कलेक्टर ने मैराथन बैठक लेकर की स्वास्थ्य विभाग के काम काज की समीक्षा.…..लापरवाह चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मचारी का वेतन रोकने के निर्देश….बेहतरीन काम वाले चिकित्सक और कर्मचारी को चाय पर आमंत्रित किया….संसाधनों से ज्यादा सेवा भावना की अहमियत– कलेक्टर…..बिल्हा, तखतपुर और रतनपुर सामुदायिक अस्पताल में खुलेगा पोषण पुनर्वास केंद्र…..कोटा के सुदूर जंगलों के मरीजों के लिए 4 बाइक एंबुलेंस की स्वीकृति

बिलासपुर–कलेक्टर अवनीश शरण ने अस्पतालों की बुनियादी जरूरतों और सेवाओं में सुधार के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मैराथन बैठक लेकर हालात की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि लोगों को बुनियादी चिकित्सा सुविधा प्रदान करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

अस्पतालों की बुनियादी ज़रूरतें प्राथमिकता के साथ पूरी की जा रही हैं, लेकिन इससे ज्यादा चिकित्सकों और स्टाफ की मरीजों के प्रति समर्पण और सेवा भावना ज्यादा जरूरी है। उन्होंने कहा कि अच्छे काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मचारी जहां पुरस्कृत किए जाएंगे वहीं लापरवाही बरतने वालों को दंडित भी किया जाएगा। कलेक्टर ने नियमित रूप से अस्पताल नहीं जाने पर सीपत के चिकित्सा अधिकारी और सेक्टर सुपरवाइजर के वेतन रोकने के निर्देश भी दिए।वहीं अपने कर्तव्य के प्रति गंभीर एवं निष्ठापूर्वक काम करने वाले तखतपुर के ग्राम राजपुर के एएनएम और शहर के राजकिशोर नगर के चिकित्सा अधिकारी का सम्मान करते हुए अपने निवास पर चाय के लिए आमंत्रित किया है। उन्हें गणतंत्र दिवस के जिला स्तरीय समारोह में सम्मानित भी किया जाएगा। कोटा ब्लॉक के सुदूर जंगलों में निवासरत बैगा, बिरहोर सहित अन्य लोगों की सुविधा के लिए 4 बाइक एंबुलेंस की स्वीकृति भी प्रदान की गई।

कलेक्टर अवनीश शरण ने उप स्वास्थ्य केंद्र से लेकर पीएचसी, सीएचसी जिला अस्पताल तक एक-एक संस्थान में उपलब्ध सुविधाओं और जरूरतों की विस्तृत जानकारी लेकर उन्हें जल्द मुहैया कराने के निर्देश दिए। मामलों हो कि डीएमएफ की कल संपन्न बैठक में लगभग 7 करोड़ की राशि इन कामों के लिए स्वीकृत की गई है। कलेक्टर ने सभी अस्पतालों की जरूरत का आकलन कर एक सप्ताह में प्रस्ताव स्वीकृति के लिए प्रस्तुत करने को कहा है। उन्होंने समीक्षा के दौरान नाकारापन के लिए उप स्वास्थ्य केन्द्रों के लगभग डेढ़ दर्जन सीएचओ को सेवा से हटाने के निर्देश दिए। इनके सेवाकाल में स्वास्थ्य सूचकांक बढ़ने के बजाय और कम हो गया है। संस्थागत प्रसव व टीकाकरण की संख्या भी कम हो गई है। उन्होंने सीएमएचओ से ऐसे निकम्मे सीएचओ की लिस्ट सोमवार को शाम तक मंगाई है, ताकि बर्खास्तगी का पुख्ता प्रस्ताव एनएचएम के राज्य कार्यालय को भेजा जा सके। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के सभी डॉक्टरों, नर्सेज और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ को अपने निर्धारित मुख्यालय पर ही निवास करने को कहा है। इससे आधी समस्याएं तो ऐसे ही दूर हो जाएंगी। कलेक्टर ने कहा कि अगले महीने से ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने गावों का सघन दौरा किया जाएगा। इस दौरान मैं स्वयं कर्मियों के मुख्यालय निवास का भौतिक सत्यापन करूंगा।

कलेक्टर श्री शरण ने कहा कि बच्चों में कुपोषण की समस्या दूर करने के लिए बिल्हा, तखतपुर और रतनपुर सामुदायिक अस्पतालों में पोषण पुनर्वास केन्द्र खोले जाएंगे। डीएमएफ मद से वित्तीय सहयोग लेकर इनका संचालन किया जाएगा। अभी तक जिले में केवल जिला अस्पताल में ही एनआरसी संचालित थी। जिला अस्पताल की एनआरसी
की वर्तमान क्षमता को भी 15 से बढ़ाकर 30 किया गया है। कलेक्टर ने कहा कि हमारी पीएचसी, सीएचसी यदि पूरी क्षमता से काम करें तो मरीजों को छोटी छोटी बीमारी के इलाज के लिए सिम्स अथवा जिला अस्पताल जाना नहीं पड़ेगा और बड़े शासकीय अस्पताल रेफरल और गंभीर मरीजों पर ज्यादा ध्यान दे पाएंगे। उन्होंने कहा कि हर एक व्यक्ति का प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत आयुष्मान कार्ड बनना चाहिए। हर परिवार को 5 लाख रुपए तक इलाज इससे निःशुल्क मिलता है। शहरी क्षेत्रों में राशन दुकान और ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत को जोडकर इसकी शतप्रतिशत उपलब्धि सुनिश्चित की जाए। फिलहाल 63 फीसदी लोगों को आयुष्मान कार्ड मिला हुआ है।बैठक में सीएमएचओ डॉ राजेश शुक्ला, सिविल सर्जन डॉ. अनिल गुप्ता, डीपीएम पीयूली मजूमदार सहित बीएमओ, बीपीएम, चिकित्सा अधिकारी, सेक्टर सुपरवाइजर उपस्थित थे।

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