गैंगवार से शहर को कब मिलेगी निजात?राजनीतिक वर्चस्व को लेकर दिन दहाड़े यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता सड़क में मचा रहे है उत्पात…खूनी संघर्ष से लहू लुहान बिलासा नगरी…कानून का नही है! डर….पढ़िए पूरी खबर

बिलासपुर–बिलासपुर में अभी हाल में ही कांग्रेस के दो गुटों में हुई हिंसक झड़प की आग ठंडी भी नही हुई की फिर एक बार फिर कांग्रेस के ग्रामीण और शहरी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों में बिलासपुर की शांत फिजा में राजनीतिक वर्चस्व और अपने दबदबा को कायम रखने के लिए खुलेआम बीच सड़क में दबंगई दिखाते हुए जमकर उत्पात मचाया।जिसके बाद पूरे क्षेत्र में इस घटना के बाद हड़कंप मच गया और कांग्रेस पार्टी के अंदर चल रही अंतर्कलह फिर एक बार उजागर हुई।इस घटना के बाद पूरे प्रदेश में इसकी चर्चा होने लगी।और जिसके बाद राजनीति का बाजार भी गर्म होता रहा। विगत कुछ सालो से इस शहर में राजनीतिक वर्चस्व को लेकर समय समय पर एक ही पार्टी के कार्यकर्ता आपस में भिड़ कर इस शहर की शांति व्यवस्था को दूषित करने का बीड़ा उठा लिया है।जहा एक और लंबे समय के बाद प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस पार्टी ने अपना परचम लहरा कर उसमे काबिज हुई।तो वही दूसरी और इसी सत्ता पक्ष के कांग्रेस कार्यकर्ता सत्ता के नशे में चूर होकर आपस में खूनी संघर्ष को अंजाम देने से भी नहीं चूक रहे है।

यह कोई नई बात नही है इस शहर के लिए जब से प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस पार्टी काबिज हुई है।उसके बाद से पार्टी में गुटीय लड़ाई खुलकर सामने आने लगी।और यह लड़ाई कांग्रेस कार्यालय तक ही सीमित नहीं रही बल्कि शहर की सड़क और जब जहा मौका मिला वहा पर ये लोग भिड़कर शहर और प्रदेश की राजनीति में चर्चा का विषय बनकर अपना और पार्टी की फजीहत कराने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है।हम बात कर रहे इस बिलासपुर शहर की जहा पर सत्ता पक्ष की पार्टी कांग्रेस में अपने वर्चस्व को बरकरार रखने की होड़ में आपस में ही इनके बीच कंपीटिशन शुरू हो गया।और कंपीटिशन में शिरकत करने वाले कार्यकर्ताओं को राजनीतिक संरक्षण भी भरपूर देने का भी योगदान बड़े नेता देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है।बिलासपुर की गली मोहल्ले से निकलने वाले कांग्रेस कार्यकर्ता हो या फिर शहर के नामी और दिग्गज नेता ही क्यों ना हो।नीचे से लेकर ऊपर तक इनके आपसी गुटीय झगड़े ने अब एक बड़ा रूप ले लिया है।जो समय समय पर अपना रंग दिखा जाता है।

शुक्रवार को एक ऐसा ही मामला सामने आया है।जहा पर यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए।यह लड़ाई भी इसी गुटीय गुटबाजी का जीता जागता उदाहरण है।जो किसी से भी नहीं छिपा है।यह लड़ाई भी कोई अचानक या अप्रत्याशित नही है।

इस लड़ाई के पीछे का भी खेल भी वही वर्चस्व का है।वर्चस्व के इस खेल में कांग्रेस कार्यकर्ता हिंसात्मक रुख को ही अपना आखरी शस्त्र मानकर उसका उपयोग करने में कोई गुरेज भी नही कर रहे।और परिणाम क्या हुआ एक घायल और उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती।बिलासपुर के श्रीकांत वर्मा मार्ग में शाम के लगभग चार से पांच बजे के आस पास यूथ कांग्रेस के जिला अध्यक्ष राजू यादव अपने पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं के साथ मॉल के पहुंचे थे की अचानक जिला उपाध्यक्ष नितेश सिंह भी अपने यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ खड़े थे।इसी बीच आपस में पुरानी बातो को लेकर बात होने लगी और बात बढ़ते चली गई।और बात बढ़ने से दोनो पक्ष में विवाद गहरा गया और दोनो पक्ष अपना आपा खोकर सड़क में ही भिड़ गए और जमकर उत्पात मचाने लगे।

