बिलासपुर है बस नाम की न्यायधानी ! यहाँ पुलिस ही होता पुलिस प्रताड़ना का शिकार……. जानिए पुलिस प्रताड़ना का शिकार एक पीड़ित आरक्षक की पूरी कहानी…..
बिलासपुर –कम ऐसा मामला आता है जब पीड़ित भी पुलिस ही हो पीड़ा देनेवाला भी पुलिस । प्रदेश की न्यायधानी के नाम से मशहूर बिलासपुर में कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है,यहाँ खाकी की बर्बरता का शिकार एक खाकीधारी ही हो रहा है। उसने कार्रवाई नहीं करने पर उच्च अधिकारियों का दरवाजा खटखटाया जाता तो नीचे के अधिकारी दबाव बनाकर मामला रफा दफा करने की बात करते है।पीड़ित बात पर राजी नहीं होता तो उस पर अपराध दर्ज करने की बात कही जाती है। दो वर्षो से न्याय के लिए भटक रहे पुलिस कर्मी को उसी के विभाग से न्याय नहीं मिल रहा है।उल्टा उसे ही पुलिस स्टाफ परेशान कर रहा है।बीते वर्ष के दिसंबर महीने से चल रहे इस आरोप प्रत्यारोप में पुलिस की ही फजीहत हो रही है।और यह आरोप
लगाने वाला भी पुलिस विभाग में पदस्थ प्रधान आरक्षक है। सोमवार को पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पीड़ित पक्ष अपने परिजनों के साथ न्याय की गुहार लगाई है और बिलासपुर एसपी को ज्ञापन देकर उचित कार्रवाई की मांग की है।दरअसल इस मामले में पीड़ित प्रधान आरक्षक संजय जोशी और उनके परिजन के अलावा साथी का आरोप है कि बीते 10 अप्रैल को कुटुंब न्यायालय प्रधान न्यायाधीश के समक्ष उनकी पेशी थी, जहां पर वो अपने परिवार के साथ गये हुए हुए थे । वहां से मुझे प्रधान आरक्षक नवीन सोनकर थाना सिविल लाईन, आरक्षक आशीष थाना सिविल लाईन एवं अन्य आरक्षकों द्वारा जबरदस्ती बिना नोटिस, बिना वारंट एवं बिना सूचना के बलपूर्वक में अपहरण कर थाना सिविल लाईन लाया गया, जहां पीड़ित द्वारा यह पूछा गया कि मुझे क्यों लेकर आए हो, तब मुंशी नवीन सोनकर द्वारा कहा गया कि हमें जो निर्देश मिला है जो हम कर रहे हैं । एक आरोपी आरक्षक को बचाने के लिए सीएसपी सिविल लाईन द्वारा मेरा अपहरण कराया जाना, जबकि मैं भी पुलिस विभाग से संबंधित और प्रधान आरक्षक हूं यह उचित नहीं है । इसके अलावा आरोपी अरुण कुमार कमलवंशी के द्वारा किए गए अपराधिक कृत्यों के लिए में विगत दो वर्षों से शिकायत कर रह हूं, उस पर आजपर्यंत कोई कार्रवाई नहीं की गई है, और ना ही उसे सीएसपी कार्यालय से हटाया गया है। जिसके कारण मुझे आज तक न्याय नहीं मिला है।आपको बताते चले की प्रधान आरक्षक संजय कुमार जोशी, 2री बटालियन छ.स.बल सकरी में पदस्थ है। जो ग्राम परसवा, थाना सकरी बिलासपुर निवासी है। सी.एस.पी. कार्यालय सिविल लाईन बिलासपुर में पदस्थ आरक्षक क्रमांक 840 अरुण कुमार कमलवंशी ने दिनांक 25 दिसंबर 2023 को रात्रि लगभग 09:00 बजे ग्राम परसदा स्थित मेरे निवास में, साइरन लगी बिना नंबर प्लेट की कार में चार-पांच असामाजिक तत्वों के साथ आकर मेरे घर में तोड़फोड़, आगजनी, गाली गलौज, एवं जान से मारने की धमकी दिया।जिसका सीसीटीवी फुटेज, ऑडियो रिकॉर्डिंग, एवं दो आई विटनेस साथियों के साथ सकरी में लिखित शिकायत की गई। लेकिन एक माह तक उस पर अपराध पंजीबद्ध नहीं किया गया था, उसके बाद पीड़ित के द्वारा पुलिस महानिरीक्षक महोदय बिलासपुर को अपराध पंजीबद्ध करने निर्देशित करने हेतु आवेदन पत्र प्रेषित किया।तब श्रीमान पुलिस महानिरीक्षक महोदय द्वारा एफआईआर कर त्वरित कार्यवाही करने हेतु अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महोदया ग्रामीण को निर्देशित किया गया, अतिरिक्त पुनिस अधीक्षक महोदय द्वारा थाना सकरी में एफआईआर, करने हेतु भेजा गया इसके बाद तत्कालीन सीएसपी सिविल लाईन संदीप पटेल का पीड़ित के पास फोन पर कॉल आया एवं अपने कार्यालय सिविल लाईन में उपस्थित होने के लिए कहा गया।जिसके आदेश पर मैं अपने भाई दूलाल मुखर्जी एवं यकीन गोरेलाल टंडन के साथ सिविल लाईन सीएसपी कार्यालय पहुंचा, जहां संदीप पटेल सर द्वारा मुझे अरुण कमलवंशी के खिलाफ एफआईआर नहीं कराने के लिए कहा गया, चूंकि आरोपी आरक्षक द्वारा मेरे ऊपर पूर्व में भी कई बार जानलेवा हमला एवं मेरे बेटे का अपहरण का प्रयास भी किया जा चुका है, जिसके वजह से मैं एफआईआर करने के बात पर अड़ा रहा,इसके बाद सीएसपी. संदीप पटेल सर द्वारा मुझे धमकी एवं अधील गाली गलौज करते हुए कहा गया कि अगर तू अरुण कमलवंशी के खिलाफ एफआईआर कराया तो तेरे खिलाफ भी फर्जी एफआईआर कराऊंगा । तुझे पहले जेल भेजूंगा कहा गया, इसके बाद में वहां से वापस आ गया और सकरी थाना में एफआईआर कराया उसके तुरंत बाद ही थाना सिविल लाईन में सीएसपी संदीप पटेल के आदेश पर मेरे खिलाफ गाली-गलौज एवं धमकी देने का आरोप लगाते हुए फर्जी एफआईआर कराया गया, जिस दिनांक को मेरे ऊपर आरोप लगाया गया है उस दिनांक को में अपने शासकीय ड्यूटी पर कोटा क्षेत्र में तैनात था, उसके बाद मेरे द्वारा लिखाई गई एफआईआर पर सबूत एवं साक्ष्य होने के बावजूद आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।