नई तकनीक: पानी से बनेगी 7700 मेगावॉट बिजली, छत्तीसगढ़ के पांच जगहों को चयन

कोरबा। हसदेव नदी में बांगो डेम के आसपास एक और जल विद्युत संयंत्र बनाने की तैयारी है। इस बार पंप स्टोरेज तकनीक से संयंत्र लगाया जाएगा। इसकी खासियत है कि पानी को ऊंचाई से नीचे टरबाइन में गिराकर बिजली बनाई जाएगी। फिर सोलर बिजली की मदद से वापस इसी पानी को ऊपर पहुंचाया जाएगा। इससे कम पानी में 12 सौ मेगावॉट क्षमता की बिजली बनेगी। प्रदेश में 7700 मेगावॉट के पांच पंप स्टोरेज हाइडल इलेक्ट्रिक प्लांट लगाने की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने का काम केंद्रीय एजेंसी वैपकास करेगी।

छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन कंपनी और केंद्र सरकार की एजेंसी वॉटर एंड पावर कंसल्टेंसी सर्विसेस (वैपकास लिमिटेड) ने इसके लिये कॉन्ट्रेक्ट एग्रीमेंट पर मंगलवार को हस्ताक्षर किए। पावर कंपनी के चेयरमैन अंकित आनंद (आईएएस) एवं प्रबंध निदेशक एन.के. बिजौरा की उपस्थिति में वैपकास के सीनियर एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अमिताभ त्रिपाठी एवं पावर कंपनी के मुख्य अभियंता (सीपी एंड बीडी) एच.एन. कोसरिया ने अनुबंध पत्र में हस्ताक्षर किए। जनरेशन कंपनी ने प्रदेश में ऐसे पांच स्थलों का चयन कर लिया है, जहां 7700 मेगावॉट बिजली उत्पादित होने का अनुमान है।

गुरुत्वाकर्षण स्थितिज ऊर्जा (कायनेटिक फोर्स) का उपयोग करते हुए पानी को निचले स्थान पर छोड़कर टरबाइन घुमाई जाती है, जिससे बिजली पैदा होती है। पुरानी तकनीक वाले जल विद्युत संयंत्रों में पानी नदी में बहा दिया जाता था, लेकिन नई तकनीक में टरबाइन से पानी गिरने के बाद उसे स्टोर किया जाता है और दिन के समय सौर ऊर्जा से मिलने वाली सस्ती बिजली से पानी को फिर से ऊपर वाले स्टोरेज में डाला जाता है। इससे एक ही पानी का उपयोग कई बार बिजली बनाने में किया जा सकता है।

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