
अपनी ड्यूटी को गए भूल…..नींद के आगे सब गुल…..बजती रही घंटी….उपभोक्ता होते रहे परेशान….सुनने वाला कोई नहीं…. कौन तय करेगा जवाबदेही….?ट्रिपल इंजन की सरकार में…..
पावर हब से पावर कट तक: बिलासपुर की बिजली व्यवस्था सवालों के घेरे में, कब जागेगा बिजली तंत्र?
बिलासपुर– एक समय छत्तीसगढ़ की पहचान पावर हब के रूप में होती थी, लेकिन आज वही पहचान बिजली संकट और बदहाल व्यवस्था की वजह से धुंधली पड़ती जा रही है। राज्य की न्यायधानी बिलासपुर सहित आस-पास के इलाकों में इन दिनों लगातार हो रही विद्युत कटौती और अनियमित आपूर्ति ने आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। इस पूरे मामले में सबसे चिंता की बात यह है कि विद्युत विभाग के आला अधिकारियों और कर्मचारियों का रवैया बेहद लापरवाह और उदासीन नजर आ रहा है, जिससे उपभोक्ताओं में भारी नाराजगी और आक्रोश व्याप्त है।
बिलासपुर के कई इलाकों में बिना किसी पूर्व सूचना के घंटों बिजली गुल हो जाती है। गर्मी के इस भीषण मौसम में, जब तापमान 40 डिग्री के पार पहुंच चुका है, तब इस तरह की बिजली कटौती लोगों के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है। घरेलू उपभोक्ता हों या व्यापारी वर्ग, सभी इससे परेशान हैं। बच्चों की पढ़ाई से लेकर घर के जरूरी काम, दुकानों का संचालन और अस्पतालों की सेवाएं – सब कुछ प्रभावित हो रहा है।
सबसे बड़ी विडंबना यह है कि जब उपभोक्ता अपनी शिकायत लेकर बिजली विभाग के कॉल सेंटर या शिकायत केंद्रों पर संपर्क करते हैं, तो वहां से उन्हें कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिलता। शिकायतों पर कार्रवाई तो दूर, कॉल उठाना भी जरूरी नहीं समझा जाता। यह लापरवाही न सिर्फ उपभोक्ताओं की समस्याओं को बढ़ा रही है, बल्कि विभाग की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रही है।
इस बीच हाल ही में एक और हैरान करने वाला दृश्य देखने को मिला। राजकिशोर नगर स्थित बिजली कार्यालय में विभाग के कर्मचारी रात के समय ऑफिस के भीतर कूलर की हवा में चैन की नींद सोते हुए पाए गए। इस पूरी घटना का वीडियो किसी स्थानीय व्यक्ति ने रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर डाल दिया, जो देखते ही देखते वायरल हो गया। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि जहां एक ओर आम जनता बिजली की समस्या से त्रस्त है, वहीं जिम्मेदार कर्मचारी पूरी बेफिक्री के साथ नींद के मजे ले रहे हैं। इससे उपभोक्ताओं का गुस्सा और भी भड़क गया है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि पहले जहां मामूली फॉल्ट पर भी विभाग के कर्मचारी तुरंत मौके पर पहुंचते थे, वहीं अब घंटों तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती। कई बार शिकायतें दर्ज कराने के बावजूद कोई कर्मचारी नहीं आता, और जब आता भी है तो समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो पाता। ऐसा प्रतीत होता है जैसे विभाग की प्राथमिकता में उपभोक्ता कहीं नहीं हैं।
बिजली विभाग की इस सुस्त और गैर-जवाबदेह व्यवस्था ने पूरे शहर को अंधेरे में धकेल दिया है – न केवल वास्तविक अर्थों में, बल्कि विकास की संभावनाओं के लिहाज से भी। बिलासपुर जैसे उभरते शहर में यह स्थिति बेहद शर्मनाक और चिंता जनक है। शासन-प्रशासन को चाहिए कि वह इस मुद्दे को गंभीरता से ले और बिजली विभाग की जवाबदेही तय करे। समय रहते अगर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह असंतोष एक बड़े जन आंदोलन का रूप ले सकता है।
यह समय है कि विभाग केवल आंकड़ों की बाजीगरी छोड़कर जमीन पर वास्तविक सुधार लाए, ताकि छत्तीसगढ़ की पावर हब वाली पहचान फिर से लौट सके और नागरिकों को राहत मिल सके।