ठंडे कमरे से बिलासपुर की तपती जमीन पर जनाधार तलाश रही एनसीपी,आम जन के मुद्दों से नहीं कोई सरोकार

बिलासपुर- महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस के साथ एलायंस में सरकार चला रही एनसीपी को सालों से छत्तीसगढ़ में राजनीति का अवसर नजर आता रहा है इसलिए समय-समय पर ठीक चुनाव से पहले एनसीपी द्वारा छत्तीसगढ़ के मुद्दों पर मुखर होकर नेताओं को सड़क पर उतरते भी हमने देखा है इतना ही नहीं एनसीपी छत्तीसगढ़ विधानसभा में खाता भी चुकी है। लेकिन एक बार फिर चुनाव से 2 साल पहले एनसीपी नजर तो आ रही है लेकिन सिर्फ कागजों पर इनके नेता कागजी शेर बनकर दहाड़ रहे हैं। छत्तीसगढ़ के दूसरे सबसे बड़े शहर न्यायधानी बिलासपुर की बात करें तो यहां भी पिछले कुछ समय में एनसीपी की सुगबुगाहट दिखाई तो दी है लेकिन बिलासपुर की तपती सड़क पर जनाधार की तलाश एनसीपी के नेता करते नजर आ रहे हैं।

इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जहां महंगाई को लेकर और अन्य ज्वलनशील मुद्दों को लेकर कांग्रेस के नेता केंद्र सरकार और नगर निगम में अपने ही सत्ता के खिलाफ मुखर हो कर बोलने की हिम्मत दिखा रहे हैं तो वही अपनी मजबूत स्थिति का ख्वाब देखते एनसीपी के नेता अब तक जनता से जुड़े कोई भी मुद्दों को लेकर सड़क किया उनके बीच पहुंचते दिखाई नहीं दिए हैं आलम यह है कि बिलासपुर में एनसीपी का कोई ऑफिस नहीं है बल्कि एक निजी ऑफिस से पार्टी का संचालन किया जा रहा है।

हमने पिछले अंक में भी बताया था कि एनसीपी द्वारा आयोजित निजी होटल के कार्यक्रम में मुट्ठी भर कार्यकर्ता भी दिखाई नहीं दिए थे, लेकिन शायद इस मुद्दे पर भी एनसीपी का कोई भी नेता आगे आकर बोलने को तैयार नहीं है उनकी यह चुप्पी दर्शाती है कि शायद उन्हें भी पता है कि बिलासपुर की जमीनी हकीकत में उनकी क्या स्थिति है। छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में अभी 2 साल का समय और बाकी है और इसके लिए सत्ता पक्ष कांग्रेस और विपक्ष में बैठी भाजपा द्वारा तैयारियां भी शुरू कर ली गई है। लेकिन अब तक तीसरे मोर्चे के रूप में आम आदमी पार्टी और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी के बीच टक्कर नजर आ रही है अगर एनसीपी के नेता जल्द ही बिलासपुर की तपती सड़क पर जनाधार की तलाश में जनता के मुद्दे को लेकर नहीं उतरते तो शायद उनका मजबूत दावा सिर्फ दावा ही बनकर रह जाएगा ।।

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