किसानों के मुददे पर सियासी जंग बीजेपी के प्रदेश अध्य्क्ष का आरोप तो प्रदेश के आबकारी मंत्री का पलटवार

छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है.यहां ज्यादातर लोग खेती किसानी का कार्य करते है और अपने परिवार का भरण पोषण करते है यहां किसान हर साल दो बार फसल लेते है पहला रबी सीजन मे और दूसरा खरीब सीजन में.किसानों का कुछ फायदा हो या न हो,लेकिन राजनैतिक पार्टियां अपनी अपनी रोटियां जरूर सेंक लेते है.हालांकि किसानों के दम पर राजनैतिक पार्टी सत्ता में तो आ जाती है लेकिन किसानों की समस्या कम होने का नाम ही नही लेती है.हां ये जरूर है कि राजनैतिक दल किसानों के मुददे पर खुद को किसानों का हितैषी बताते है लेकिन सियासत अपनी चरम पर है.

छत्तीसगढ़ में धान की खरीद को लेकर घमासान मचा हुआ है भाजपा और कांग्रेस में धान खरीदी लेकर तल्खी बढ़ गई है.बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय का कहना है कि कांग्रेस के राज में किसान त्राहि त्राहि कर रहा है.गिरदावरी के नाम पर लाखों एकड़ किसानों का रकबा कम कर रही है.कई किसानों का तो रकबा शून्य हो गया है.सरकार ने किसानों को परेशान किया.किसान मजबूर होकर आत्महत्या कर रहे है.प्रदेश में सैकड़ो किसान आत्महत्या कर चुके है.गृहमंत्री के क्षेत्र भी किसानों ने आत्महत्या किया है.नकली खाद बीज बेचे जा रहे है लेकिन सरकार कोई कार्रवाई नही कर रही है.

इधर राज्य सरकार केबिनेट मंत्री कवासी लखमा ने प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय का पलटवार किया है.उन्होने कहा है कि बीजेपी जो सूची की बात कर रही है दरअसल वह सूची फर्जी है.जहां तक गिरदावरी की बात है तो कुछ ही गलत हो सकती है लेकिन सरकार निर्देश दिया है कही गलती हुआ है तो उन्हे तहसीलदार और एसडीएम सुधारेगे.उनकी सरकार में धान की बंपर खरीदी हो रही है किसान खुश है और ये बात बीजेपी पचा नही पा रही है.

वैसे इन सबके बीच कई किसान आज भी परेशान है.धान बिका नहीं सो हाथ खाली है.मजदूर, दुकानदार सब पैसों के लिए तगादा कर रहे है.

धान बिक्री का टोकन नहीं मिल रहा है यहां तक कर्जा लेकर दिन काटने को मजबूूर हो रहे है.मजदूर को देने के लिए भी पैसा नहीं है लेकिन बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टिया एक दूसरे पर सियासी तीर छोड़ने से नही चूक रहे है।।

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