संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर भागवत कथा रूपी अमृत भी सुपात्र और अधिकारी श्रोता को ही प्राप्त होता है-आचार्य राजेन्द्र

तखतपुर टेकचंद कारड़ा
बिलासपुर,तखतपुर- संसार की माया बड़ी बलवती होती है , यह हमेशा पीछा ही करती रहती है।मनुष्य के साथ यह कहीं भी चली जाती है , मठ मंदिरों और तीर्थ स्थानों में भी इसलिए मन को हमेशा भगवान पर लगाना चाहिए मन बड़ा चंचल है और यही भगवान को सौंपना चाहिए।मन रूपी पात्र को सीधा और खाली करके रखने से ही भागवत कथा रूपी अमृत रस को पीकर मनुष्य अपने जीवन को कृतकृत्य कर सकता है। समुद्र मंथन का लक्ष्य अमृत प्राप्त करना था और इस बड़े कठिन कार्य को सिद्ध करने के लिए देवताओं और दानवों दोनों ने ही एक ही लक्ष्य से एक ही मुहूर्त पर एक समान बल भी लगाया था , किंतु अमृत केवल देवताओं को ही प्राप्त हुआ और दानवों को नहीं।

भागवत कथा रूपी अमृत भी सुपात्र और अधिकारी श्रोता को ही प्राप्त होता है जिनका मन भगवान पर ही केंद्रित होता है।कथा श्रवण करते समय सांसारिक माया पर नहीं।असुरों का मन तो मोहनी अर्थात माया के वशीभूत हो गया जिसके कारण पूर्ण प्रयास करने के बाद भी अमृत से वंचित रह गए हैं।और यही विषाद देवासुर संग्राम का कारण बन गया।ग्राम बरेला तखतपुर में आयोजित संगीत में श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस व्यासपीठ से भागवत मर्मज्ञ आचार्य राजेंद्र महाराज ने यह उद्गार प्रकट किया।

आचार्य द्वारा वामन प्रसंग , श्री राम चरित्र एवं भगवान श्री कृष्ण अवतार की सरस कथा विस्तार से श्रवण कराया गया उन्होंने बताया की राजा बलि ने भगवान को अपना सर्वस्व समर्पण कर दिया।और भगवान ने राजा बलि से कहा मुझसे जो सर्वस्व समर्पण का भाव रखता है मैं उन भक्तों की सदा रक्षा करता हूं।मैं भक्ति के बल पर भक्तों के ही वशीभूत हो जाता हूं और भक्त वही है जो मुझसे विभक्त नहीं है।श्री राम चरित्र पर भी प्रकाश डालते हुए आचार्य ने कहा की श्रीराम साक्षात धर्म के रूप में ही अवतरित हुए थे उनके चरित्र और मर्यादा पालन की शिक्षा से पूरे समाज और राष्ट्र को अनुप्राणित होने की आवश्यकता है।व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के सभी निर्णय धर्म का पालन करते हुए ही होना चाहिए क्योंकि धर्म को निष्कासित करने पर समाज और राष्ट्र की अवनति होती है।वेदों में कहा है। धर्म की रक्षा करने पर धर्म पूरे विश्व की रक्षा करता है। और जहां धर्म की जय हो वहां सब की जय होती है।यही सनातन धर्म का सिद्धांत है जो पूरे विश्व के कल्याण की कामना करता है। किसी एक धर्म की नहीं,भगवान श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम है तो वही भगवान श्री कृष्ण लीला पुरुषोत्तम कहलाते हैं।यही दोनों अवतार पूर्ण अवतार है जो इस धरा से पापों का भार उतारने और सनातन धर्म की रक्षा करने के लिए प्रत्येक मन्वंतर में होते आ रहा है। भारत भूमि धन्य है जहां देवता भी अवतार लेने के लिए लालायित रहते हैं।
चतुर्थ दिवस की कथा में बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद अरुण शाव कथा श्रवण करने पहुंचे और उन्होंने आयोजक पटेल परिवार को स्मृति शेष श्रीमती शकुन पटेल के वार्षिक श्राद्ध पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के आयोजन के लिए साधुवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि हिंदुओं की आस्था और धर्म पालन केवल अपने लिए नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए है और यही सनातन धर्म की विशिष्टता है। इस अवसर पर मंडल अध्यक्ष एवं पूर्व सरपंच नरेश पटेल द्वारा भी विचार रखे गए l कथा श्रवण करने ठाकुर राकेश सिंह , ठाकुर वीरेंद्र सिंह , सीताराम अग्रवाल , घनश्याम अग्रवाल , भागवत , गोपाल पटेल , श्रीमती चमेली , शीतला , जानकी ठाकुर , लक्ष्मी दयाल अधिवक्ता , श्रीमती गायत्री , श्रीमती वंदना , वत्सला पटेल एवं अनेकों श्रोता उपस्थित थे l श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ महोत्सव के आयोजक डॉ घनश्याम पटेल एवं मुख्य यजमान श्रीमती लक्ष्मी राजेश , श्रीमती रानी प्रदीप पटेल द्वारा कथा श्रवण करने हेतु अपील की गई है।

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