आप पार्टी के पूर्व प्रदेश सह सचिव का सनसनीखेज आरोप.. टिकट के लिए लेन देन का ऑडियो किया वायरल..


देश की राजधानी दिल्ली में कथित शराब घोटाले को जहां दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबियों की दिक्कत है काम नहीं हो रही है वहीं अब छत्तीसगढ़ विधानसभा में पदार्पण का सपना देखने वाली आम आदमी पार्टी की जमकर किरकिरी होते दिखाई दे रही है।दरअसल पार्टी से निष्कासित पूर्व प्रदेश महासचिव द्वारा पार्टी के शीर्ष नेताओं पर गंभीर आरोप लगाया गया है इसके अलावा प्रदेश महासचिव ने ऑडियो भी वायरल किया है, जिसमें टिकट के बदले लेनदेन की बातें सुनाई दे रही है।

हर मंच से ईमानदार सरकार की बातें करने वाली आम आदमी पार्टी छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर लंबे समय से मैदान में उतरी हुई है लेकिन जिस तरह सीटों पर उम्मीदवारों उतर गया है उस पार्टी समेत कार्यकर्ताओं में खलबली मचा हुआ है, इसे लेकर पार्टी से हालही में निष्कासित पूर्व प्रदेश महासचिव संतोष मेश्राम ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए कुछ ही दिनों पहले पार्टी में आए और एकला चलो की नीति अपनाकर काम करने वाले धनाड लोगो को विधानसभा टिकट बेचने का आरोप शीर्ष नेतृत्व पर लगाया है।


इस वायरल ऑडियो की पुष्टि दाऊजी वेब पोर्टल नहीं करता है।
आम आदमी पार्टी में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके संतोष मेश्राम ने कहा है कि, जब लेनदेन का यह कथित ऑडियो पार्टी के ग्रुप में डाला तो मामले की जांच करने के बजाय उन्हें ही पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

आम आदमी पार्टी के पूर्व जिला सचिव प्रदेश का सचिव और कोटा विधानसभा के ऑब्जर्वर रह चुके संतोष मेश्राम द्वारा जारी किए गए ऑडियो में राज्यसभा सांसद संदीप पाठक के Lpoc (लोकसभा प्रभारी) राशिद का बताया जा रहा है,और यह बातचीत उनके और लैलूंगा विधानसभा प्रत्याशी मनीषा गौड़ के बीच का बताया जा रहा है।

जिसमें कहा जा रहा है कि, उनके (संदीप पाठक) के खास होने वाले से 5 की जगह 2 लाख लिए जा रहे हैं।संतोष मेश्राम ने हाल ही में जारी उम्मीदवारों की सूची पर सवाल उठाते कहा है कि, लंबे समय से कार्य कर रहे ईमानदार कार्यकर्ताओं की पूछ परख पार्टी में खत्म हो गई है वही शीर्ष नेतृत्व और प्रदेश नेतृत्व द्वारा नए नवेले और एकला चलो की नीति में पार्टी को दरकिनार कर अपनी शैली में काम करने वाले धनाड लोगों को अधिक प्राथमिकता दी जा रही है, सन्तोष मेश्राम ने कहा कि, कुछ दिनों पहले जारी विधानसभा प्रत्याशी की सूची में भी यह स्थिति देखने को मिली है, बिलासपुर कोटा समेत अन्य विधानसभा सीटों में वर्षों से कार्यरत कार्यकर्ताओं और नेताओं को दरकिनार कर बैनर पोस्टर में दिखने वाले नेताओं को तवज्जो दिया गया है।

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