महिला ने बुलाई अपनी मदद के लिए डायल 112….. आरक्षकों ने किया पीड़िता से अमानवीय बर्ताव….देर रात घर से बेघर महिला बच्चे के साथ सड़क में बैठी रही इंसाफ के लिए

बिलासपुर–छत्तीसगढ़ प्रदेश में भले सरकार बदल गई।लेकिन आज भी सरकार के बदलने का अहसास पुलिस विभाग में नजर नहीं आ रहा है।एक तरफ प्रदेश में भाजपा की विष्णु देव की सुशासन की सरकार का नारा लगता है।तो वही दूसरी तरफ़ खाखी के रौब और दबाव का असर भी आज भी बरकरार है।

यह बात हम इसलिए कह रहें क्योंकि मंगलवार की देर रात एक ऐसा मामला सामने आया जहां पर एक बहु को उसके ससुर और उसके पति ने मारपीट कर उसे घर से बेघर कर दिए।अपनी मदद के लिए उसने पुलिस विभाग की डायल 112 से गुहार लगाई तो उल्टे पीड़ित महिला को मदद करने के बजाय उसके साथ अमानवीय बर्ताव करते हुए उसके ऊपर पुलिसिया रौब दिखाने में कोई कसर बाकी नहीं की।अकेली महिला के ऊपर आरक्षक ने ऐसा दबाव बनाया की वह सहम गई।और मामले को रफा दफा करने में जुट गए।आपको बताते चले की बिलासपुर शहर के बीचों बीच मुख्य मार्ग में स्थित सिम्स चौक निवासी कीर्ति दुबे अपने छोटे से बच्चे के साथ मंगलवार की देर रात घर के बाहर मुख्य मार्ग में खड़े होकर अपने पति विश्वदीप दुबे और ससुर के द्वारा मारपीट कर उसे घर से निकाल बहार कर दिए जाने को लेकर आने जाने वाले से मदद की गुहार लगाते रही।इसी बीच कोई राहगीर उसे डायल 112 में फोन करने की सलाह दिया।जिस पर पीड़ित महिला ने डायल 112 को कॉल करके मदद की गुहार लगाई।

लेकिन मौके पर डायल 112 की दो गाड़िया आई,पर उसकी मदद करने के बजाए महिला पुलिस कर्मी नही होने पर उसे अपनी गाड़ी में बैठाया तक नही।जबकि महज कुछ ही दूर में थाना सिटी कोतवाली और महिला थाना दोनो होने के बाद भी उक्त महिला को उसके ससुराल में रहने के लिए दबाव बनाते रहे।वह महिला बोलती रही की मुझे इनके खिलाफ शिकयत दर्ज करवाना है,लेकिन डायल 112 के आरक्षक उसकी बातो को अनसुना करते रहे।जिसके बाद वह पीड़ित महिला कुछ दूर आगे जाकर सड़क में बने डिवाइडर में अपने बच्चे को गोद में लेकर बैठ गई।

इन सबको देखने के बाद भी मदद के लिए आए आरक्षक का दिल नहीं पसीजा और वह महिला काफी समय तक वही बैठी रही।गोद में लिए बच्चे और महिला को देख लोगो का हुजूम उमड़ने लगा जिसके बाद डायल 112 के आरक्षक वहा पहुंचकर वही बात को दोहराते रहे।वह महिला इनके सामने बोलते बोलते थक गई की अपने पति और ससुर के साथ नही रह सकती रात में मेरे साथ कुछ भी कर सकते है,पर इन पुलिस कर्मियों के कान में यह बात नही गई।और वह बोलते बोलते थक गई,और वही वही बैठी रही।बहरहाल जब शहर में कानून व्यवस्था का यह हॉल है तो ग्रामीण क्षेत्र में क्या हॉल होगा।यह पुलिस की कार्यप्रणाली पर एक सवालिया निशान है।

महिला स्टाफ का नही होने का दिया हवाला

आज जबकि पूरे जिले में पुलिस विभाग में राजपत्रित अधिकारी से लेकर नीचे के पदो में कितनी महिलाएं पदस्थ है उसके बाद भी उस पीड़ित महिला की मदद करने के लिए कोई महिला अधिकारी या कर्मचारी बुलाना मुनासिब नहीं समझा गया।यह एक चिंतनीय विषय है पुलिस विभाग के लिए।जबकि इस शहर के पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह आम जनता तक एक अच्छी पोलिसिंग और उनसे सीधे संवाद के साथ चेतना जैसी योजना को धरातल में लाने के लिए भरसक प्रयास करते हुए शहर के अलग अलग क्षेत्रो में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे है। जिससे पुलिस और आम जनता के बीच एक अच्छा संबंध स्थापित होकर उनको न्याय के लिए भटकना ना पड़े पर इनके विभाग के कुछ कर्मचारी इस योजना का पतीला निकालने में लगे हुए।

कोतवाली पेट्रोलिंग ने की मदद

देर सदर बाजार के मुख्य मार्ग में जब सिटी कोतवाली की पेट्रोलिंग गाड़ी गस्त पर निकली थी तो उक्त महिला को सड़क किनारे देख उस महिला से बात करने पर उसकी परेशानी सुन मदद के लिए एक कदम आगे बढ़ाया तो पीड़ित महिला ने अपने भाई से बात करवाई झांसी निवासी उसके भाई ने कोतवाली पेट्रोलिंग स्टाफ से निवेदन कर किसी लॉज या होटल में अपनी बहन को रुकवाने की बात कही।जिस पर कोतवाली स्टाफ ने उसके भाई के कहने पर उसे लॉज में रुकवाया गया,और दूसरे दिन अपने भाई के साथ अपनी शिकायत को लेकर थाने आने की बात कही गई।

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