कोरबा जिले के पूर्व प्रभारी मंत्री अमर अग्रवाल ने आपातकाल को लेकर कांग्रेस को घेरा

कोरबा-भारतीय जनता पार्टी जिला कोरबा द्वारा आयोजित पत्रकार वार्ता में मुख्य वक्ता के रूप में कोरबा जिले के पूर्व प्रभारी मंत्री अमर अग्रवाल उपस्थित रहे । कोरबा प्रेस क्लब तिलक भवन में आयोजित इस पत्रकार वार्ता में उन्होंने संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ समेत मुट्ठी भर प्रदेशों में कांग्रेसी या उसके प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष समर्थित दलों का शासन है।वहां क्या हो रहा है देख लीजिए महाराष्ट्र में किस तरह से असहमति के कारण अभिनेत्री का घर ढहा दिया जाता है । पत्रकारों के साथ कैसा सलूक होता है । पालघर के साधुओं को भीड़ द्वारा लिंच कर देने की खबर दिखाने के कारण अर्णव गोस्वामी और उनकी टीम के साथ कांग्रेस समर्थित सरकार ने वहां कैसा बर्बर अत्याचार किया यह उदाहरण सामने है ।यह तमाम चीजें महज संयोग नहीं बल्कि प्रयोग हैं ।

यही आपातकाल वाली कांग्रेस की मूल प्रवृत्ति है । आप पश्चिम बंगाल का उदाहरण देख लीजिए कांग्रेस व कम्युनिस्टों के प्रत्यक्ष समर्थन से चुनकर आई सरकार ने सत्ता में आते ही कार्यकर्ताओं द्वारा किस नृशंस तरीके से हत्या, बलात्कार और लूट आदि घटनाओं को अंजाम दे रही है । वास्तव में ऐसी तमाम उदाहरण आपातकाल जैसी मनोवृति के ही हैं ।प्रदेश की अभी की कांग्रेस सरकार का उदाहरण तो सबसे नया और अनूठा है । जहां किसी ट्वीट को रिट्वीट तक करना बड़ा अपराध बना दिया जाता है। जहां शासन के संसाधनों और समय का पूरा उपयोग भाजपा प्रवक्ता की आवाज को पुलिसिया डर दिखाकर दबाने राष्ट्रीय पत्रकारों पर 100-100 मुकदमा दर्ज करने में लगा दिया जाता है । जहां कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा पुलिस स्टेशन के सामने ही पत्रकारों से बर्बरता से हिंसा तक की जाती है । महज इसलिए क्योंकि वह आपसे सहमत नही हैं और आप वैसे ही उनकी अभिव्यक्ति की आजादी को खत्म करना चाहते हैं जैसे इंदिरा जी ने किया था।आपातकाल के संदर्भ में एक खास बात हमें बार-बार स्मरण रखने की है कि आज 2021 में हम जिस आज़ादी की हवा में सांस ले रहे हैं यह आजादी हमने कांग्रेश से लड़ कर हासिल की है । फिरंगीओं अंग्रेजों से गांधी सुभाष के नेतृत्व में लड़कर हमें जो आजादी मिली थी, 1975 में हमने खो दी थी, कांग्रेस ने वह आजादी हमसे छीन ली थी । यह दूसरी आजादी हम ने कांग्रेस से लड़ कर पाई है । कांग्रेस ने अपनी आजादी की विरासत को तब ही खत्म कर दिया था भारतीय संविधान और लोकतंत्र आज के भाजपा तब का भारतीय जनसंघ के इतिहास पुरुष अटल आडवाणी नाना जी जैसे राष्ट्रीय वादियों का हासिल किया लोकतंत्र है । लोकनायक जयप्रकाश नारायण का कमाया लोकतंत्र है ।

यह जिस का आज हम आनंद ले रहे हैं, आज का लोकतंत्र कांग्रेस के कारण नहीं, बल्कि उसके बावजूद कायम है।बात चाहे इस आपातकाल की हो या, पहली आजादी के बाद देश के विभाजन की, या उसके बाद भी कांग्रेस ने लगातार यह साबित किया है कि, भारतीय लोकतंत्र के पवित्र शब्दों का, भारत के लोगों द्वारा आत्मार्पित भारत के संविधान की आत्मा का, देश की एकता और अखंडता का, कांग्रेस के लिए तब कोई महत्व नहीं रहता है जब उसकी सत्ता नहीं हो या जाने वाली हो,बांटो और राज करो की विभाजन कारी सिद्धांत हमेशा से ही कांग्रेस खासकर नेहरू परिवार का मूल मंत्र रहा है।हमने अपने पुरखों के बलिदान से भले आजादी दोबारा हासिल करने में सफलता पाई हो, लेकिन इस आजादी पर खतरे हमेशा बने रहेंगे जब तक कांग्रेस कायम हैं ।आपातकाल भले 1977 में खत्म हो गया लेकिन आपातकाल में मनोवृति वाले तत्व और संगठन आज भी मौजूद हैं । हर छड़ प्रतिपल लोकतंत्र विरोधी तत्वों के खतरे के प्रति सावधान रहने की जरूरत है । अगर आप इतिहास को याद नहीं रखेंगे तो उसे बार-बार दोहराने पर विवश होंगे । आपातकाल का यह इतिहास हमें इसलिए भी बार बार हर बार स्मरण रखना चाहिए ताकि ऐसा कलंकित इतिहास कभी वक्त फिर दोहराने का दुस्साहस कांग्रेस या उस मनोवृति वाला कोई भी दल कभी भी आप करने में सफल नहीं हो पाए ।सत्ता के मद में चूर होकर कांग्रेसी या ऐसा कोई दल फिर से इस भयानक इतिहास को दोहराने का साहस नहीं कर पाए इसलिए हमेशा सचेत रहने की जरूरत है।भारतीय जनता पार्टी द्वारा आयोजित इस पत्रकार वार्ता में जिले के पूर्व प्रभारी मंत्री अमर अग्रवाल के साथ भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष लखन लाल देवांगन, भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य विकास महतो, पूर्व महापौर जोगेश लांबा, पूर्व जिला अध्यक्ष अशोक चावलानी, जिला कोषाध्यक्ष गोपाल मोदी मंचस्थ रहे ।पत्रकार वार्ता से पूर्व भारतीय जनता पार्टी जिला कार्यालय कोरबा मे 25 जून 1975 को कांग्रेस द्वारा लगाए गए आपातकाल के विषय पर आयोजित संगोष्ठी के कार्यक्रम को भी पूर्व प्रभारी मंत्री अमर अग्रवाल ने संबोधित किया इस संगोष्ठी कार्यक्रम में जिले के समस्त पदाधिकारी कार्यसमिति सदस्य मंडलों के अध्यक्ष एवं महामंत्री, मोर्चा तथा प्रकोष्ठ के अनेक पदाधिकारी मौजूद रहे ।

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