेबल पर हमला हुआ, उनकी वर्दी फाड़ दी गई। शिक्षक कॉलोनी में हेड कांस्टेबल धनेष साहू से मारपीट हुई, विगत दिवस मल्हार चौकी प्रभारी गोस्वामी अवैध शराब धरपकड़ में हमले का शिकार हो गए है। प्रमुख अखबार के पत्रकार को धमकी दी गई, कई कलमवीरो पर भ्रष्ट तंत्र के नुमाइंदे द्वारा ब्लैकमेलिंग आरोप लगा कर फर्जी शिकायत और मुकदमा बाजीकराई जा रही है। श्री अग्रवाल ने कहा लगातार बढ़ रही अपराधिक घटनाएं गंभीर विषय है. दिनदहाड़े चाकूबाजी और हत्या की घटनाएं देखने को मिलती है. छोटे-छोटे बच्चे नाबालिग पॉकेट में चाकू लेकर घूम रहे हैं. न्यायधानी की पुलिस पर ही बार मे हमला हो जाता है, शराबियों को पकड़ने गई पुलिस पर हमला हो जाता है, जब न्यायधानी में इस तरह की कानून व्यवस्था होगी तो प्रदेश का क्या हाल होगा?

तेजी से बढ़ रहे ठगी के मामले–
कतिपय मीडिया रिपोर्ट्स पर गौर करे तो मालूम होगा कि ऑनलाइन ठगी, एटीएम आधारित अपराध, फर्जी लॉटरी के आधार पर बैंक खाता से पैसों की लूट, साइबर बेस्ड ठगी व धोखाधड़ी के मामले तेजी से बढ़ रहे है, जिसमे पुलिस केवल आंकड़े गिनाने में लगी होती है, जन जागरूकता की मुहिम के साथ साइबर क्राइम को अंजाम देने वाले गिरोहो का खुलासा जरूरी है। पिछले तीन सालों में 700 से ज्यादा मामले घटित होना पाया गया।

नशे का कारोबार, प्रशासन के लिए दोहरी चुनौती
नशे में बेसुध होकर चाकूबाजी का घटनाक्रम तो फैशनट्रेंड हो गया है, जारी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पिछले 7 माह में 100 से अधिक चाकूबाजी के मामले बिलासपुर एवम आसपास के कस्बो में दर्ज हुए, जिनमे कई को जान भी गवानी पडी, ऐसे मामलों में 90 से अधिक केस शराब या अन्य कोई नशा करने के बाद हमला करने के निकले। पिछले दिनों एसबीआर कॉलेज के सामने सतीश तिवारी पर जानलेवा हमला, सकरी और देवरीखुर्द में हुए घटनाक्रम एवम अन्य मामलों में छोटी-छोटी बातों पर नशे की हालत में एक दूसरे पर जानलेवा हमला जीवन का संकट बन गया। साफ़ है अवैध शराब के कारोबार, नशे के सौदागरों की गुलजार हो रही दुकानों से बिलासपुर में खतरनाक वारदातें हो रही हैं, जो प्रशासन के लिए दोहरी चुनौती है।

अमर अग्रवाल ने कहा सरकंडा और शनिचरी में नदी किनारे के इलाके, रिंग रोड, गौरव पथ, श्रीकांत वर्मा मार्ग, व्यापार विहार, और तारबाहर के रेलवे लाइन के किनारे का एरिया, पुराना बस स्टैंड, मुंगेली नाका, उसलापुर और सकरी, हिर्री, बिल्हा चकरभाठा मार्ग, कोनी, सेंदरी इलाके में शाम होते ही नशे के कारोबारियों का मेला लगने लगता है। तरह तरह के लोग आसपास के रिहायशी इलाकों में उत्पात मचाते हुए दिखाई देते हैं, सीसीटीवी और गस्त सिस्टम की खानापूर्ति से अपराधी आराम से घटना को अंजाम देकर निकल जाते हैं। सामुदायिक भागीदारी से शहर की पुलिस का शहर की कानून व्यवस्था को सुधारने की कोई प्रयास दिखाई नहीं पड़ता। पुलिस घटना होने के बाद लकीर पीटने का काम करने में लगी हुई है, आपराधिक क्षेत्रों को चिन्हित करके अपराधों पर रोकथाम के लिए पुलिस की तैयारी केवल बयानों तक सीमित दिखाई पड़ती है। शहर के साथ पूरे जिले में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई हैं। पुलिस का अपराधियों में खौफ होना चाहिए, आम नागरिकों के प्रति पुलिस को समुदाय का रक्षक होने की भूमिका कायम रखनी होगी।

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