और यह उत्पात भी गैंगवार का रूप ले लिया।और इस गैंग वार में जमकर बेसबॉल हाकी स्टिक के लात घुसे चलने लगे जिससे एक पक्ष का कांग्रेस कार्यकर्ता बुरी तरीके से घायल हो गया और इसी बीच में वहा से थाना तारबाहर की पेट्रोलिंग गाड़ी वहा से गुजर रही थी तो घायल युवक को उपचार के लिए अपोलो अस्पताल ले जाया गया।यदि समय रहते पुलिस की गाड़ी नही पहुंचती तो एक बड़ा हादसा हो सकता था।जो समय रहते टल गया।

थाना परिसर में जिला अध्यक्ष बैठे धरने में

लेकिन इस घटना के बाद से यूथ कांग्रेस का एक पक्ष थाने में प्राथमिकी रिपोर्ट दर्ज और उसमे जान से मारने की कोशिश की धारा को लगाई जाए इसके लिए थाने में डेरा डालकर धरने में बैठ गए।वही इस पूरे मामले में पुलिस कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाते हुए यूथ कांग्रेस के जिला अध्यक्ष राजू यादव ने बताया कि पुलिस उनकी नही सुन रही है।जिसके कारण हम थाने परिसर में धरने में बैठ गए।जिसके बाद धीरे धीरे विरोध में काफी कार्यकर्ता पहुंचने लगे और जमकर नारेबाजी चलती रही।

बहरहाल इस पूरे मामले में पुलिस कार्रवाई नही के बराबर रही।और वही काफी देर तक यूथ कांग्रेस के जिला अध्यक्ष राजू यादव अपने पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं के साथ खड़े होकर पुलिस कार्रवाई का इंतजार करते रहे लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने पर वापस लौट गए।
क्या है घटनाक्रम
यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में जो गुटीय लड़ाई है।उसके पीछे भी एक कारण नही है।ऐसे बहुत से कारण है जो इन सब का मुख्य कारण है।पर कहा जाता है की आदमी कब तक शांत रहेगा और एक ना एक दिन अपना गुस्सा को निकाल ही देता है।और जब पानी सिर से ऊपर होता है तो आदमी अपना हाथ पैर चलाता है अपनी जान बचाने के लिए।

ऐसा ही थत्य सामने आए है।सूत्र बताते है की यूथ कांग्रेस के जिला अध्यक्ष पद के लिए पार्टी ने निर्वाचन प्रक्रिया के तहत चुनावी शंखनाद के साथ नई कार्यकारणी बनाने की रणनीति बनाई और उसमे बहुत से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया और अपने लोगो को इस कार्यकारणी में पदाधिकारी बनाने की होड़ में लग गए।जिसके बाद सीएम के करीबी और खास एक बड़े कांग्रेस नेता ने अपने लोगो को इस टीम में शामिल कर कांग्रेस पार्टी में ऊपर तक अपना राजनीतिक वर्चस्व कायम रखने के लिए साम दाम दण्ड भेद नीति का प्रयोग कर जिला और शहर में यूथ कांग्रेस में अपना परचम लहरा कर पार्टी और सीएम के नजदीक अपना कद ऊपर कर लिया।बताया जा रहा की मस्तूरी के नितेश सिंह भी जिला ग्रामीण अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल हुए थे।और यह इस पद के लिए एक अच्छे उम्मीदवार के तौर पर देखा जा रहा था।लेकिन नितेश सिंह इसी शहर के दयालबंद क्षेत्र के एक कांग्रेस नेता के करीबी और उनकी टीम के थे इसलिए उनको इस दौड़ से दूर करने के लिए पारिवारिक दबाव बनाकर दूर कर दिया गया।इसी बीच मस्तूरी के नितेश सिंह अपने मस्तूरी क्षेत्र से विधानसभा अध्यक्ष के लिए सुनील पटेल को खड़ा किया और वही राजू यादव की तरफ से विश्वजीत को मैदान में उतारा गया।और फिर राजनीतिक द्वंदता खुलकर सामने आने लगी और लेकिन जीत मस्तूरी के नितेश सिंह के द्वारा खड़ा किया हुआ उम्मीदवार अपना जीत का परचम लहरा दिया।राजनीतिक चुनावी हार जीत के इस समीकरण में बात अपने वर्चस्व को लेकर ठना ठानी शुरू हो गई।जिसके बाद कई ऐसे राजनीतिक कार्यक्रम हुए जहा पर ग्रामीण क्षेत्र के ये पदाधिकारी एक दुसरे को नीचा दिखाने का मौका तलासने लगे।इसी कड़ी में एक उद्योग का विरोध करने के लिए बिलासपुर के कांग्रेस के नेता मस्तूरी क्षेत्र के मल्हार पहुंचे और जहा पर इनके साथ शहर और ग्रामीण क्षेत्र के यूथ कांग्रेस के जिला अध्यक्ष उपाध्यक्ष सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।उस दिन भी इनके बीच में काफी नोक झोंक हुई और कही ना कही मामला गरमाता इसके पहले ही मामला शांत हो गया।

