कोयले आपूर्ति को लेकर पॉवर प्लांट के लोगो ने एसईसीएल को दिया ज्ञापन

बिलासपुर -कोरबा के पॉवर प्लांट में कोयले की आपूर्ति बाधित होने पर इसकी खिलाफत करने क्षेत्र के लोगों ने एसईसीएल को ज्ञापन सौंपा, और मांगे पूरी न होने पर उग्र आंदोलन की बात कही।

कोरबा क्षेत्र से शिकायत करने पहुंचे लोगों के मुताबिक प्रदेश में केंद्र शासन , राज्य शासन के साथ ही निजी क्षेत्र कंपनियां अपने उत्पादों के जरिए और नागरिकों को रोजगार मुहैया कराते हुए प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे है, लेकिन कुछ समय से प्रदेश के उद्योग को प्राथमिकता के साथ कोयला उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है, जिन उद्योगों का दीर्घकालिक फ्यूल सेल एग्रीमेंट ( एफएसए ) एसईसीएल के साथ है। एसईसीएल ने अपने उपभोक्ताओं के साथ एफएसए के नवीनीकरण से मना कर दिया है। पर्याप्त संसाधनों बावजूद एसईसीएल कोयले के उत्पादन में लगातार पिछड़ रहा है । एसईसीएल द्वारा राज्य की बहुमूल्य संपदा कोयला को दोहन तो किया जा रहा है परंतु वह कोयला छत्तीसगढ़ के कैप्टिव विद्युत संयंत्रों के पहुंचने की बजाए राज्य के बाहर के उद्योगों को दिया जा है।

एसईसीएल की खदानों से 11 मिलियन मीट्रिक टन कोयले का उत्पादन होता है । इसमें से 7 मिलियन मीट्रिक टन कोयला प्रतिमाह छत्तीसगढ़ के विद्युत संयंत्रों में खप जाता है। जबकि प्रतिमाह एसईसीएल मात्र 6 मिलियन मीट्रिक टन कोयला उत्पादन कर रहा है, ऐसे में राज्य के संयंत्रों में 5 मिलि मीट्रिक टन कोयले की कमी हो गई है । एसईसीएल द्वारा कोयले की पर्याप्त आपूर्ति नहीं किए जाने के कारण छत्तीसगढ़ के कैप्टिव विद्युत संयंत्रों में कोयले स्टॉक अक्टूबर , 2021 में तीन दिनों की क्रिटिकल स्थिति में पहुंच गया है । एसईसीएल का गैर जिम्मेदाराना रवैया छत्तीसगढ़ के हजारों कामगारों की रोजी – रोटी पर विपरीत असर डालने वाला है ।

क्षेत्र के लोगों की मांग है, कि छत्तीसगढ़ में सीपीपी आधारित उद्योगों को उनके हक का पूरा कोयला मिले । राज्य से बाहर भेजे जा रहे कोयले पर तत्काल रोक लगाई जाए । ऐसा न होने पर हमारे प्रदेश के उद्योग तालाबंदी की स्थिति में पहुंच सकते हैं । सी . पी . पी से संचालित हो रही इकाइयों में बड़ी संख्या में स्थानीय तथा देश के कोने – कोने से आए तकनीशियन अपनी सेवाएं दे रहे है । यदि सी . पी . पी . की ऊर्जा पर आधारित इकाइयों का प्रचालन बंद होता है अथवा इनमें उत्पादन कम होता है तो इसका विपरीत असर इन कारखानों में नियोजित लाखों कामगारों और उनके परिवारों पर पड़ेगा।

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