पढ़ाने का ऐसा जुनून कि.. नाव से नदी पार कर जाते हैं देश के भविष्य का भविष्य गढ़ने.. 

दंतेवाड़ा जिले में एक ऐसा गुरु जी है.. जो किसी भी परिस्थिति में अपने विद्यार्थियों को शिक्षा देने के लिए तैयार और तत्पर रहते हैं.. हम बात कर रहे है.. जितेंद्र शर्मा की जो 5 किलोमीटर दूर से रोजाना ही नाव को ख़ुद ही चलाकर स्कूल आते है..उनकी कक्षा में 26 विद्यार्थी हैं.. 5 किलोमीटर का सफर रोज़ ही तरह तय करते है.. और वो बहुत ही सुखद अनुभव करते हैं कि.. वो बच्चो को शिक्षा दे रहे है.. एक तरफ जहां नक्सलवाद है.. दंतेवाड़ा जिले में पूरी तरह नक्सल का खौफ है.. वहीं बरसात के मौसम में इंद्रावती नदी को पार कर जाना सही नहीं होता है.. यहीं नहीं आने जाने के सारे मार्ग इतने ज्यादा खराब हैं कि पता नहीं चलता कि रास्तों पर गड्ढा है कि गड्ढों पर रास्ता..

जितेंद्र शर्मा कहते हैं कि बच्चों और गांव वाले का प्यार और सहयोग मिलने से आसान हुआ रास्ता। अब उन्हें 5 किलोमीटर की दूरी भी कम लगती हैं। गांव के सहयोग से मैंने कब 8 साल पार किए पता भी नहीं चला.. जितेंद्र शर्मा के सामने एक और समस्या आई लेकिन उसका भी हंस का सामना किया। बरसात के 4 महीनों में नदी को पार कर जाना उचित नहीं होता है। तो इसके लिए उन्होंने एक घोड़ा खरीदा अब उसे रोज आना जाना करते है.. आश्रित ग्राम होने के कारण भी वहा उतना अधिक विकास आज तक नहीं हुआ है.. जितेंद्र शर्मा ने शिक्षकों में अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है.. अपने काम के प्रति उनकी ये खुद्दारी देख कर उन्हें कई सम्मान भी मिले है..

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