
पूर्व मुख्यमंत्री की दो-टूक…. कार्यकर्ताओं की भूमिका केवल दरी उठाने और झंडा लगाने तक सीमित… बड़े पद और कुर्सियां दूसरे दल से आए नेताओं को….
बिलासपुर–छत्तीसगढ़ की राजनीति में मंत्रीमंडल विस्तार को लेकर बयानबाज़ी तेज हो गई है। गुरुवार को बिलासपुर पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मौजूदा सरकार के फैसले को असंवैधानिक बताते हुए बड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा कि संविधान और हाईकोर्ट के निर्देश के अनुसार छत्तीसगढ़ में अधिकतम 13 मंत्री ही हो सकते हैं, लेकिन वर्तमान सरकार ने 14 मंत्री नियुक्त कर संविधान की मर्यादा का उल्लंघन किया है।
भूपेश बघेल ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “जब मंत्री ही असंवैधानिक हैं तो उनके द्वारा लिए गए निर्णय भी अमान्य होंगे।” उन्होंने राज्यपाल और मुख्यमंत्री से सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें बताना चाहिए आखिर किस आधार पर इस नियम में संशोधन किया गया है।
इसी मुद्दे पर डिप्टी सीएम अरुण साव को भी बघेल ने कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि यदि यह बात उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा कहते तो समझ आता कि वह विधि के जानकार नहीं हैं, लेकिन अरुण साव स्वयं हाईकोर्ट में वकील रह चुके हैं और विधि-विधायी मंत्री भी रह चुके हैं। ऐसे में उनका 14 मंत्रियों का बचाव करना और हरियाणा का उदाहरण देना बेहद आपत्तिजनक है। बघेल ने कहा कि हरियाणा के मामले में सिर्फ स्टे नहीं मिला है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि छत्तीसगढ़ में असंवैधानिक मंत्रिमंडल बन जाए।
उन्होंने आगे कहा कि यदि संविधान के विपरीत जाकर सरकार फैसले लेगी तो वे फैसले संवैधानिक नहीं माने जाएंगे। इससे प्रदेश में संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
भूपेश बघेल ने इस मौके पर भाजपा संगठन पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि भाजपा में कार्यकर्ताओं की भूमिका सिर्फ दरी उठाने और झंडा लगाने तक सीमित है, जबकि दूसरी पार्टी से आए नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी और कुर्सी मिल जाती है।