यूथ जोड़ो बूथ जोड़ो कार्यक्रम

जिसके बाद बिलासपुर ग्रामीण उपाध्यक्ष नितेश सिंह ने अपने क्षेत्र मस्तूरी में अभी हाल में ही एक यूथ जोड़ो बूथ जोड़ो कार्यक्रम का आयोजन किया।इस आयोजन की जानकारी जिला अध्यक्ष राजू यादव को नही थी।वही से खेल शुरू हुआ और इस कार्यक्रम को रोकने के लिए ऊपर तक जोर लगाया गया लेकिन उसमे सफल नहीं हो पाए क्योंकि यह कार्यक्रम राष्टीय महासचिव पलक वर्मा के संज्ञान में आ चुका था।

और इस कार्यक्रम के लिए उनकी तरफ से हरी झंडी मिल चुकी थी।लेकिन इस कार्यक्रम को विफल करने के लिए भरसक प्रयास किया गया।और इन सब से नही पुर सके तो मस्तूरी के विधानसभा उपाध्यक्ष विश्वजीत ने अपने ही विधानसभा अध्यक्ष सुनील पटेल की जमकर धुनाई कर दी।

जिसको लेकर काफी बवाल हुआ और आनन फानन में इस घटना की जानकारी प्रदेश पार्टी के पदाधिकारियों को देकर शिकायत की गई।

इसी शिकायत में पार्टी ने जांच टीम का गठन किया।जिसमे प्रदेश महासचिव राकेश पांडेय को जांच प्रभारी बनाकर भेजा गया।उक्त मामले की जांच करने पहुंचे राकेश पांडेय ने बिलासपुर कांग्रेस कार्यालय में बैठक आहूत की जिसमे दोनो पक्ष के लोग वहा पहुंचे।

और अपनी अपनी बात रखी।जिसके बाद कांग्रेस कार्यालय के बाहर भी इन दोनो पक्ष में जमकर बाद विवाद हुआ।लेकिन प्रदेश के महासचिव वहा थे जिसके कारण विवाद गहरा नही पाया।और इसी बीच जांच प्रभारी राकेश पांडेय जिला अध्यक्ष के साथ चले गए।और उनके जाने के बाद श्रीकांत वर्मा मार्ग में यह घटना घटित हुई।

मस्तूरी के बाद गौठन कोटा का कार्यक्रम
मस्तूरी कार्यक्रम को असफल नहीं कर पाने वालो ने आनन फानन में राजनीतिक वर्चस्व कायम रखने के लिए बिलासपुर के कोटा क्षेत्र में स्थित गौठान में एक कार्यक्रम आयोजित किया।

जिसमे राष्टीय महासचिव पलक वर्मा को आमंत्रित किया गया।और अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए शक्ति प्रदर्शन का प्रयास किया गया।

ऐसे कार्यक्रम आयोजित कर अपना राजनीतिक वर्चस्व कायम रखने में कोई बुराई नही है।लेकिन इसके परे विपरित दिशा में जाकर कानून को हाथ में लेकर खुलेआम अपनी दबंगई दिखाते हुए सड़क पर उतर कर खूनी संघर्ष करना यह गलत है।

पुलिस की भूमिका

इस घटना के बाद से पुलिस की स्थिति भी पसोपेश में रही।घटना को अंजाम देने वाले और घटना में।घायल लोग भी यूथ कांग्रेस के पदाधिकारी और कार्यकर्ता है।ऐसे में सत्ता पक्ष से जुड़े लोगों के ऊपर कार्रवाई को लेकर पुलिस बीच मझधार में फंसी हुई नजर आ रही है।

आखिर किसका है संरक्षण

इन सब घटना के बाद एक बहुत ही मुख्य बात सामने आई की आखिर इस शहर में वह कौन है जिसके संरक्षण में यह खेल खेला जा रहा है।इसके पीछे कौन है।जो गुटीय लड़ाई चली रही है इसके पीछे भी देखने की जरूरत है।आखिर वह है कौन शख्स जिसका हर किसी से विवाद गहरा रहा है।और इस धरा को रक्तरंजित कर अपनी राजनीतिक रोटी सेंक रहा है।इस शख्स ऊपर किसका हाथ है।कही ना कही शहर के वरिष्ठ कांग्रेस नेताओ को इस घटना को लेकर मंथन करने की जरूरत है।और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृति ना हो इसके लिए कोई ठोस कदम उठाने की जरूरत है।और पार्टी में ऐसे शख्स को निकाल बाहर करना चाइए जो समय समय पर अपनी राजनीति रोटी सेंकने के इस तरह के हथकंडे को अपना कर कार्यकर्ताओं में खूनी संघर्ष के लिए मजबूर करता है।

Related Articles

Back to top button