छत्तीसगढ़ के हाइकर्स ने समृद्ध होने उत्तरी भारत का किया भ्रमण,जम्मू, कटरा, लेह, लद्दाख व वैष्णों देवी में किया हाईकिंग
रायपुर-भारत स्काउट्स एवं गाइड्स छत्तीसगढ़ के तत्वाधान में आयोजित राज्य स्तरीय हाईक कार्यक्रम के दौरान उत्तरी भारत के विभिन्न पर्यटन स्थलों का राज्य मुख्य आयुक्त विनोद सेवनलाल चंद्राकर व भारत स्काउट गाइड राज्य सचिव कैलाश सोनी जी के निर्देशन में भ्रमण कराया गया। इस कार्यक्रम में राज्य भर के विभिन्न जिलों के स्काउटर गाइडर शामिल थे।
ज्ञात हो कि बीते दिनों भारत स्काउट गाइड छत्तीसगढ़ से राज्य स्तरीय हाईक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है जिसमें छत्तीसगढ़ से 90 स्काउटर गाइडर शामिल हुए हैं। इस कार्यक्रम में लेह के लेह के शांति स्तूप के बारे में जानकारी एकत्र किए।
शांति स्तूप के बारे में बता दें कि यह विश्व शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने के साथ-साथ बौद्ध धर्म के 2500 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में बनाया गया, शांति स्तूप लेह में प्रमुख आकर्षण है। पहाड़ की चोटी पर स्थित, यह धार्मिक स्थान शहर और आसपास के मनोरम दृश्य भी प्रस्तुत करता है।
लेह में यह आकर्षण जापानी बौद्ध भिक्षु द्वारा पीस पैगोडा मिशन के एक हिस्से में बनाया गया था। स्तूप के नीचे बुद्ध का अवशेष है। शांति स्तूप की यात्रा के लिए सूर्योदय और सूर्यास्त को दिन का सबसे अच्छा समय माना जाता है।
भारत स्काउट गाइड राज्य सचिव कैलाश सोनी जी ने हाईक के बारे में बताया कि हमारे हाइकर्स जम्मू के सोनमर्ग में ग्लेशियर से आच्छादित पहाड़ों को करीब से देखा व वहां मौसम परिवर्तन की जानकारी ली गई। इस क्षेत्र में स्नो फॉल होना और बारिश होना धूप छांव जैसा होता है। तत्पश्चात हाइकर्स लेह क्षेत्र पहुंचा वहां राजा पैलेस प्रसिद्ध है जो नौ मंजिला ऊंचा है, जिसकी ऊपरी मंजिलें पहले शाही परिवार को समायोजित करती है, जबकि निचली मंजिलों में स्टोर रूम और अस्तबल बने थे। लेह पैलेस का एक बड़ा हिस्सा जीर्ण-शीर्ण है, हालांकि पैलेस संग्रहालय में तिब्बती चित्रों या थांगका के साथ गहने, आभूषण, मुकुट और औपचारिक पोशाक का एक आकर्षक संग्रह है, जो 450 साल पहले का है। इसमें जटिल डिजाइन और जीवंत रंग पाउडर और कुचल पत्थरों और रत्नों से प्राप्त होते हैं। महल के आधार के आसपास की संरचनाओं में प्रसिद्ध नामग्याल स्तूप और इसके सुंदर भित्ति चित्रों के साथ चंदाजिक गोम्पा और चंबा लखंग शामिल हैं जो 1430 से पहले के हैं। मध्यकालीन युग के भित्ति चित्र के कुछ अवशेष अभी भी यहां मौजूद हैं। उसके बाद छत्तीसगढ़ के हाइकर्स ने प्रसिद्ध रैंचोस स्कूल का भ्रमण किया जहां स्थानीय लोग अभी भी इसे ड्रुक पद्म कार्पो स्कूल कहते हैं और वे बौद्ध परंपरा और दर्शन पर बहुत गर्व करते हैं जिसके साथ इसे बनाया गया था, प्रिंसिपल स्टेनज़िन कुंजांग थे।
