नौकरी का वादा पाकर ग्रामीणों ने दी थी जमीन,20 साल से दर दर भटकने को हुए मजबूर
कृषकों के लिए उसकी जमीन ही उसका सब कुछ होती है क्योंकि एक किसान अपनी आजीविका के लिए पूरी तरह अपनी जमीन पर ही निर्भर होता है।भरण पोषण का आसरा लिए बिलासपुर सीपत के ग्रामीणों ने 20 साल पूर्व एनटीपीसी को अपनी जमीने दी थी लेकिन उनका आसरा सिर्फ हवा हवाई बनकर रह गया आज तक कई ग्रामीणों को नौकरी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है एनटीपीसी की स्थापना के समय भूमि मालिकों को वादा किया गया था कि 1 एकड़ से अधिक भूमि मालिकों व उसके परिवार के सदस्यों को नौकरी दी जाएगी लेकिन जमीन देने के बाद आज तक ना एनटीपीसी ने उनकी सुनी और ना ही सरकार ने उनकी ओर ध्यान दिया इसी बीच आज बड़ी संख्या में एनटीपीसी भू विस्थापित कलेक्ट्रेट पहुंचे जहां उन्होंने बताया कि आज तक जितने भी माध्यम से किए गए थे उनका एक भी अमलीजामा पहनाया नहीं गया।
जब भी ग्रामीण एनटीपीसी जाते हैं तो उन्हें कलेक्ट्रेट का रास्ता दिखा दिया जाता है और जब जिलाधीश महोदय से मिलते हैं तो सिर्फ कार्रवाई का दिलासा दिया जाता है लेकिन अब तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई है इसलिए उनको दर-दर भटकने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।