बिलासपुर कांग्रेस में एक बार फिर दो फाड़.. एल्डरमैन के नामों की सूची जारी होते ही इस्तीफों और विरोध की सामने आने लगी बात..
एल्डरमैन के नामों की सूची जारी होते ही एक बार फिर से कांग्रेस में घमासान चरम पर आ गया है..छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में कांग्रेस की मौजूदा गुटबाजी किसी से छुपी नहीं है.. विधानसभा चुनाव से लेकर नगर निगम चुनाव तक हर बार सभी स्तर पर गुटबाजी नजर आई है.. एल्डरमैन के नामों की सूची में विधायक शैलेश पांडेय की मर्जी चलने के बाद अटल श्रीवास्तव गुट फैसले से बेहद खफा नज़र आ रहा है.. कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष अटल श्रीवास्तव ने शोसल मीडिया में यहां तक कह दिया कि.. कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं के साथ नाइंसाफी की गई है.. कांग्रेस भवन में लाठी खाने वालों की बजाए चाटूकारों को सूची में स्थान मिला है.. जिनका टिकट आखिरी वक्त पर काट दिया गया था उनको एल्डरमैन बनाकर मनाने की कोशिश की गई है.. इसे लेकर आज कांग्रेस आईटी सेल के 2 दर्जन से अधिक कार्यकर्ताओं ने विधायक के कार्यालय पहुंचकर अपना इस्तीफा सौंप दिया.. उन्होंने कहा कि.. कांग्रेस के कई पुराने और समर्पित नेताओं को उम्मीद थी कि उन्हें अवसर मिलेगा लेकिन इसकी बजाय अयोग्य और चाटुकारों को ही अवसर मिला है..
सूची में शैलेंद्र जयसवाल का भी नाम शामिल है जो विधायक के करीबी है और वे पिछला चुनाव हार चुके है। सूची में काशी रात्रे और दीपांशु श्रीवास्तव के साथ अजरा खान का भी नाम शामिल है जिनका टिकट आखिरी वक्त पर काटा गया था, इसलिए माना जा रहा है कि.. इनको एल्डरमैन बनाकर उस वक्त किए गए वायदे को पूरा किया जा रहा है.. सुबोध केसरी और अखिलेश गुप्ता अप्रत्याशित नाम है जिन्हें विधायक कोटे से अवसर मिला है.. बिलासपुर कांग्रेस में दो फाड़ कोई आज के बाद नहीं है लेकिन जिस तरह से एल्डरमैन के नामों की सूची जारी की है आने वाले समय में यह बड़े विरोध का हमारा बनने के लिए काफी है सूची निकलते ही कुछ कांग्रेसी नेता पहले ही अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं वही समाज विशेष कोई स्थान ना मिलने पर कई स्थानीय नेता पार्टी से नाराज चल रहे हैं.. बता दें कि बिलासपुर नगर निगम बेलतरा विधानसभा के कई वार्ड आते हैं जहां से एक भी एल्डरमैन नहीं चुना गया कुछ नेता अंतिम समय पर टिकट काटे जाने के बाद शांत बैठे थे लेकिन अब एल्डरमैन के नामों की सूची आने के बाद उनकी भी आवाज मुखर होने लगी है.. 2 फाड़ में बढ़ चुके कांग्रेसियों में अब पार्टी आलाकमान किस तरह सामंजस्य स्थापित कर पाएगी या उसके लिए शायद टेढ़ी खीर साबित होगा..