उन्होंने कहा कि लद्दाख के इस ठंडे रेगिस्तान में संस्था इस हिमालयी क्षेत्र के बच्चों को विश्व स्तरीय शिक्षा प्रदान करती है और बताया इसमें खानाबदोश जनजाति के बच्चे भी शामिल हैं।
लेह के विश्व प्रसिद्ध सबसे सुंदर व स्वच्छ पेन्गोंग झील का हाइकर्स ने किया भ्रमण
राज्य स्तरीय हाईक में शामिल राज्य सहायक आयुक्त रामदत्त पटेल ने बताया कि हमारे हाइकर्स ने विश्वप्रसिद्ध रंग बदलने वाली सबसे सुंदर व स्वच्छ पेन्गोंग झील का भ्रमण किया जहां सभी हाइकर्स ने झील की खूबियों व इसकी बदलती पानी के रंग का गहन अध्ययन किया और ग्लेशियर से आच्छादित पहाड़ों के मनोरम दृश्य का आनंद लिया। पेन्गोंग झील का पानी समय समय पर बदलते रहता है जिसको हमने करीब से देखा।
हेमिस म्यूजियम में वर्षों पुराने वस्तुओं को संरक्षित किया गया है
लेह में पुराने और प्रसिद्ध हेमिस म्यूजियम है जहां देखने रोजाना पर्यटक लोग आते हैं। यह टूरिस्ट पॉइंट है जहां एक भव्य मंदिर है। हेमिस म्यूजियम में अनेक प्रकार के प्राचीन उपयोग में लाये गए हथियार है। उस समय संदेश भेजने के लिए उपयोग करने वाले कॉटन के कपड़े से बना चिठ्ठी शामिल है। अनेक प्राचीन बर्तन मिले जो लेह लद्दाख के राजा और सेना लोग उपयोग करते थे। जिसे हाइकर्स ने देखा और समझा कि वहां प्राचीन समय में इसी प्रकार के अस्त्र शस्त्र और बर्तन उपयोग करते थे।
कारगिल वॉर मेमोरियल जाकर शहीदों के लिए मौन के साथ श्रद्धांजलि दी
भारत स्काउट गाइड के हाइकर्स ने कारगिल वॉर मेमोरियल जाकर कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों के आत्मा की शांति के लिए सभी हाइकर्स मौन धारण के साथ उनके आत्मा की शांति के किये श्रद्धांजलि अर्पित किए। कारगिल युद्ध में हमारे देश के अनेक जवान शहीद हो गए हैं। जो अपने देश की रक्षा करते करते अपने प्राणों की आहुति दे दी।
कटरा में वैष्णों देवी के साथ अनेक दार्शनिक स्थलों को देखा
इस कार्यक्रम के प्रभारी संचालक डॉ. करुणा मसीह ने कहा राज्य स्तरीय हाईक के दौरान हमारे छत्तीसगढ़ के हाइकर्स ने कटरा के विश्व प्रसिद्ध व सिद्ध वैष्णों देवी का दर्शन किया सभी वहां के आध्यात्मिक गतिविधियों को देखा, जाना और समझा। वहां व्यापारिक अवसर व सामंजस्य का बारीकी से अध्ययन किया साथ ही साथ सभी हाइकर्स कटरा अनेक पर्यटन जगहों के साथ बाजार का भी लुत्फ उठाया। फिर हमारे हाइकर्स जम्मू पहुंचे वहां सुजातगढ़ के भारत पाक बीएसएफ बॉर्डर के भ्रमण पर गए वहां उन्होंने भारत और पाक के सीमा का बंटवारा पर सीमा में रखे पत्थर जो एक पीपल पेड़ के बीचों बीच आ गया है यहां मजे की बात ये है कि यह पीपल पेड़ का आधा हिस्सा भारत के कब्जे में है और आधा पाक के कब्जे में है। जिसके बारे में जानकारी ली गई साथ ही साथ बीएसएफ बॉर्डर पर भारत के द्वारा अनेक कार्यक्रम को हाइकर्स ने देखा,खूब आनंद लिए व जोशीले भरे अंदाज में वहां के कार्यक्रम का दीदार किये।
