कोयला परिवहन में लगी गाड़ियों के वजन कटौती को लेकर ट्रांसपोर्टर हुआ लामबंद…ट्रांसपोर्टर गए हड़ताल में….गाड़ियों के पहिए थमे….एसईसीएल के सोहागपुर क्षेत्र का मामला….एसईसीएल प्रबंधन की मनमानी से कोयला परिवहन बंद
बिलासपुर–एसईसीएल के सोहागपुर क्षेत्र में कोयला परिवहन कार्य में लगे ट्रांसपोर्टर अपनी मांगों को लेकर अनिश्चित कालीन हड़ताल में चले गए।हड़ताल में जाने से कोयला खदानों में परिवहन के लिए लगी गाड़ियों के पहिए थम गए।आपको बताते चले की बीते कुछ महीने से एसईसीएल प्रबंधन और ट्रांसपोर्टर के बीच में कोल टर्म लॉस को लेकर तीन महीने से पत्र के माध्यम से ध्यानाकर्षण कराया जा रहा है।लेकिन एसईसीएल की तरफ से इस पत्राचार को नजर अंदाज किया जाता रहा है।तीन महीने बीत जाने के बाद आज मंगलवार को पावर सेक्टर में कोयला परिवहन कार्य में लगे ट्रांसपोर्टर ने लामबंद होते हुए अनिश्चित कालीन हड़ताल में चले गए।वही ट्रांसपोटरो के हड़ताल में जाने से खदानों से कोयला आपूर्ति का कार्य ठप्प पड़ गया।जिसका खामियाजा आने वाले दिनों में पावर सेक्टर में देखने को मिलेगा।वही इस हड़ताल के पीछे एसईसीएल के अधिकारियों की मनमानी की बात भी सामने आ रही है।लगातार ट्रांसपोट्ररो के द्वारा अपनी मांग को इनके सामने रखने के बाद भी इस पर गौर नही किया गया। ट्रांसपोर्टर के हड़ताल में चले जाने से यहां का काम पूरी तरह से बंद पड़ा हुआ।खदानों में गाड़ियों को लंबी कतार लगी हुई।
क्या है टर्म लॉस
खदानों में कोयला परिवहन कार्य में लगी गाड़ियों में एक वजन के अनुसार परिवहन कार्य में।लगी गाड़ियों में कोयला को लोड किया जाता है।और खादनो से पावर सेक्टर कंपनी के साइडिंग में कोयला ले जाया जाता।कोयला साइडिंग में आने के बाद फिर से वजन होता है।यदि खदान और साइडिंग क्षेत्र में कोयला के बार क्षमता में कोई कमी आती है।उसे कोल टर्म लॉस कहा जाता है।लेकिन ट्रांसपोटरों का कहना है की खदान और साइडिंग तक परिवहन कार्य में लगी गाड़ियों में कोयला लॉस होता है।एक समान वजन नही मिल सकता।क्युकी परिवहन के कार्य में लगी गाड़ियों में खदान में कोयला भरते समय गीला कोयला भरा जाता है।तो उस समय कोयला का भार पानी के साथ होने पर कुछ और होता है।वहा से ले जाने के बाद पानी सुख जाता तो साइडिंग में उस गाड़ी की भार क्षमता कुछ कम हो जाती।
एसईसीएल की मनमानी और तुगलकी फरमान
ट्रांसपोर्टर के हड़ताल में जाने का मुख्य कारण एसईसीएल प्रबंधन की मनमानी और तुगलिकी फरमान सामने आ रहा है।ऐसा बताया जा रहा है की टर्म लॉस को लेकर एसईसीएल प्रबंधन ने ट्रांसपोर्टर के पैसे काटने का आदेश दे दिया है।खदान और साइडिंग के वजन में होने वाले अंतर पर उतना पैसा ट्रांसपोर्टर का काट लिया जायेगा।और वही मनमानी के साथ एसईसीएल कोयला ट्रांसपोर्टर के साथ कर रहा है।इन्ही सब बातो को लेकर ट्रांसपोर्टर एकजुट होकर कोयला परिवहन के कार्य को बंद कर दिए है।
