स्मार्ट सिटी के तर्ज पर शहर को स्मार्ट बनाने के लिए निगम द्वारा तोड़े जा रहे मकान,निर्माण कम तोड़फोड़ में ज्यादा ध्यान दे रहा निगम, शहरवासियों को हटाकर कैसे बनेंगे स्मार्ट

देश में शहरों को व्यवस्थित और स्वच्छ बनाने के लिए 100 शहरों का चयन किया गया था जिसकी दूसरी सूची में छत्तीसगढ़ की न्याय दाने बिलासपुर को भी चयनित कर स्मार्ट सिटी बनाने का निर्णय लिया गया था। जिसकी जिम्मेदारी नगर निगम बिलासपुर को दी गई थी।

बिलासपुर द्वारा पिछले लंबे समय से चल रहे सीवरेज कार्य को अब तक उसी तरह ढोल मोल तरीके से खींचा जा रहा है।इसके साथ ही अब नगर निगम ने सड़कों को स्मार्ट बनाने के नाम पर दशकों से बसे लोगों के आशियाने को उजाड़ने का काम करना चालू कर दिया है।बिलासपुर के हृदय स्थल माने जाने वाले नेहरू नगर से लेकर नेहरू चौक तक जाने वाले मिट्टी तेल गली को स्मार्ट सिटी के स्मार्ट सड़क का रूप देने के लिए बीच में आ रहे मकानों को तोड़ा जा रहा है।इसी तारतम्य में आज रास्ते पर आने वाले करीब दर्जनभर मकानों को नेस्तनाबूद किया गया।

लेकिन इस दौरान नगर निगम के कर्मचारियों को स्थानीयओं का जमकर विरोध झेलना पड़ा स्थानीयओं का आरोप है कि नगर निगम ने मकान तोड़ने से पहले जो मैपिंग थी उससे अधिक जमीन अधिग्रहण किया जा रहा है और उसके बदले रहवासियों को शहर से दूर फेंका जा रहा है। कांग्रेस सरकार बनने के बाद जिस तरह बिलासपुर नगर निगम में तोड़फोड़ का दौर शुरू हुआ है और जिस तरह लोगों का विरोध नगर निगम को झेलना पड़ा है सवाल उठना लाजमी है कि गरीबों के आशियाने को तोड़ने वाली नगर निगम जो कि अपने कर्मचारियों को सैलरी तक ठीक से नहीं दे पा रही है।उसके अधिकारी और जनप्रतिनिधि गरीब के दर्द को कैसे समझेंगे।

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