चोरी करना पाप है ,चोरी का मॉल खरीदना पुण्य. .थाना प्रभारी और आरक्षक की अपनी थ्योरी…चोरी का माल लेने वाले पर आरोपी पर एसीसीयू और ताराबाहर थाने की मेहरबानी…. ले लिया मॉल व्यापारी संघ को कर दिया बदनाम… किसकी थी सेटिंग ,पढ़िए पूरी खबर..

बिलासपुर–प्रदेश की सत्ता बदलने के बाद भी आज भी पुलिस विभाग की भर्राशाही और आतंक का आज भी जलवा कायम..है । कानून का नियम कायदा का पाठ पढ़ाने वाली खाकी चंद पैसों के चलते अपने ईमान को गिरवी रखने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है । पुलिस थान में बैठकर ये अपने हिसाब से कानून चलाते है जिसके चलते आरोपियों को बचाने के लिए खुलेआम कानून के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे है।
ऐसा ही मामला एक बार फिर सामने आया है जहा एसिसियू और तारबहर थाना पुलिस द्वारा सयुक्त कार्यवाही कर चोरी के मामले में खुलासा करते हुए चोरी के मॉल को खरीदने वाले आरोपी को सेटिंग कर बिना किसी कार्यवाही के रिहा कर दिया गया और इतना ही नहीं चोरी का खुलासा करते हुए अपनी पीठ थपथपाने के लिए और उच्च अधिकारियों को खुश करने के लिए पुलिस ग्रुप में अपने आप को काबिल सिपाही तक बता डाला ..

जबकि पूरे मामले में तहकीकात में पता चला है कि चोरी के आरोपियों ने वारदात को अंजाम देने के बाद चोरी का मॉल गोड़पारा में गलाई वाले के यहा बेच दिया था । चोर ने भी अपने कबूलनामा में चोरी के जेवर ओम सोनी नामक व्यक्ति को बेचने की बात कबूली थी।जिसके बाद ओम सोनी ने बताया की वह महेंद्र गलाई वाले को सोना बेच दिया।इसके बावजूद पुलिस ने महेंद्र गलाई वाले को आरोपी नही बनाया।

पूरे मामले में एसिसियू और तारबहर पुलिस ने आरोपी को बचाने के लिए लंबी सेटिंग भी की और चंद पैसे लेकर आरोपी को बचा भी लिया । सूत्र बताते है कि एसिसियू में पदस्थ कुछ आरक्षक की अपनी अलग ही सेटिंग है और विभाग में दो चार ऐसे आरक्षक अपने हिसाब से जिले के थानों को भी चलाने का काम कर रहे हैऔर यदि संबंधित थाने के प्रभारी उनके काम में अड़चन पैदा करते है तो उनके क्षेत्र में कार्रवाई कर थाने को कटघरे में खड़े कर देते है और लगभग सभी थाना क्षेत्रों के चल रहे अवैध गैरकानूनी कामों में इनकी अपनी भी भागीदारी है और महीना लेकर इस तरह के गैरकानूनी कार्यों को संरक्षण देने का काम कर रहे है ।

कुछ दिनों पहले रेलवे कालोनी में लाखो रू के सोने के जेवरो पर चोरों ने हाथ साफ कर दिया था जिसके बाद से एसीसीयू और तारबहर पुलिस गुत्थी को सुलझाने में जुटी हुई थी।मुखबिरी के आधार पर एसीसीयू के आरक्षक ने आरोपियों को धर दबोचा ..पूछताछ में आरोपियों ने चोरी का मॉल को खपाने वाले का नाम भी बता दिया लेकिन उसके बाद भी चोरी का मॉल खरीदने वाले को छोड़ दिया गया।

