नाटक कौमुदी महोत्सव की तैयारी जोरों पर.. अभिनय की बारीकियों को जानने जुड़ रहे शहर के युवा कलाकार..
बिलासपुर–शहर की प्रतिष्ठित रंग संस्था संगम नाट्य समिति के बैनर तले बिलासपुर में 30 दिवसीय प्रस्तुतिपरक नाट्य कार्यशाला का आयोजन नेहरू चौक के पास स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय राजेन्द्र नगर में किया जा रहा है। जिसमें शहर के युवा रंगकर्मी पूरे जोश के साथ हिस्सा ले रहे हैं।
कार्यशाला में अभिनय की बारीकियों पर हुए नये तकनीक और बदलाव पर विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस कार्यशाला का निर्देशन युवा और अनुभवी रंगकर्मी शैलेन्द्र कुशवाहा के दिशा निर्देशन मे संचालित किया जा रहा है। विगत 14 वर्षों से रंगमकर्म के क्षेत्र में इनका अनुभव शहर के नवोदित रंगकर्मियों के लिए मील का पत्थर साबित होगा। अब तक लगभग 25 नाटकों में अभिनय 20 नाटकों में मंच व्यवस्था और अनेक नाटकों का निर्देशन कर चुके हैं।
इस कार्यशाला में डॉयलॉग, स्पीच, मूवमेंट, पिच, स्क्रिप्ट रीडिंग, कैरेक्टराईजेशन और रंगमंच के अनेक पहलुओं पर अलग अलग काल खंड के माध्यम से प्रशिक्षित किया जा रहा है। यह कार्यशाला पूर्णतः निःशुल्क है। कार्यशाला में 15 वर्ष या उससे अधिक आयु वर्ग के प्रतिभागी हिस्सा ले है। वर्कशॉप में शामिल होने प्रशिक्षु संगम नाट्य समिति के फेसबुक के माध्यम से विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। कार्यशाला प्रति दिन शाम 6 बजे रात्रि 9 बजे तक संचालित की जा रही है। इस दौरान कौमुदी महोत्सव नाटक की तैयारी जोरों से चल रही है। जिसमें मुम्ब फ़िल्म अभिनेता और मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय से प्रशिक्षित मयंक विश्वकर्मा अभिनय, 1/2 चरित्र निर्माण और आर्ट & क्राफ्ट की बारीकियां कलाकारों के साथ साझा कर रहे हैं। संगीत रुजण क लिए भोपाल से आये प्रख्यात रंगकर्मी और हबीब तनवीर के संस्था से जुड़े अनुभवी कलाकार अमर सिंह गंधर्व और मनहरण गंधर्व कलाकारों को नाटक में संगीत कैसा होना चाहिए और संगीत की महत्वता पर विशेष बल दे रहे हैं। कार्यशाला अब अंतिम पड़ाव की ओर अग्रसर है, जिसमें नाटक कौमुदी महोत्सव तैयार किया जा रहा है। नाटक की कहानी मौर्य वंश सम्राट चंद्रगुप्त और आचार्य चाणक्य के राजनीतिक षड्यंत्रों के इर्द गिर्द घूमती है। इस नाटक में सत्ता के कुचक्रों और पद लालसा की साजिश को चरितार्थ किया गया है। नंद वंश के सम्राट घनानंद की सत्ता का विनाश करके चंद्रगुप्त शासन की बागडोर महामंत्री चाणक्य के साथ मिलकर संभालते हैं। नंद वंश के महामंत्री राक्षस राज्य के बाहर रहकर राजनर्तकी विषकन्या के द्वारा चंद्रगुप्त को मरवाने की साजिश रचता है, लेकिन वह चाणक्य की नीति के आगे सफल नही हो पाता, अंत में चाणक्य द्वारा वसुगुप्त का वध करवा दिया जाता है। इसप्रकार सत्ता और शासन की बागडोर चंद्रगुप्त के पास सुरक्षित हो जाती है। यह नाटक वर्तमान परिप्रेक्ष्य में समसामयिक है। जिसका मंचन बहुत जल्दी बिलासपुर शहर में होना प्रस्तावित है। इस नाट्य कार्यशाला का समापन 18 फरवरी को पूर्ण होगा। जिसके
बाद बिलासपुर शहर में 03 दिवसीय राष्ट्रीय रंग संगम नाट्य महोत्सव का आयोजन किया जाना प्रस्तावित है। जिसमें देश और प्रदेश के रंगकर्मी कलाकार हिस्सा लेने बिलासपुर शहर में आएंगे। नाट्य महोत्सव की तैयारी में शहर के रंगकर्मी, साहित्यकार, शिक्षा, चिकित्सा और कई सामाजिक क्षेत्रों में कार्य कर रहे व्यक्तित्व जुड़कर आयोजन को सफल बनाने में दिन रात मेहनत कर रहे हैं। जिसमें विजय देशमुख, डॉ. रश्मि बुधिया, सुरेंद्र वर्मा, रोहित वैष्णव, संस्कृति सिंह, मोहित कुमार, आदर्श श्रीवास, दीपक साहू, शिवम, विवेक दुबे, शिवम सिंह, मन्नालाल गंधर्व, लखन लाल सहित कई लोग काम कर रहे है। नाट्य महोत्सव निर्धारण बहुत जल्द किया जाना प्रस्तावित है।