पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा आज भी निभा रहे हैं सेमरा वासी,सेमरा गांव सारी दुनिया से 7 दिन पहले ही माना लेते है दीवाली
दीपक साहू की रिपोर्ट
धमतरी का सेमरा गांव सारी दुनिया से 7 दिन पहले ही तीज त्योहार मनाता है।और यहां दीवाली मना ली गई है गांव में पीढ़ीयो से चली आ रही मान्यता के कारण यहां हर पर्व 7 दिन पहले मनाया जाता है।इसे आस्था कहें अंधविश्वास माने लेकिन गांव के बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक इसे मानते है।
यही कारण है कि यहां दिवाली अनोखी होती है।दीवाली का त्योहार भारत में हर साल हिंदी कैलेंडर के मुताबिक कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान रामचंद्र लंका विजय कर केअयोध्या लौटे थे।
दीपों से स्वागत हुआ था और इसिलिये ये दीपावली का पर्व मनाया जाता है लेकिन धमतरी जिले का करबिन सेमरा गांव की परिपाटी अलग भी है,अजब भी है यहां दीपावली समय से करीब सप्ताह भर पहले यानी कार्तिक अष्टमी की तिथि को ही मना लिया जाता है सिर्फ दिपावली ही नहीं सारे तीज त्योहार यहां इसी तरह मनाए जाने की परंपरा है तो सवाल उटता है कि आखिर ऐसा क्यों इसके पीछे एक कहानी एक किवदंती एक मान्यता है।वैसे इसके अलावा यहां कुछ भी अलग नहीं है सब कुछ दीवाली की तरह ही दिखाई देता है, लक्ष्मी पूजा और गोवर्धन पूजा के रोज यहां महसूस ही नहीं होता कि समय दीवाली के सात दिन पहले का है घरो की साफ सफाई से लेकर आतिशबाजी पटाखे बच्चो में उत्साहऔर सबसे बड़ी चीज घरो में छत्तीसगढ़ी पकवानो का बनना।अब बच्चो की बात करें जिन्हे हर साल इस दिन का इंतजार रहता है उनका उत्साह भी साफ दिखता है जहां तक स्कूलो के छुट्टीयो का सवाल है तो ये पहले ही छुट्टीया मार लेते है और जब सरकार छुट्टी घोषित करती है है तब कोर्स कवर करते है।पर्वो में यहां से ससुराल गई बेटियो के साथ कई रिश्तेदार भी दीवाली देखने आते है काफी भीड़ होती है वैसे ही जब अमावस्या को दीवाली होती है तो सेमरा के लोग दूसरे गांव दीवाली देखने जाते है ये आस्था है या अंधविश्वास। इस बहस से गांव वाले दूर ही रहते है और हर साल दीवाली धूमधाम से मनाते है बरसो बरस से पीढ़ी दर पीढ़ी ये मान्यता चली आ रही है।