यह कोई नही बात नही है।ऐसे कई मामले है,जिसको लेकर कुछ पुलिस थाने के अधिकारी अपने हिसाब से कानून कायदे अख्तियार कर किसे आरोपी बनाना है और किसे छोड़ना है,ये उन पर निर्भर करता है।आपको बताते चले की एसीसीयू और थाना तारबाहर ने एक संयुक्त कार्रवाई करने की बात करते हुए चोरी के मामले से पर्दा उठाने की बात करते हुए इस मामले में चार लोगो को आरोपी बनाया जिसमे से दो चोर और बचे दो आरोपियों में से एक को खरीददार और एक को चोरी के माल को बिकवाने में मदद का आरोपी बनाए है।यह तो पुलिस थाने की कहानी है।जिसमे अपने आप को अच्छा बताने और चोरी जैसे मामले से अपनी स्थिति स्पष्ट कर अपने आला अधिकारियों के सामने अपनी पीठ थपथपाने और अपने कद को अच्छा बनाए रखने के लिए किया गया।लेकिन इसके विपरित जब पुलिस रची कहानी के पीछे जायेंगे तो कुछ और नजर आयेगा। जी हा जिस मामले में यह अपनी वाहवाही और सुर्खिया बटोरने में लगे एसीसीयू और थाना के आला अधिकारी।इसके पीछे कुछ और ही राज है।चोरी के खुलासा के पूर्व चोर से माल बरामद के लिए पूछताछ में चोरों ने ओम सोनी नामक युवक का नाम लेकर उसके पास बेचना बताया गया।वही खरीददार ओम सोनी को एसीसीयू तलब कर चोरी का माल देने को कहा गया।खरीददार ओम सोनी ने एसीसीयू को बताया कि मैंने चोरी के माल को कोतवाली थाना क्षेत्र के अंतर्गत गोंडपारा के एनबीआर गोल्ड टेस्टिंग गलाई वाले महेंद्र के पास बेचना बताया।जिसके बाद एसीसीयू टीम ने महेंद्र को तलब कर अपने यहां बुलाकर माल बरामद कर सभी को थाना तारबहर में लाकर थाने के सुपुर्द कर दिया गया।इस बीच थाना तारबाहर में एक दिन पूरे रखने बाद पुलिस ने चार आरोपियों को न्यायालय में पेश किया गया,और मुख्य जो माल खरीदा था उसको थाने से बगैर कार्रवाई के चलता कर दिया गया।
माल खरीदने वाले गलाई वाला और पुलिस के क्या संबंध?
इस पूरे मामले से यह तो स्पष्ट होता है कि खरीददार गलाई वाला और एसीसीयू और पुलिस थाने के आला अधिकारी के बीच में ऐसी खिचड़ी पकी की जिससे चोरी का पूरा माल बरामद हुआ,और वही मैदान से बाहर हो गया।इस मामले में चोरी के माल को लेने वाले दो दो खरीददार सामने आने पर भी एक खरीददार पर कार्रवाई कर उसे सलाखों के पीछे डाल दिया गया।दूसरे खरीददार पर इतनी मेहरबानी की उसकी सारी करतूत को नजर अंदाज कर थाने के बाहर का रास्ता दिखाकर अपनी और खरीददार के बीच पनपा रहे संबंध को और प्रगाण बना लिया गया।
थाना प्रभारी का वर्सन
तारबाहर थाना प्रभारी अनिल अग्रवाल से इस मामले में पूछने पर वह अपने हिसाब से कानून का ज्ञान देकर इस मामले से अपने आप को सही बताने का प्रयास कर अपनी कार्रवाई को सही बताने के लिए चोरी का माल खरीदने वाले एनबीआर गोल्ड टेस्टिंग महेंद्र गलाई वाले का पक्ष रखते हुए उसी सही बता डाला,और साक्ष्य के आधार पर कार्रवाई करना बताया।और तो और उसे बड़ा व्यापारी का हवाला देकर उसकी साख को देखते हुए उसे सही बताने में लग गए।उसके पीछे पूरा व्यापारी संघ जुड़ा है।वह गलाई वाला बाजार में काम करता है।उसे नही मालूम था वह माल चोरी का है।

जप्ति और फिर माल वापस

इस पूरे मामले में चोरी के माल को लेकर काफी गहमा गहमी की स्थिति बनी।चोरी के समान में जो ज्वैलरी थी उसको लेकर काफी मंथन हुआ।मंथन का मुख्य कारण यह था की सोने के आभूषण गला दिए गए,अब वह सोने के आभूषण का अस्तित्व समाप्त हो गया।लेकिन पुलिस को अपनी पीठ और वाहवाही के साथ सुर्खियों में बने रहने के लिए पहले सोने के आभूषण को जप्त कर लिया गया।जब प्रार्थी ने उक्त आभूषण अपना नही होने की बात कही तो फिर उसे वापस किया गया।और वही गला हुआ माल को बरामद कर अपने तरीके से कहानी गढ़ी गई।इस पूरे चोरी के खुलासे में चोरी के माल का खुलासा पुलिस ने नही किया सिर्फ आरोपियों की फोटो वीडियो जारी कर दी गई।

बहरहाल इस पूरे मामले में से यह तो स्पष्ट हो जाता की भले ही प्रदेश की सत्ता में पलट हुआ लेकिन पुलिस में इसका कोई खास असर नहीं पड़ा है।आज भी इनका वही रवैया है।भाजपा के आला नेता,मंत्री,विधायक अपने भाषण में पिछली सरकार की आराजकता और निरंकुश को लेकर पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में अपने सुशासन को लेकर जो कह रहे है।वह जमीनी हकीकत से कोसो दूर नजर आ रहा है।
अब देखना होगा कि उच्च अधिकारी पूरे मामले में दोषी पुलिस कर्मचारियों पर कब कार्यवाही करते है ताकि कानून चलाने वाले ये पुलिसकर्मी कानून का सही पालन कर सके ।

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