भाजपा के शासन में बिल्डर भाईजान को आखिर किसका सरंक्षण? ….शिकायत के बाद भी कार्रवाई के नाम पर….नोटिस के खेल में उलझा निगम प्रशासन
बिलासपुर–छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर जो की स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित हो रही है।तो वही यातायात और पार्किंग के बढ़ते दबाव से निजात दिलाने के लिए शहर के तमाम आला अधिकारी सड़को पर निकल कर इसे दुरुस्त करने के लिए हर संभव प्रयास करने में जुटे हुए है।अभी हाल में ही बिलासपुर की पार्किंग व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए बिलासपुर कलेक्टर ,निगम आयुक्त से लेकर पुलिस कप्तान सड़को पर खुद निकल कर सड़को पर पसीना बहाते नजर आ रहे है …..वही दूसरी तरफ बिलासपुर के लिंक रोड स्थित चिनार कांप्लेक्स (जो अब वसीर अहमद काम्प्लेक्स नाम से जाना जाता है )में अवैध तरीके से पार्किंग स्थल पर निर्माण कर बिल्डर द्वारा कब्जा करने की कोशिश की जा रही है। ..जिसके चलते दुकानदारों और रहवासियों को गाड़ी पार्किंग की समस्या से परेशान होना पड़ रहा है ..कांपलेक्स का मालिक बिना किसी भय डर के बिना किसी अनुमति से पार्किंग के लिए आरक्षित भूमि पर अवैध तरीके से निर्माण कर कब्जा कर रहा है और इन दुकानों को किराए में देकर मुनाफा कमाने की जुगत में जुटा हुआ है।
जिसकी शिकायत बिलासपुर नगर निगम आयुक्त से की गई है ..शिकायतकर्ताओं का आरोप है कई बार अवेध कार्य को रोकने के लिए जमीन मालिक को कहा गया पर अपनी ऊंची पहुंच होने का हवाला दिखा कर पार्किंग की जगह ऊपर जबरन कब्जा किया जा रहा है जबकि निगम से इस कांपलेक्स के निर्माण के लिए अनुमति लेने के समय बिल्डर ने जो नक्शा पास करवाया था उसमे यह जमीन पार्किंग और आवागमन रास्ते के लिए दर्शाई गई है ..इतना ही नहीं पहले भी पार्किंग के जगह पर स्थाई कब्जा बिल्डर द्वारा किया जा चुका है।
रहवासियों का कहना है कि पहले बिल्डर द्वारा नक्शे में हेर फेर करते हुए कई अवैध निर्माण करवाए जा चुके है जिसकी शिकायत पहले भी निगम के अधिकारियों से की गई थी लेकिन कार्यवाही नही होने से बिल्डर के हौसले लगातार बढ़ते जा रहे है और वह अपनी मनमानी पर उतर आया है ..इतना ही नहीं यहां के फ्लैट भी जर्जर हो चुके है और कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है..लेकिन ना तो निगम के अधिकारी और न ही बिल्डर द्वारा इस गंभीर मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया जिसके कारण कभी भी बड़ी जनहानी की आशंका बनी रहती है ..? बिल्डर के रसूख का बखान करते यह वीडियो भी कर रहा है की किस तरह बिल्डर द्वारा बिना सुरक्षा मापदंडों का पालन किया गया है…अवैध कब्जे की नियत से बड़ा सा खतरनाक गड्ढा खुदवा किया गया है जबकि यहां से बड़ी तादाद में दिन रात लोगो की आवाजाही होती रहती है जिसमे बच्चे ,और महिलाओं के साथ बुजुर्गो की संख्या ज्यादा होती है ..ऐसे में कोई हादसा होता है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा बिल्डर या फिर निगम अधिकारी या फिर हादसे का शिकार हुआ शख्स?
फिलहाल शहर के लिए सबसे बड़ा अभिशाप पार्किंग समस्या को माना जाता है।निगम के अधिकारियों पर भी आरोप लगता रहा है की उन्होंने शहर के कई इलाकों में काम्प्लेक्स का नक्शा पास करने में पार्किंग प्लान पर ध्यान नहीं दिया था।जिसके कारण आज भी आम जनता को गाड़ी खड़ी करने के लिए पार्किंग की समस्या से जूझना पड़ता है।
वही अब जिस तरह बसीर अहमद कामलेक्स में पार्किंग में बिल्डर द्वारा कब्जा किया जा रहा और शिकायत के बाद भी कार्यवाही नही हो रही है उसके बाद से एक बार फिर निगम के अधिकारी कटघरे में खड़े नजर आ रहे है .?
गौरतलब है कि कई व्यावासिक प्रतिष्ठान द्वारा पार्किंग के लिए चिन्हित जमीन पर अवैध निर्माण किया जा चुका है जिसके खिलाफ निगम अमले ने मुहिम भी छेड़ी हुई है.. अब देखना होगा कि निगम का अमला कब तक बसीर अहमद कांप्लेक्स पहुंच पाता है और कितनी जल्दी नामचीन बिल्डर के अवैध निर्माण से रहवासियों और दुकानदारों को निजात दिला पाता है।
ताकि लाखो रू देकर दुकान और घर खरीदने वालों को गाड़ी खड़े करने के लिए परेशान न होना पड़े…और जर्जर हो चुके फ्लेटो को समय रहते दुरुस्त कर लोगो की जान को सुरक्षित रख पाता है या फिर हर बार की तरह जिम्मेदार अधिकारी किसी बड़े हादसे होने का इंतजार करते है .? यह बड़ा सवाल है।