एसईसीएल प्रबंधन ने की पत्राचार की अनदेखी
बीते जून माह के शुरुवात में कोयला साइडिंग कार्य में लगी गाड़ियों के मालिकों ने कोयला लॉस को लेकर एक दिन हड़ताल में चले गए।जिसके बाद एसईसीएल प्रबंधन ने हड़ताल समाप्त करवा के इनको पुनः कार्य प्रारंभ करवाने के लिए उस समस्या का समाधान करने के इन ट्रांसपोर्ट वाले को आश्वाशन देकर हड़ताल खत्म करा दिए। लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद ट्रांसपोर्टर ने एसईसीएल प्रबंधन को अपनी मांग से अवगत कराकर पत्राचार किया।लेकिन समय निकलते गया और जवाब एसईसीएल की तरफ से नही आया।जिसके बाद ये सभी ट्रांसपोर्टर हड़ताल में चले गए।
हड़ताल से करोड़ों रुपए का हो रहा नुकसान
सुहागपुर क्षेत्र में एसईसीएल की छै खदाने है।जिनमे से कोयला निकाला जाता है।इन सभी छै खदानों में हड़ताल से परिवहन का कार्य बंद हो गया।इन खदानों से परिवहन के कार्य में लगे वाहन पावर सेक्टर को कोयला आपूर्ति का कार्य करते है।लगभग पांच सौ से अधिक गाड़ियां इस परिवहन कार्य में लगी हुई है।हड़ताल में जाने से ये सभी गाड़ियों के चक्के रुक गए है।जिससे शासन को करोड़ों रुपए के राजस्व की हानि हो रही है।और आने वाले दिनों में पावर सेक्टर में कोयला की पूर्ति नहीं होती है बिजली का संकट और कई पावर सेक्टर कंपनी कोयला की कमी से जूझते हुए नजर आएंगे।
भाड़ा को लेकर रोड सेल ट्रांसपोर्टर भी गए हड़ताल में
मंगलवार को सुहागपुर क्षेत्र में रोड साइडिंग वाले ट्रांसपोर्ट वाले हड़ताल में चले गए।तो वही इसके बाद रोड सेल कार्य में लगे ट्रांसपोर्टर भी भाड़ा बढ़ाए जाने की मांग को लेकर हड़ताल में चले गए।दोनो ट्रांसपोर्ट के हड़ताल में जाने से खदानों में कोयला परिवहन का काम ठप्प पड़ गया।
जबकि एसईसीएल देश की कोयला के क्षेत्र में एक अलग ही पहचान और नाम से जानी जाती है।लेकिन अभी तक एसईसीएल कंपनी का कोई भी अधिकारी इस मामले को लेकर आगे नहीं आया।अब देखना यह होगा कि यह हड़ताल को समाप्त करने के लिए एसईसीएल प्रबंधन आगे कौन सा रुख अख्तियार करती है। वही एसईसीएल के जन संपर्क अधिकारी ने अपना जवाब दिया है।लेकिन इस जवाब में हड़ताल को लेकर कोई जिक्र नहीं किया गया और नाही हड़ताल को लेकर प्रबंधन आगे क्या कदम उठाने वाली यह बात भी स्पष्ट नहीं किया गया।वही अपनी विभाग की मनमानी और गौर जिम्मेदाराना कार्य को लेकर विभाग कोई ठोस कार्रवाई की बात नही कर रहा है।
वर्सन
इस मामले को लेकर बिलासपुर स्थित एसईसीएल मुख्यालय में जन संपर्क विभाग में पदस्थ सानिश चंद्र ने अपना बयान जारी करते हुए बताया की सोहागपुर एरिया में कोल परिवहन का कार्य, नियमों के अधीन तथा समुचित प्रक्रिया के अनुपालन उपरांत अवार्ड किए गये हैं । निविदा के शर्तों का पालन करना सम्बंधित एजेंसी के लिए अनिवार्य होता है।