बेपरवाह निगम प्रशासन….वाहवाही की होड़ में हुई बड़ी चूक…..जानिए क्या है पूरा मामला….
बिलासपुर–अपनी कार्यशैली को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहना वाला बिलासपुर का नगर निगम विभाग।शनिवार को एक दिन के बिलासपुर प्रवास में आए प्रदेश के मुख्यमंत्री जहां पर कई सौगातों के साथ लोकार्पण और शिलान्यास जैसे कार्यक्रम में शिरकत किए तो वही झूठी वाहवाही में मशगूल नगर निगम की घोर लापरवाही ने आम लोगों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है।
अरपा बैराज में पानी को रोकने से रपटा पुल पर पानी का स्तर बढ़ गया, लेकिन प्रशासन ने इसके लिए कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं किया।
यह घटना नगर निगम की लापरवाही और सुरक्षा व्यवस्था में कमी को दर्शाती है।आपको बताते चले कि प्रदेश के मुख्यमंत्री का बिलासपुर आगमन, रावत नाच महोत्सव,और शहर में चल रहे वैवाहिक कार्यक्रम के कारण शहर में भीड़ के साथ गाड़ी मोटर की का दबाव बहुत ही ज़्यादा हो चला था।जिसके कारण लोग रपटा पुल से आने जाने लगे।
इससे ट्रैफ़िक का दबाव बहुत ही ज्यादा बढ़ने लगा और रपटा पुल में पानी बिल्कुल पुल के बराबर हो चला था।वैसे भी इस मार्ग में प्रकाश की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां पर अंधेरा बना रहता है।जिसके कारण लोगों को पानी की गहराई का पता नहीं चल पा रहा था। अचानक नदी पानी रोक दिए जाने के कारण जल स्तर बढ़ने लगा और ऊपर आने लगा इस कारण आने जाने वाले राहगीर सकते में पढ़ गए,और उनके मन में एक अजीब सा डर भी देखने को मिला।इस रास्ते से आने जाने वाले की जान जोखिम में पड़ गई थी। अगर लोग पानी में गिरते, तो इसकी जवाबदारी किसकी होती?
इस लापरवाही के कारण एक बाइक दुर्घटना भी हुई, जिसमें एक बच्चा और युवक शामिल थे। उन्होंने बताया कि अगर वे पानी में गिरते, तो कुछ भी हो सकता था। यह घटना नगर निगम की घोर लापरवाही को दर्शाती है और यह सवाल कि क्या नगर निगम के अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को समझते हैं?
श्रीराम सेतु के लिए रोका गया पानी
बताया जा रहा की मुख्यमंत्री के सामने झूठी वाहवाही और अपनी पीठ थपथपाने के लिए नदी के पानी को रोक दिया गया।पानी रोकने से राम सेतु के तरफ पानी रुक गया,और अधिक आकर्षक के साथ मनमोहक बनाने के लिए नदी के पानी में जलते दीपक के साथ इसे और मनोरम बनाने के लिए किया गया।
वही बड़ी संख्या में आम जनता के माध्यम से दीपक को प्रज्वलित कर जलते दीपक को पानी में छोड़ा गया।लेकिन वही निगम से यह एक बड़ी चूक हो गई और कार्यक्रम होने के बाद गेट को खोलने के बोलना भूल गए।जिसके कारण यह स्थिति सामने एक बड़ी लापरवाही के रूप में सामने आ गई।
नगर निगम आयुक्त अमित कुमार से बात करने पर उन्होंने इस विषय में कोई जानकारी नहीं होने की बात कही। यह बयान नगर निगम की लापरवाही और असंवेदनशीलता को दर्शाता है। यह सवाल उठाता है कि क्या नगर निगम के अधिकारी आम लोगों की सुरक्षा के लिए कुछ कर रहे हैं?