न्यायालय में प्रकरण लंबित होने व आवेदिका और अनावेदक दोनों पर एफआईआर दर्ज होने पर प्रकरण नस्तीबद्ध…….पति-पत्नी के बीच तीन साल से बातचीत न होने पर तलाक लेना बेहतर : डॉ. किरणमयी नायक…..सुनवाई में 37 प्रकरण में 18 प्रकरण नस्तीबद्ध

बिलासपुर–छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य अर्चना उपाध्याय ने मंगलवार को प्रार्थना भवन जल संसाधन विभाग बिलासपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में 227 वीं व जिला स्तर पर 14 वीं सुनवाई हुई। बिलासपुर में आयोजित जनसुनवाई में आज कुल 37 प्रकरणों में सुनवाई की गई।

सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका कोई कार्यवाही नहीं चाहती है इसलिए प्रकरण प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। एक अन्य प्रकरण में दोनो पक्षों को सुना गया, जिसमें मामला नजूल विभाग में भूमि कब्जे का विवाद न्यायालय में लंबित होने के कारण नस्तीबद्ध किया गया। इसी प्रकार एक प्रकरण में दोनो पक्ष को विस्तार से सुने जाने के दौरान ही आवेदिका ने बताया कि सिविल लाईन थाना बिलासपुर में आवेदिका की रिपोर्ट प्रकरण अनावेदकगणों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कर लिया गया है और अनावेदक पक्ष के रिपोर्ट पर आवेदिका और उनके पुत्री के विरूद्ध भी एफआईआर दर्ज हो चुका है। ऐसी स्थिति में प्रकरण को आगे चलाने का कोई औचित्य नहीं है। अतः प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। अन्य प्रकरण में दोनो पक्षों को सुना गया, आवेदिका कथन है कि अनावेदक ने 2017 में 03 तलाक दिया था। अनावेदक का कथन है कि उन्होंने 03 तलाक नहीं दिया है। दोनो पक्षों के बीच प्रकरण न्यायालय में लंबित है। इसलिए प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।
इसी प्रकार एक प्रकरण में अनावेदक पहले से शादीशुदा हैं यह जानते हुए भी आवेदिका अनावेदक के साथ अवैध रिश्ते में रहने के कारण प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। अन्य प्रकरण में आवेदिका उपस्थित अनावेदक के अनुपस्थिति पर उनके अधिवक्ता द्वारा आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया है। आवेदिका द्वारा अपने प्रकरण रायपुर अगली सुनवाई में रखने के लिए अनुरोध किया गया है। अनावेदक को उनके अधिवक्ता के माध्यम से दिनांक 05.10.2023 को उपस्थित होने की सूचना दिया जाता है, यदि अनावेदक अनुपस्थित रहते हैं तो उनके खिलाफ कार्यवाही की जावेगी। अन्य प्रकरण में पति पत्नि एक साथ एक ही घर में रह रहे हैं और दोनो के बीच पिछले 03 साल से बातचीत बन्द है। इस प्रकरण की कॉपी संरक्षण अधिकारी को दी गई ताकि दोनो के बीच काउसलिंग कराया जा सके। काउंसलिंग के बाद भी दोनो के बीच समझौता नहीं होने की स्थिति में तलाक प्रक्रिया की कार्यवाही की जा सकेगी।
अधिकांश मामलों में आवेदिकाओं ने अपना प्रकरण इसलिए वापस ले लिया कि उनकी समस्याओं का समाधान आयोग में सुनवाई के पहले ही हो गया। आयोग की नोटिस मिलने के बाद तत्काल अनावेदकगण आवेदिका से समझौता कर रहे हैं, यह आयोग की सबसे बड़ी उपलब्धि है।

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