अव्यवस्था और बदहाली में सिम्स अस्पताल….घंटो स्ट्रेचर में रखे रहे मरीज को…..वार्ड में बेड की कमी से जूझता सिम्स अस्पताल…रात होते ही सिम्स भगवान भरोसे…..

बिलासपुर–हाईकोर्ट की फटकार और लताड़ के बाद भी सिम्स में अब तक स्वास्थ सेवा के हालात में कोई सुधार नहीं हो पा रहा है।जिसके कारण मरीज और परिजनों को काफी दिक्कतो का सामना करना पड़ रहा है।सिम्स प्रबंधन बेहतर स्वास्थ सेवा की चाहे लाख दावे कर लेवे लेकिन जमीनी हकीकत कुछ ओर ही बयां कर रही है।आज भी उपचार के लिए आए मरीजों को स्वास्थ लाभ के लिए काफी जद्दोजहद करना पड़ता है।

आपको बताते चले की बुधवार की देर रात सिम्स उपचार के लिए मरीज आए,जहा पर आपातकालीन में प्राथमिक उपचार के बाद वार्ड में भर्ती करने को कहा गया।जिसके लिए पर्ची कटा लेने के बाद केजवल्टी वार्ड में भेज दिया गया।लेकिन इस वार्ड में एक भी बेड खाली नहीं था।रात बारह बजे से आए मरीज और उनके परिजन परेशान होते रहे।वही मरीज वार्ड के गेट में खाली पड़ी कुर्सी पर बैठा रहा।लेकिन मरीज के लिए सिम्स प्रबधन बेड उपलब्ध नहीं करा पाया।वही लंबे इंतजार के बाद रात तीन के बजे के बाद आनन फानन में बेड उपलब्ध करा के मरीज को भर्ती किया गया।लेकिन उक्त मरीज के उपचार के लिए ना तो डॉक्टर आए ना ही नर्स।वही मरीज के लिए कुछ टेस्ट लिखा गया था।जिसमे सिटी स्कैन करना था लेकिन सिटी स्कैन सेंटर में कोई भी कर्मचारी अधिकारी नही थे।जिसके कारण वह नही हुआ।केजवल्टी वार्ड में पूछने पर बताया गया की मशीन गरम हो जाती है।इसलिए एक दो घंटे के लिए उसे ठंडा करने के लिए बंद कर दिया जाता है।जैसे ही मशीन ठंडी हो जायेगी सिटी स्कैन करने वाले स्टाफ आ जायेंगे।

लिफ्ट बंद

शासन के द्वारा लाखो रूपय खर्च कर दिए गए लेकिन अव्यवस्था का आलम यह की मरीजों के लिए लगी लिफ्ट बंद हो जाती है।जिसके कारण घूम कर आना जाना पड़ता है।जबकि लिफ्ट के बगल से ऊपर जाने के लिए सीढ़ी है लेकिन उस सीढ़ी का प्रयोग नही कर सकते क्योंकि ऊपर दरवाजा बंद कर दिया जाता है।दरवाजा बंद इसलिए किया जाता वहा पर अवांछित लोगो का आना जाना होता है,और सिम्स परिसर में चोरी की घटना घटित होती है।जिसके कारण यह कदम उठाया गया है।अब सवाल यह उठता है कि आखिर सुरक्षा को लेकर निजी सुरक्षा कंपनी को वहा पर ठेका दिया है।फिर सिम्स असुरक्षित क्यू?

अपनी बदहाली की दास्तां बयां करता सिम्स अस्पताल

बदहाली का आलम यह की एक सिरे से लेकर अंतिम सिरे तक खामियों से पटा पड़ा है सिम्स अस्पताल।प्रशानिक प्रबंधन की विफलता कह ले या लापरवाही।जिस कार्य के लिए यह संचालित किया गया है।उस कार्य में विफल नजर आ रहा है।बेहतर स्वास्थ लाभ मिले इसकी कोई गारंटी नहीं है।जैसे जैसे रात होती है वैसे वैसे यहां की बदहाली अपनी चरम सीमा में पहुंचने लगती है।धीरे धीरे यहां का स्टाफ नदारत होने लगता है।फिर वार्ड का पूरा दारोमदार गार्ड पर आ जाता है।मौजूद गार्ड को मरीज और उनके परिजनों को झेलना पड़ता है।

मरीज को बेड का इंतजार

बुधवार को सिम्स के आपातकालीन में आए दो मामले में प्राथमिक उपचार के बाद वार्ड में भर्ती करने के लिए भेज दिया गया।लेकिन आप देख सकते है।की कैसे वार्ड में बेड खाली नहीं होने पर एक स्ट्रेचर में लेटा था दूसरा वहा पर रखी कुर्सी में बैठ कर अपने इलाज के लिए इंतजार करता रहा। घंटो इसी अवस्था में होने के बाद भी उस वार्ड में उनको देखने सुनने वाला कोई नहीं था।इस मामले में एक निजी कंपनी का सुरक्षा कर्मी को किसी अज्ञात मोटरसाइकिल वाले ने ठोकर मार दी जिसके कारण उस सुरक्षा कर्मी के मुंह में चोट आई थी।चोट ज्यादा होने के कारण उसे वार्ड में इलाज के लिए भेज दिया गया लेकिन वह मां मरीज कुर्सी पर बैठा रहा और उनके परिजन बाहर खड़े होकर इंतजार करते है, बेड के इंतजार में।परिजन ने बताया की पर्ची कटा ली गई और यह नही बताया गया की बेड खाली है।ऊपर लाकर छोड़ कर चले गए।

डिजिटल पेमेंट की व्यवस्था नही

आज पूरा देश ऑनलाइन और डिजिटल इंडिया की और अग्रसर है।तो वही सिम्स इस व्यवस्था से कोसों दूर नजर आ रहा है।देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्त्वकांछी योजना में एक यह योजना भी जिसमे ऑनलाइन पेमेंट कर डिजिटल ट्रांजेक्शन को आगे बढ़ाया जा सके। इस व्यवस्था को मजबूती के साथ जोर देकर हर स्तर पर कार्य किया जा रहा है।पर सिम्स अस्पताल ऐसी किसी भी प्रकार की कोई भी व्यवस्था नहीं है।जो भी वहा पर करना है आप नगद रकम का भुगतान करके करे।

बयान

इस मामले को लेकर सिम्स के एमएस डॉक्टर एसके नायक ने बताया की यहां पर स्टाफ की कमी है।जितने स्टाफ है वह बहुत ही कम है।शासन को इस मामले में अवगत कराने के लिए पत्र लिखा जा चुका है।कमी को लेकर शासन का हवाला दिया गाय। तो वही।निजी अस्पताल जैसे स्टाफ का भी हवाला दिया गया।

बहरहाल इस बात से तो यह तो स्पष्ट हो गया की सिम्स प्रबंधन अपने बचाव के लिए तैयार बैठा।कोई भी कमी या खामियां को लेकर शासन के ऊपर कर्मचारियों की कमी निजी अस्पतालों जैसे व्यवस्था के उदाहरण देकर अपने आप बचाने में लग गए।

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