बंद के दौरान टूटी आम आदमी की कमर.. जिला प्रशासन की लापरवाही या कालाबाजारी करने वालो की होशियारी.. अनलॉक के बाद क्या बदलेगी स्थिति..

कोरोना वैश्विक महामारी जहां एक ओर पूरे विश्व के लिए काल बनकर आई है.. वहीं आम आदमी और गरीब तबके के लोगों के लिए के घर की अर्थव्यवस्था बनाए रखने और आगे जीवन यापन में आने वाली कठिनाइयों का बड़ा सवाल भी साथ लेकर आई है.. कोरोना के लगातार बढ़ते मामले को लेकर विगत 22 सितंबर से राजधानी समय प्रदेश के कई जिलों में वहां के कलेक्टर ने लॉकडाउन की घोषणा की थी.. छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में भी लगातार कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने के बाद जिला कलेक्टर सारांश मित्तर ने जिले को कंटेनमेंट जोन घोषित करते हुए नगर निगम नगर पालिका और नगर पंचायत के इलाकों को बंद करने का निर्णय लिया था.. किराना और सब्जी व्यवसाय के बंद होने की वजह से आम आदमी को खासी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा था.. लेकिन जिस तरह लॉकडाउन में महंगाई अपने चरम पर पहुंची.. कहीं ना कहीं जिला प्रशासन और कालाबाजारी करने वाले व्यापारियों पर सवाल उठना लाजमी है..

जिला प्रशासन ने लॉकडाउन लगाते समय मूल्य नियंत्रण को लेकर कोई खास कदम नहीं उठाए थे.. जिसका असर साफ तौर पर देखने को मिला.. घर के रसोई खाने में मिलने वाली सामान्य चीजों की कीमतें भी आसमान छूती नजर आई.. टमाटर से लेकर प्याज, आलू समेत सब्जियों का रेट कालाबाजारीओ के जेब भरने का सुनहरा मौका बन गया.. लॉकडाउन की घोषणा के बाद से ही बाजारों में बेतरतीब मूल्यवृद्धि देखी गई.. बावजूद इसके आम आदमी के हितों को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने किसी भी प्रकार की कड़ा कदम नहीं उठाया.. राजधानी रायपुर और न्यायाधानी बिलासपुर में कल से लॉकडाउन खत्म कर बाजारों को खोला जा रहा है.. लेकिन जिस तरह सब्जियों और किराना सामानों के दाम पर आग लगी है उसे देखते हुए कहना गलत नहीं होगा कि.. अभी कुछ दिनों तक आम आदमी की थालियों से उनके मनपसंद सब्जियां और अन्य चीजें गायब रहने वाली है.. साथ ही किराना दुकानों में मिलने वाले सामानों की कीमतों पर भी अगर जिला प्रशासन कोई रुख नहीं अपनाया तो इसी तरह कालाबाजारी को बढ़ावा देकर कुछ व्यापारी आपदा को अवसर में बदलकर अपनी जेब जरूर भरेंगे.. वैसे भी पूर्व में भी देखा गया है कि..

बिलासपुर जिला प्रशासन मूल्य नियंत्रण को लेकर कभी भी गंभीर नजर नहीं आया है.. इस वजह से बिना गुमास्ता के दुकान चलाने वाले अवैध दुकानदार भी कालाबाजारी कर अपनी जेब भरने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं.. बोतल बंद पानी से लेकर शक्कर, दाल समेत कई महत्वपूर्ण चीजों के दामों पर अक्सर कालाबाजारी करने वाले व्यापारी मुनाफा कमाने में कोई कसर नहीं छोड़ते.. मूल्य निर्धारण और उसमें निरीक्षण की कमी के वजह से सामानों के दामों को कई गुना बढ़ा कर बेचा जाता है..

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