महुआ शराब कांड–आंखों की रोशनी गंवाने और जानें जाने के बाद भी नहीं मिला मुआवजा…. पीड़ित परिवारों की सरकार से गुहार……बेबस और लाचारी की जिंदगी जीने को मजबूर पीड़ित…..इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं…..मुआवजे का इंतजार जारी ‘जिंदगी बचाने बेची जमीन’ – जहरीली महुआ कांड के पीड़ितों की मार्मिक कहानी……

बिलासपुर–छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर के एक गांव में कथित रूप से ज़हरीली महुआ शराब पीने से कई परिवारों की जिंदगी उजड़ गई है।तो आज भी कई ऐसे परिवार है भी जो रोज मर कर जी रहे है।लेकिन इनकी सुध तक लेने वाला कोई नहीं है।एक तरफ जहां प्रदेश में।बैठी साय सरकार सुशासन तिहार के तीसरे चरण का आगाज कर छत्तीसगढ़ की जनता की समस्याओं का समाधान करने के स्वयं मुख्यमंत्री अलग अलग क्षेत्र में पहुंच रहे तो वहीं बिलासपुर जिले का जिला प्रशासन सुप्त अवस्था में नजर आ रहा है।इस घटना में अब तक 9 लोगों की मौत और बीमार हुए तीन लोगों ने अपनी आंखों की रोशनी गंवा दी है। पीड़ित परिवार इलाज के लिए अपनी जमीन और मकान तक बेचने को मजबूर हैं।लेकिन सरकारी सहायता अब तक इनको नहीं मिल पाई है।जिसके लिए आज भी वह इसी इंतजार और आस में है कि सरकार की तरफ से उनको मदद मिल सके।

तीन माह पूर्व निकाय चुनाव के समय कोनी थाना क्षेत्र के अंतर्गत लोफंदी गांव में जहरीली शराब पीने से आठ से नौ लोगों की मौत और कई गंभीर रूप से घायल होने का मामला सामने आया था।जहां इस घटना के बाद जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन सहित प्रदेश की साय सरकार में हड़कंप मच गया था। आनन फानन में जिला प्रशासन की टीम ने मोर्चा संभालते हुए स्थिती को नियंत्रण करने जुटी रही।वही जहरीली शराब के सेवन से गंभीर रूप से बीमार ग्रामीणों का सिम्स में उपचार कराया गया।जहां इनकी हालात में सुधार होने पर इनको छुट्टी दे दी गई। तीन महीनों के बाद भी इनके स्वास्थ में कोई सुधार नहीं हुआ बल्कि ये सभी अब जिंदा लाश बनकर रह गए।

आपको बताते चले कि हमारी टीम मंगलवार को इस गांव में बीमार हुए लोगों की स्थिति को जानने पहुंचे तो जो बात निकलकर सामने आई उसको देखने और सुनने के बाद पैर तले जमीन खिसक गई।इस घटना ने बीमार ग्रामीणों और उनके परिवार वालों का बुरा हाल है।एक एक पैसे को मोहताज और बेबस लाचारी भरे इस संकट के समय में यह असहाय स्थिति में अपने जीवन को जी रहे है। पीड़ितों की हालत को देखने के बाद जिला प्रशासन और स्वास्थ विभाग के द्वारा लीपापोती कर पूरे मामले को दबाने का भरसक प्रयास किया गया।यह कहना गलत नहीं होगा।

पीड़ित अंजनी पटेल के परिजनों का कहना है कि इलाज के खर्च के चलते उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। अंजनी ने बताया, “महुआ दारू पीने के बाद मेरी आंखों की रोशनी चली गई। अब खाना खाने में भी कठिनाई होती है। यदि सरकार से कोई मुआवजा मिले, तो आगे की जिंदगी किसी तरह गुजर सकती है।

वहीं, दूसरे पीड़ित देवांगन ने बताया कि गांव में ही उन्होंने महुआ दारू का सेवन किया था, जिसके बाद उन्हें गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा। “कई महीनों तक अस्पताल में भर्ती रहा, लेकिन हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। अब किसी काम लायक नहीं बचा हूं। सरकार से अपील है कि किसी प्रकार की मदद दी जाए ताकि जीवन को फिर से पटरी पर लाया जा सके।

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस दर्दनाक घटना के बाद न तो कोई जनप्रतिनिधि यहां पहुंचे नही कोई अधिकारी हालचाल पूछने आया, और न ही किसी प्रकार की सहायता मुहैया कराई गई है। पीड़ित परिवारों ने सरकार से तत्काल आर्थिक मुआवजा और पुनर्वास की मांग की है।

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