
वर्षों से जमे अधिकारी पर संगीन आरोप……रिश्तेदार चला रहे राशन दुकान…… चावल चोरी में संरक्षण देने और फ़ाइल दबाने का आरोप….गंभीर शिकायतों के बाद तत्कालीन कलेक्टर ने किया था लाइन अटैच…..वायरल वीडियो
बिलासपुर- जिले खाद्य विभाग में वर्षों से पदस्थ एक अधिकारी को लेकर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगातार सामने आ रहे हैं। यह अधिकारी जहां एक ओर नियमों को ताक पर रखकर लंबे समय से एक ही पद पर जमे हुए हैं, वहीं दूसरी ओर उनके निजी स्वार्थ और पारिवारिक लाभ के लिए विभाग का दुरुपयोग करने के भी संकेत मिल रहे हैं। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह खाद्य विभाग का अधिकारी पिछले तकरीबन 6 सालों से ज्यादा से बिलासपुर जिले में पदस्थ है जिसके चलते चावल की कालाबाजारी करने वाले से इनका और संचालकों का जमकर आर्थिक फायदा हो रहा है।गौरतलब है कि कुछ महीनों पहले ही ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी चावल की अफरा तफरी में मामले की फाइल को दबाने सहित गम्भीर आरोपों के बाद तत्कालीन कलेक्टर अवनीश शरण ने इस अफसर को लाइन अटैच कर दिया था।
सूत्रों के अनुसार, उक्त अधिकारी के रिश्तेदार खुद राशन दुकान के संचालक हैं, जिसके खिलाफ चावल चोरी करने के पुख्ता प्रमाण साबित होने के बाद भी इस अधिकारी ने अपने रिश्तेदार को बचाने में लगा हुआ है और जांच रिपोर्ट की दबा कर रखा हुआ है।विभागीय पद पर रहते हुए वह उनके हितों की रक्षा कर रहे हैं। ऐसे में खाद्य सुरक्षा योजनाओं की निष्पक्षता पर बड़ा सवाल खड़ा होता है। विभागीय सूत्रों की माने तो ग्रामीण क्षेत्रों में गड़बड़ी की शिकायत के बाद लाइन अटैच किए गए इस अफसर को वर्तमान खाद्य नियंत्रक शहरी क्षेत्र की बड़ी जिम्मेदारी देने के फिराक में है । ताकि संरक्षण में चावल की कालाबाजारी जम कर की जा सके।
राशन घोटालेबाजों से घनिष्ठ संबंध, चावल चोरी पर मौन
स्थानीय लोगों और शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि इस अधिकारी के राशन घोटाले में लिप्त लोगों से गहरे संबंध हैं। पीडीएस प्रणाली में चावल की चोरी और कालाबाजारी जैसे मामलों में जब भी कोई शिकायत होती है, उन पर न तो कोई कार्रवाई होती है और न ही जांच आगे बढ़ती है।
यहां तक कहा जा रहा है कि चावल चोरी करने वालों को इस अधिकारी का संरक्षण प्राप्त है। जब कोई भी कार्रवाई होती है, तो उन्हें बचाने की कोशिशें शुरू हो जाती हैं। इससे साफ है कि भ्रष्टाचार केवल कार्यालय तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी जड़ें व्यक्तिगत और पारिवारिक लाभ तक फैली हुई हैं।
फाइल दबाने और कलेक्टर द्वारा कार्रवाई इतना सब होने के बावजूद अब तक अधिकारी पर कोई खास असर नहीं हुआ है, वरन एक बार फिर उनका मकड़जाल बढ़ता जा रहा है, विभागीय सूत्रों की मानें तो शहर में राशन दुकान संचालकों को संरक्षण देने की बात भी सामने आई है।
विभागीय सूत्रों का कहना है कि अधिकारी को ऊंचे स्तर पर किसी का संरक्षण प्राप्त है, जिसके चलते वे वर्षों जिले में जमा होकर अपनी मर्जी से काम कर रहे हैं, और उनके खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया जा सका है।
अब क्या सरकार जागेगी……?
अब यह देखना बाकी है कि छत्तीसगढ़ शासन और जिला प्रशासन सहित बिलासपुर कलेक्टर इस गंभीर मामले का संज्ञान लेकर क्या कार्रवाई करते है। क्या वर्षो से जमा भ्रष्टाचार का ये किला टूटेगा? या यह मामला भी बाकी शिकायतों की तरह “फाइलों” में दफन होकर रह जाएगा?