एनजीटी व शासन के नियम सागर साहू पर कुर्बान, खानापूर्ति कर सौंप दिया बैरा रेत घाट/खनिज विभाग की कार्यशैली को लेकर उठ रहे सवालिया निशान

रितेश गुप्ता की रिपोर्ट

कोरबा – जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूर पोड़ी उपरोड़ा अंतर्गत बैरा रेत घाट के संचालक सागर साहू पर बेशक प्रशासन पूरी तरह मेहरबान है। सत्ता के संरक्षण में प्रशासन इसके समक्ष जहां नतमस्तक है वहीं खनिज विभाग ने भी एनजीटी और शासन के नियमों को इसके लिए कुर्बान कर दिया है।

पहले तो राजस्व विभाग के द्वारा खान एवं खनिज मैनुअल के नियम 15. प्रतिषेध के बिन्दू क्रमांक 1. में कहा है कि किसी शासकीय भूमि पर अनुमति नहीं दी जाएगी। बिंदु 3. में स्पष्ट निर्देश कि राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य मार्ग तथा नदी तट की सीमा के 100 मीटर के भीतर रेत भंडारण की अनुमति प्रदान नहीं की जाएगी, इस नियम का पूरा उल्लंघन कर सागर साहू के नाम से वर्ष 2026 तक के लिए बम्हनी नदी के रकबा में ही रेत भंडारण की अनुज्ञप्ति के लिए कार्यवाही की गई जिसके आधार पर नदी के रकबा में ही भंडारण लाइसेंस जारी कर दिया गया।

नियमत: तो सागर साहू को भंडारण की अनुमति पूर्णत: गलत नियम विरूद्ध व निरस्ती योग्य है।इसके बाद ठेकेदार के द्वारा मानव श्रम के अलावा जेसीबी व पोकलेन से जमकर रेत निकाली गई जो उसे प्राप्त क्षमता से कहीं ज्यादा थी।

खनिज विभाग ने इस पर भी नोटिस की खानापूर्ति कर ली। फिर रायल्टी पर्ची में पेंसिल से लिखकर- मिटाकर 4 से 5 बार उपयोग करने की शिकायत हुई जिसे भी लीपापोती कर दिया गया। इस सब के बीच 10 जून को नियमविरुध पोकलेन हाइवा लगाकर अवैध खनन का भंडारण किया गया था जिसमे भी लीपापोती करते हुए किसी प्रकार की कार्यवाही नही की गई थी !! इधर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी के द्वारा 15 जून से 15 अक्टूबर तक नदी से रेत खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया। इस अवधि में रेत घाट बन्द रखकर भंडारण की रेत बेचा जाना था। चूंकि सागर कुमार साहू को योजनाबद्ध तरीके से राजस्व, खनिज और प्रशासन के अधिकारियों द्वारा खनिज नियमो के विपरीत जाकर नदी घाट में ही भंडारण की अनुमति दी गई है जिसका उसने प्रतिबन्ध अवधि में भी बेजा लाभ उठाया। भंडारण से रेत बेचने के नाम पर यह बैरा बम्हनी नदी घाट बन्द नहीं किया गया। उसने भंडारण के साथ-साथ नदी खोदकर रेत बेचा। 10 जून के बाद भी लगातार रेत खोदकर अपने स्टॉक को बढ़ाया जो कि अब का भंडारण पूरी तरह अवैध और पूर्णतः खनिज की चोरी कहा जायेगा।

इसकी खबर पर महज दिखावे के लिए खनिज निरीक्षक उत्तम खूंटे द्वारा टीम भेजकर एक ट्रैक्टर पकड़कर महज दिखावा किया गया था अवैध रूप से भंडारित रेत पर कार्यवाही करने के लिए कलेक्टर को आवेदन भी दिया गया था ..किंतु उसने भी लीपापोती करते हुए आज तक कार्यवाही तो दूर जांच तक नही किया गया है !! विधिवत घाट को 15 अक्टूबर तक के लिए सील नहीं किया जबकि भंडारण में रेत खत्म हो चुकी थी और बेचने के लिए ज्यादा कुछ नहीं बचा था। 15 जून के बाद से लगातार खोदकर जमा की गई रेत पूरी तरह से अवैध ही है जो प्रतिबंध नियमों का उल्लंघन कर की गई है!!

इधर खनिज अधिकारी नाग यही कहते रहे कि खनिज इंस्पेक्टर से विस्तृत जानकारी लेकर बताता हूं और उधर वारा-न्यारा कर अपने कर्तव्य को खूंटी पर टांग दिया।। एक रेत ठेकेदार को बेजा लाभ पहुंचाने के लिए सत्ता से जुड़े लोग, खामोश विपक्ष, पुलिस और प्रशासन व खनिज महक़मा ने एनजीटी व शासन के बनाये नियमों को ताक पर रख दिया है।

पोड़ी उपरोड़ा बैरा बम्हनी नदी के अलावा पोडीकला बम्हनी नदी, दुल्लापुर हसदेव नदी, कर्री, पसान, बांगों आदि क्षेत्रों में भी सांठगांठ से रेत की चोरी करवाई जा रही है पर जितना भर्राशाही पूर्ण छूट बैरा रेत खदान एवम दुल्लापुर को दी जा रही है, वह अधिकारियों के लिए काबिले-तारीफ है। जिसकी चौकीदारी का उन्हें सरकार वेतन दे रही है, उसी को चोरी कर बेचने देने का इन्होंने बीड़ा उठा लिया है/अवैध को भी वैध बताने लगे हैं तो भला अंधेरे में रखे जा रहे शीर्ष अधिकारी, नेता, मंत्री भी क्या कर लेंगे?
शीर्ष अधिकारी भले ही नई पदस्थापना के बाद अवैध काम को बर्दाश्त नही करने का दम भरते हैं लेकिन कुछ दिन पुराना होते ही इस दम का भी सागर साहू एवम उसके उपर बैठ उसके आका , चाटुकार नेता जैसे ठेकेदार निकाल देते हैं। एक ठेकेदार को बेजा लाभ पहुंचाने के लिए पूरा तंत्र ही एनजीटी और खनिज नियमों के कटघरे में खड़ा हो गया है।

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