बिहान से जुड़कर सुजाता बनी लखपति दीदी…..परिवार की बनी धुरी…..बच्चों के पढ़ाई में अब कोई बाधा नहीं आएगा आड़े….
बिलासपुर, 11 अक्टूबर 2024–राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़कर महिलाएं एक सफलता की इबारत लिख रही हैं। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन योजना से जुड़कर आज जिले की ग्रामीण महिलाओं ने स्वावलंबन की मिशाल पेश कर रही है। इसी के तहत मर्यादा स्व सहायता समूह की धौराभाठा की सुजाता दीदी ने कुछ अलग करने की सोची एवं समूह के माध्यम से सिलाई, बैग निर्माण, साबुन निर्माण, सब्जी बाड़ी और डिटर्जेन्ट पावडर निर्माण का कार्य करना प्रारम्भ की। इन गतिविधियों से सुजाता आज लखपति दीदी बन गई है। वे आज आत्मनिर्भर है। स्वास्थ्य शिक्षा एवं सामाजिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है। समूह के अध्यक्ष के रुप में श्रीमती सुजाता घृतलहरे ने अपनी बच्चों को अच्छी शिक्षा दे रही है।
बिल्हा ब्लॉक के ग्राम धौराभाठा की लखपति दीदी सुजाता घृतलहरे ने बताया कि इस योजना से अब वह न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर है बल्कि योजना से मिली राशि का उपयोग करते हुए वे स्वयं का व्यवसाय अपने घर से ही कर रही है। वे कहती है कि स्व सहायता समूह से जुड़ने के बाद महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ा है और इस माध्यम से वे बहुत कुछ सीख रहीं है। जानकारी मिलने के बाद स्व रोजगार स्थापित करने के संबंध में भी मार्गदर्शन मिला। योजना के तहत ऋण राशि स्वीकृत की गई, जिससे उसे अपना व्यवसाय स्थापित करने में मदद मिली। अब उसका परिवार आर्थिक रूप से सशक्तिकरण की ओर बढ़ रहा है।
सुजाता अपने बीते हुए दिनों के दिक्कतों को बताते हुए कहती है कि उनका परिवार केवल कृषि कार्य करते थे। एक वर्ष किसानी करने से केवल उनको सालाना 55 हजार ही कमाई हो पाता था जिससे उनके बच्चों के पढ़ाई और घर में आमदनी की तंगी बनी रहती थी। लेकिन समूह से जुड़ने के बाद 3 लाख तक का बैंक से लोन लेकर स्वयं का व्यवसाय अपने घर में ही स्थापित कर लिया है। सुजाता अब कृषि कार्यो के साथ ही घर पर ही बैग बनाने, डिटर्जेन्ट पाउडर बनाने, सब्जी बाड़ी करने, सिलाई कार्य के साथ साबुन निर्माण कर अपने परिवार को आर्थिक स्थिति में अपनी सहभागिता निभा रहीं है। उनका कृषि कार्य में 55 हजार रूपए, सिलाई कार्यो में 36 हजार रूपए, बैग बनाने में 36 हजार रूपए, साबुन बनाने में 24 हजार रूपए, डिटर्जेन्ट पाउडर बनाने में 36 हजार रूपए एवं सब्जी बाड़ी में 24 हजार रूपए कर पूरे साल का परिवार 2 लाख 11 हजार रूपए आमदनी कमा रहा है।
सुजाता कहती है कि केन्द्र एवं राज्य सरकार की महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की पहल उन जैसी सभी महिलाओं के लिए वरदान साबित हुआ है। वे अपने परिवार को स्वयं के रोजगार से आर्थिक तंगी से उबार रही है और अपने आस पास के लिए मिशाल साबित हो रही है। सुजाता ने योजना के लिए केन्द्र और राज्य सरकार का हृदय से आभार और धन्यवाद प्रकट किया।