बांग्लादेशी मामले में सायबर एक्सपर्ट कलीम खान का अभियोजन पक्ष हुआ कमजोर,हाईकोर्ट की डीबी कोर्ट ने सभी आरोपियों किया बरी

बिलासपुर।वर्तमान में थाना तारबाहर बिलासपुर में पदस्थ थाना प्रभारी कलीम खान जब 2014 में गंज थाना रायपुर में पदस्थ थे तो घटना दिनांक 19/04/2014 में अपराध क्रमांक 0/2014 धारा 395,397, 458,25आर्म्स,412 भारतीय दंड विधान के तहत दर्ज प्रकरण में आरोपी दिलावर शेख पिता अब्दुल ख़ालिज,मोहम्मद इब्राहिम शेख उर्फ असलम,मोहम्मद आलमी,अब्दुल हकीप सभी आरोपी बंगलादेशी निवासी है।लेकिन घटना के समय इन चारों आरोपियों ने स्वयं को दिल्ली निवासी बताया।

बंगलादेशी निवासी होने की वजह से यह स्पष्ट है की छत्तीसगढ़ में आकर अपराध करना इनका पेशा रहा है।तभी तो इनके पास से लगभग 30 तोला सोना बरामद हुआ था प्रकरण में वर्तमान तारबाहर थाना प्रभारी कलीम खान भले ही बिलासपुर में सायबर एक्सपर्ट/सायबर किंग के नाम से पुलिस महकमे एवं जनता के बीच झूठी वाही-वाही लूटते हो? लेकिन कड़वा सच यह है कि इस प्रकरण में सायबर जांच के सम्बंध में इनकी योग्यता मात खा गई।

इनकी सायबर संबंधी जांच में खामियों की वजह से (गंभीर अपराध के बंगलादेशी एक विशेष समुदाय के लोग आरोपी जो भारत मे आकर अपराध करने के पेशावर अपराधी प्रतीत होते थे,जिसके आधार पर प्रकरण बनाया गया था) उपरोक्त चारो आरोपियों का बरी हो जाना कलीम खान की सायबर संबंधित योग्यता पर सवाल उठाता है।इनकी सायबर संबंधी जाँच में कई खामियां भी आरोपियों के बरी होने का एक मुख्य कारण है।

छत्तीसगढ़ पुलिस महानिदेशक को ऐसे गंभीर अपराध और अपराधियों के लिए सम्बंधित पुलिस जाँच में लापरवाही के लिए जिम्मेदार संबंधित अधिकारियों को दंडित तो करना ही चाहिए।साथ ही ऐसे प्रकरणों में उपरी अदालत में शासन को अपील करना चाहिए अन्यथा बाहरी लोग आकर छत्तीसगढ़ में अपराध करते रहंगे।और छत्तीसगढ़ के लोग बाहरी अपराधियों के शिकार होते रहेंगे

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