अपराधी की धरपकड़ हुई तेज पर अपराध में कमी नही,ये है छत्तीसगढ़ पुलिस का एक दृश्य
अशोक कुमार धमतरी
हाल ही कुछ दिनों से छत्तीसगढ़ पुलिस की गजब की अपराध अनुसंधान शक्ति देखने मिल रही है, छत्तीसगढ़ पुलिस के कई थाना प्रभारियों को माने तेज विवेचना करने के लिए हैरी पॉटर की जादू की झाड़ू मिल गई है और जैसे ही अपराध की कायमी होती है वैसे ही अपराधी स्वयं थाना आकर अपने आपको सौंप कर सारे गुनाहों को स्वीकार कर लेता है और दरोगा साहब को सारे सबूत भी देता है। अपराध और अपराधी समाज के मुख्य परेशानी रहे हैं। खासकर बच्चों और महिलाओं से सम्बन्धी अपराध होने से हर व्यक्ति दुखी होता है और समाज के हर वर्ग में गुस्से की भावना आती है।हर तरफ अनाचार की घटनाएं आए दिन हो रही हैं और पुलिस ऐसे अपराध को रोकने और आरोपियों को पकड़ने में भी सफलता पाती है। अपराध करने से सजा मिलने का डर अपराधियों के मन में रहता है, जो जरूरी भी है। कानून के राज से समाज में बैलेंस बना रहता है। महिलाओ से छेडछाड, अनाचार के मामलो में पुलिस ने पिछले कुछ दिनों में कहीं एक माह, तो कहीं एक दिन में ही चार्जशीट कोर्ट में पेश की है, जिसकी काफी वाहवाही पुलीस को मिल रही है, पर क्या चार्जशीट पेश कर देने भर से महिलाओं से संबंधित घिनौने अपराध में कमी आयेगी? यदि ऐसा करने से अपराध में एक प्रतिशत भी कमी आती है तो पुलिस का यह कार्य अत्यंत ही सराहनीय होगा और मील का पत्थर भी साबित होगा!
कानून की प्रक्रिया किताब में बताया गया है कि किस अपराध मे अपराधी को थाना से ही छोड़ा जायेगा और किस अपराध मे रिमांड मे जेल भेजा जायेगा, यह सब सामान्य या गम्भीर अपराध की प्रकृति के आधार पर निर्धारित किया गया है। पुलिस एक दो दिन, हफ्ते माह भर में कोर्ट में चार्जशीट पेश कर रही है जो बहुत सारी जिज्ञासाओं को जन्म दे रही है।।।
क्या पुलिस इतने कम समय में अपराधी के विरुद्ध संदेह से परे सुद्ध सबूत कोर्ट के सामने रख पा रही है या जैसे तैसे कर चार्जशीट बना दिया जा रहा है, यदि सबूत संदेह से परे नहीं होंगे तो इसका लाभ अपराधी कोे ही मिलेगा और अपराधी सज़ा से बच जाएगा। यह तो कानूनी प्रक्रिया है, बलात्कार के अपराधी कोे तीन माह तक रिमांड में जेल में रखा जा सकता है और जेल की यह अवधि भी अपराधी के लिए सबक होती है पर जल्दी से चार्जशीट पेश हो जाने से अपराधी कोे जमानत मिलने की संभावना भी बढ़ जाती है। क्या जल्दी से जमानत मील जाने से अपराधी के मन में कानून का भय खत्म हो सकता है।