हाईटेक नकल कांड – “मुन्नी बहन” ने खोली सिस्टम की पोल…. कॉलर कैमरा और वॉकी-टॉकी से चल रही थी परीक्षा…

बिलासपुर– छत्तीसगढ़ में एक बार फिर पीडब्ल्यूडी सिविल इंजीनियरिंग परीक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल उठे हैं। इस बार मामला किसी मामूली नकल का नहीं, बल्कि हाईटेक टेक्नोलॉजी से लैस “मुन्नी बहन ऑपरेशन” का है, जिसने प्रशासन और परीक्षा निगरानी तंत्र – दोनों की पोल खोल दी है।

बिलासपुर के राम दुलारे स्कूल में आयोजित PWD सिविल इंजीनियरिंग की परीक्षा के दौरान एक महिला परीक्षार्थी हाईटेक जासूसों की तरह नकल करते पकड़ी गई। उसके कॉलर में था माइक्रो कैमरा, कान में ईयरपीस और जेब में वॉकी-टॉकी! जैसे ही उसने प्रश्न पत्र स्कैन कर कैमरे के जरिए बाहर भेजा, बाहर खड़े उसके साथी ने उत्तर भेजना शुरू कर दिया — बिल्कुल किसी जासूसी फिल्म की तरह!

NSUI ने खोली पोल, पुलिस ने जब्त किया “ऑटो कंट्रोल रूम”

इस हाईटेक चीटिंग रैकेट की भनक जब NSUI के कार्यकर्ताओं को लगी, तो उन्होंने परीक्षा केंद्र पर पहुंचकर महिला परीक्षार्थी को रंगे हाथ पकड़ लिया। महिला के पास से अत्याधुनिक डिवाइस जब्त किए गए, वहीं परीक्षा केंद्र के बाहर खड़ा एक ऑटो मिला जो असल में ‘मोबाइल कंट्रोल रूम’ की तरह काम कर रहा था।

NSUI ने तुरंत पुलिस और परीक्षा निगरानी टीम को सूचना दी। पुलिस ने महिला परीक्षार्थी, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और ऑटो को हिरासत में लेकर जांच शुरू कर दी है।

मुन्नी बहन” सोशल मीडिया पर वायरल

घटना के सामने आते ही सोशल मीडिया पर यह महिला परीक्षार्थी “मुन्नी बहन” के नाम से वायरल हो गई है। लोग इसे “मुन्ना भाई एमबीबीएस” के महिला संस्करण के तौर पर देख रहे हैं, लेकिन यहां मजाक कम और चिंता ज़्यादा है – कि आखिर इस तरह की घटनाएं परीक्षा प्रणाली की साख को कितनी बुरी तरह नुकसान पहुंचा रही हैं।

राजनीति में गरमाहट: बघेल का वार, ‘तावड़े की पाठशाला’ का जिक्र

घटना के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा:

“*शिक्षा सुधार के नाम पर सत्ता में आई भाजपा सरकार अब खुद नकल माफिया के आगे घुटने टेक चुकी है। क्या छत्तीसगढ़ अब ‘तावड़े की पाठशाला’ बनने जा रहा है?*

यहां ‘तावड़े की पाठशाला’ कहकर उन्होंने महाराष्ट्र के एक चर्चित शिक्षा घोटाले की ओर इशारा किया, जहां तत्कालीन शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े के कार्यकाल में बड़ा नकल घोटाला सामने आया था।

क्या है आगे की जांच का रुख?

पुलिस सूत्रों की मानें तो यह कोई अकेली घटना नहीं है। जिस तरह से तकनीकी गैजेट्स का इस्तेमाल हुआ, वह किसी संगठित नकल गिरोह के होने की ओर इशारा करता है।
अब इस पूरे गिरोह के नेटवर्क की तलाश की जा रही है – कौन लोग शामिल हैं, कहां से गैजेट्स आए, कितने छात्रों को अब तक पास कराया गया, और कहीं विभागीय मिलीभगत तो नहीं?

अब क्या?

* मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई है।
* परीक्षा केंद्रों की सुरक्षा व्यवस्था पर पुनर्विचार की मांग तेज हो गई है।
* शिक्षा विभाग तकनीकी नकल से निपटने के लिए नई रणनीति तैयार कर रहा है।

इस घटना ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि नकल माफिया अब सिर्फ पर्चियों तक सीमित नहीं रहा – वह टेक्नोलॉजी को हथियार बना चुका है। अब देखना होगा कि सरकार और सिस्टम इस हाईटेक धोखाधड़ी के सामने कितनी मजबूती से खड़ा हो पाता है।

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