
सीएसईबी बिलासपुर में बिलिंग घोटाले का संदेह गहराया…..सिरगिट्टी क्षेत्र में उपभोक्ताओं का फूटा गुस्सा…. विभाग की चुप्पी सवालों के घेरे में…..
बिलासपुर—सिरगिट्टी क्षेत्र में बिजली बिलिंग को लेकर उपभोक्ताओं के आक्रोश का पारा लगातार बढ़ रहा है। सीएसईबी पर गंभीर आरोप लग रहे हैं कि बिलिंग सिस्टम में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी और भ्रष्टाचार चल रहा है, जिसकी मार सीधे आम जनता पर पड़ रही है। उपभोक्ताओं की शिकायतें इस बात का संकेत दे रही हैं कि यह महज तकनीकी त्रुटि नहीं, बल्कि एक व्यापक समस्या बन चुकी है।

ताज़ा मामलों में एक उपभोक्ता को 582 यूनिट खपत पर 4,070 रुपये का बिल जारी किया गया, जबकि अगले ही बिलिंग साइकल में 577 यूनिट पर बिल सीधे 8,280 रुपये तक पहुंच गया। खपत लगभग समान, पर बिल दोगुना यह विरोधाभास न सिर्फ विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है बल्कि यह आशंका भी बढ़ाता है कि कहीं सिस्टम का दुरुपयोग तो नहीं हो रहा।

हर दिन सैकड़ों उपभोक्ता बिजली दफ्तर पहुंचकर अपना बिल सुधरवाने के लिए लाइन में खड़े रहते हैं। शिकायतों के मुताबिक, बिल सुधारने में घंटों लग जाते हैं, और कई बार उपभोक्ताओं को बार-बार चक्कर भी लगाने पड़ते हैं। विभाग के कर्मचारी ज्यादातर मामलों में “सॉफ्टवेयर की गलती” बताकर पीछा छुड़ा लेते हैं, लेकिन महीनों से जारी इस त्रुटि को ठीक क्यों नहीं किया गया।इसका कोई जवाब किसी अधिकारी के पास नहीं है।
चौंकाने वाली बात यह है कि जिन उपभोक्ताओं ने गलत बिल को सही मानकर भुगतान कर दिया, उनकी राशि न तो समायोजित की जाती है और न वापस मिलती है। यानी गलती विभाग की, नुकसान जनता का और जवाबदेही शून्य।
कई उपभोक्ताओं ने यह भी शिकायत की है कि मीटर रीडिंग कर्मी मनमर्जी से आते हैं और कई बार बिना मीटर देखे ही अनुमानित रीडिंग डालकर भारी-भरकम बिल जारी कर देते हैं। यह लापरवाही नहीं बल्कि उपभोक्ता अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है।
सिरगिट्टी क्षेत्र में अब हालत यह है कि उपभोक्ताओं का भरोसा बिजली विभाग पर से उठता जा रहा है। लोगों में विभागीय प्रक्रियाओं को लेकर आक्रोश तेजी से बढ़ रहा है। सवाल यह है।क्या यह सब सिर्फ लापरवाही है या फिर वाकई किसी गहरे भ्रष्टाचार की तरफ इशारा करता है?
उपभोक्ताओं की मांग है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो, बिलिंग सॉफ्टवेयर की तकनीकी ऑडिट करवाई जाए और दोषियों पर कार्रवाई हो। वहीं बिजली विभाग की चुप्पी और ढुलमुल जवाब स्थिति को और संदिग्ध बना रहे हैं।
अब देखना यह है कि प्रशासन इस बढ़ते जनाक्रोश और गंभीर आरोपों पर कब और कैसे कार्रवाई करता है, क्योंकि फायदा उठाने वाले चाहे जो हों नुकसान सिर्फ और सिर्फ आम जनता का हो रहा है।