पश्चात हाइकर्स सुबह दिल्ली पहुंचे शाम ट्रेन के इंतजार में रहे अधिकांश हाइकर्स दिल्ली के अनेक जगहों में इस्कॉन टेम्पल, कुतुब मीनार, लोटस टेम्पल, इंडिया गेट, लाल किला, राज घाट व हिमायूँ का मकबरा को देखकर उनके खूबियों के बारे में अध्ययन किये।
इस हाईक कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के स्काउटर गाइडर ने हाईक के दौरान अनेक जगहों के परिवेश, संस्कृति व व्यवसाय की जानकारी के साथ अनेक पर्यावरणीय जानकारी प्राप्त किये जो विद्यालयीन छात्राओं के लिए उपयोगी है यह बात मीडिया प्रभारी कृष्ण कुमार ध्रुव ने कही। इस कार्यक्रम में राज्य मुख्यालय से राज्य मुख्यालय के पदाधिकारी रामदत्त पटेल, राज्य सहायक संगठन आयुक्त त्रिभुवन शर्मा, बीरेंद्र कुमार चौधरी, दिलीप पटेल, ईनु राम वर्मा, डॉ. करूणा मसीह, तमन्ना पटेल, मितेन गणवीर, चंदन चन्द्राकर, किरण चन्द्राकर, प्रियंका सिंह, रूकसार परवीन, नरेश कंवर, शहनवाज खान, बालोद से चूर्णिका सोनबेर, ज्योति प्रसाद, सूरजपुर से रामदत्त पटेल,कृष्ण कुमार ध्रुव, राकेश सिंह, आनंद कुमार साहू, रश्मि चौधरी, सोना सिंह, आनंद चौधरी, बलरामपुर से अनिता नायक, शीला सुमन, आशीष पटेल, कोरिया से शशी निर्मला तिग्गा, बलौदाबाजार से नेहा उपाध्याय, रजनीकला पाटकर, अजय कुमार उपाध्याय, धनेश्वर प्रसाद वर्मा, ईनुराम वर्मा, मनीष कुमार बघेल, कीर्ति वर्मा, सुश्री आरती सार्वा, सुश्री पुष्पा वर्मा, योगेश्वर प्रसाद साहू, टेकराम यादव, कोंडागांव से चमन लाल सोरी, मनीराम साहू, शशिकला ठाकुर, सुश्री भुनेश्वरी धामड़े, मुंगेली से नीलम खरे, वर्षा तिवारी, दंतेवाड़ा दलबाई नेताम, प्रफुल्ल नेताम, राजनांदगांव से जागृति तिवारी तिलेश्वर बघेल, बेमेतरा से हिरउ राम ध्रुव, अनिल कुमार वर्मा, अनुज साहू, पोखन साहू, बीजापुर से नंदकिशोर कश्यप, गोविंद कुमार नाग, लावेन्द्र कुमार ठाकुर, सक्ति से राजेश कुमार नायक, देवनारायण सिदार, विभूति भूषण गुप्ता, गरियाबंद से महेन्द्र कुमार पंत, आशीष कुमार साहू, दुर्गेश कुमार साहू, सीमा साहू, रविशंकर साहू, बिलासपुर से लक्ष्मण रजक, महासमुंद कमल लुनिया, शैलेन्द्र नायक, राजेश शर्मा, कुणाल चंद्राकर, उमेद निषाद, खिलावन साहू, अनिमेश चंद्राकर, आयुष चंद्राकर, राजीव कुमार तिवारी, कौशलेन्द्र वैष्णव, वेददेव वर्मा, कोरबा से दिगम्बर कौशिक, उत्तरा मानिकपुरी, राजीव साहू, बस्तर से जमुना ठाकुर, पूनम गुप्ता, राहूल सिंह ठाकुर, कृष्ण कुमार मोर्य, कांकेर डॉली मेश्राम, हेमेन्द्र साहसी, संतोष जायसवाल, धमतरी से डोलेश्वरी साहू, राजेश कुमार अनंत, विष्णुप्रसाद सोनवानी, सुकमा आशीष कुमार राम व रायपुर से विक्रम सिंह चंदेल इस कार्यक्रम में शामिल हैं।