कोरोना काल में भी राजनीति चरम पर.. क्या नेताओं ने ले ली कोरोना वैक्सीन.. रोज़ाना हो रहे भीड़ एकत्रित.. पर बोलता कोई नहीं, जिम्मेदार बने लापरवाह..
एक और पूरा विश्व कोरोना महामारी की चपेट में हैं.. लेकिन वहीं दूसरी ओर भारत जैसे देश जो कि.. कोरोना महामारी के मामले में विश्व में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है.. यहां राजनीति करने वालों कोरोना सोरोना की कोई चिंता ही नहीं है.. पार्टी चाहे जो भी हो.. जिस तरह से भारत में लगातार कोरोना वैश्विक महामारी के मामले बढ़ते जा रहे हैं और मरीजों की संख्या दिन दुगनी रात चौगुनी तेज़ी में साथ आसमान छू रही है.. बावजूद इसके राजनीति करने वाले नेताओं को खुद से लेकर जनता तक के सेहत की बिल्कुल भी चिंता करते हो देखने में नजर नहीं आ रही है.. छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में जहां रोजाना सैकड़ों की संख्या में कोरोना पॉजिटिव मरीज निकल कर सामने आ रहे हैं.. वहां भी राजनीतिक पार्टियों द्वारा आए दिन किसी ना किसी कार्यक्रम को लेकर भीड़ एकत्रित किया जा रहा है.. सत्ता पक्ष होने का फायदा कांग्रेस को साफ मिलता दिख रहा है.. पिछले कुछ दिनों में किए गए कार्यक्रमों में जिस तरह कांग्रेसियों ने नियमों को तार-तार कर भीड़ एकत्रित की और खतरा बांटते रहें उसे साफ जाहिर है कि सत्तापक्ष होने का फायदा उनको को मिला है..
एक ओर जिला प्रशासन कोरोना से बचाव हेतु जहां नियमों की कढ़ाई को लेकर बातें करता नहीं थकता.. वही दूसरी ओर राजनीतिक पार्टी के लोगों द्वारा रोजाना नियमों को तार-तार कर लोगों और अपनी जान जोखिम में डालने का काम किया जा रहा है.. बात प्रदर्शन की हो या समारोह की या चुनाव प्रचार की जहां भी देखें नियमों के साथ धज्जियां उड़ाई जा रही है.. लेकिन कहने की हिम्मत किसी में नहीं है.. आखिर जिला प्रशासन करें भी तो क्या करें.. राजनीतिक पार्टियों को रोकने की हिम्मत अधिकारियों में कहां होती है.. जिस तरह धार्मिक कार्यक्रम, समारोह पर बंदी से लगाई गई है.. उन्हें देख कर तो लगता है कि वाकई में रोना से लड़ाई हर मोर्चे पर जारी है.. लेकिन जहां राजनीति होती है वहां पर ऐसा लगता है मानो, नेता और उनके कार्यकर्ता पहले से ही कोरोना की वैक्सीन लगाकर एकत्रित हुए हैं.. न उन्हें अपनी जान की फिक्र होती है और ना ही जनता की.. भीड़ एकत्रित करने को लेकर सरकार ने भले नियम कड़े किए हुए हैं और लोगों से अपील करते नहीं थक रहे लेकिन उसके ही नुमाइंदे जिस तरह नियमों को तार-तार कर रहे हैं कहीं ना कहीं लोग मन ही मन तो जरूर कहते होंगे कि साहब जहां राजनीति शुरू होती है.. वहां नियम शिथिल पड़ जाते हैं..