स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के प्रतिमा स्थापना के आधार स्तंभ में भ्रष्टाचार…… निविदा खुलने के पहले ही निर्माण कार्य हुआ शुरू……निगम की निविदा प्रणाली को लेकर सवालिया निशान….मिलीभगत का लगा आरोप…..ठेकेदारों ने लगाए कई गंभीर आरोप…..

बिलासपुर–सुर्खियों में रहना वाला बिलासपुर नगर निगम एक बार फिर अपनी कार्यप्रणाली को लेकर सुर्खियां बटोर रहा है।जहां पर अपने पसंदीदा ठेकेदार को नियमों को ताक पर रखकर कार्य आवंटित करते हुए निजी लाभ और पद का दुरुपयोग जमकर भ्रष्टाचार करने जैसा गंभीर आरोप स्थानीय निगम ठेकेदार लगा रहे है।एक ऐसे महान व्यक्तिव के धनी जो अपना जीवन समाज को नई दिशा देने के लिए अपनी कलम के साथ साथ देश की स्वतंत्रता में भाग लेने वाले की जिस ऊंचाई में उनकी महानता और उनके कार्यों को समाज देख रहा है उनकी प्रतिमा स्थापना के काम में जो नींव रखी जा रही है जो उस महान व्यक्तिव को ऊपर उठाने वाले आधार स्तंभ उनकी ईट ही निगम के भ्रष्टाचार और निजी स्वार्थ की भेंट चढ़ गई।आपको बताते चले कि भले ही प्रदेश से लेकर निगम तक की सत्ता परिवर्तन हो चुकी।लेकिन अब भी निगम में पूर्ववर्ती सरकार के समय चले आ रही भर्राशाही आज भी कायम है।इसका जीता जागता उदाहरण निगम के द्वारा जारी किए गए सौंदर्यकरण और प्रतिमा स्थापना के कार्य की निविदा के पहले ही कार्यादेश जारी करते हुए काम चालू करा दिया गया। नियमों को दरकिनार करने वाला मामला अब गहराने लगा है।जिसको लेकर अब निगम के ठेकेदार जो इस निविदा में भाग लिए थे।वे अब निगम के अधिकारियों की कार्यगुजरियों को लेकर लामबंद होकर विरोध के स्वर अलाप रहे है।इस पूरे कार्यादेश और निविदा प्रणाली से निगम की कार्य पद्धति सवालों के घेरे में आ गई।

जमीनी हकीकत और कागजी दिखावा…..

बताया जा रहा कि निगम के द्वारा केंद्रीय जेल बिलासपुर के सामने निगम के द्वारा समाचार पत्रों और निगम की वेबसाइट में 8 अक्टूबर को इस कार्य का निविदा प्रकाशित की गई थी।इस निविदा के प्रकाशन के बाद कई निगम के ठेकेदार इसमें भाग लिए। निविदा में भाग लेने से लेकर खुलने की अवधि पर गौर किया जाए तो पूरे एक माह में कार्यकाल में निविदा के खुलने की तारीख के पूर्व ही निगम के अधिकारियों के द्वारा अपने मन पसंद ठेकेदार को कार्य आवंटित करके काम चालू करवा दिया गया।जबकि इस कार्य को लेकर जारी निविदा की तारीख तीस अक्टूबर रखी गई थी।अब देख सकते है कि निविदा के प्रकाशन से लेकर उसके खुलने तक की अवधि में उस स्थान में काफी काम कर दिया गया।सौंदर्यकरण और प्रतिमा माखन लाल चतुर्वेदी निगम के द्वारा भरती गई इस घोर लापरवाही से निगम के ठेकदारों में काफी आक्रोश भी देखने को मिल रहा है।वही इनकी जमीनी हकीकत और कागजी कार्रवाई से किसी एक ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए कैसे कैसे हथकंडे अपनाए जा रहे है।

अब सवाल यह उठता है कि आखिर निगम के किस अधिकारी के कहने पर यह कार्य चालू करवाया गया।या निविदा महज एक दिखावे के रूप में समाचार पत्र में प्रकाशित कर अपनी गलतियों को छुपाने का प्रयास था।ऐसे बहुत से सवाल उठाए जा रहे है जो निगम की छवि को धूमिल कर रही है।

बहरहाल अब देखना यह होगा कि क्या निगम के उच्च अधिकारी इस मामले को संज्ञान में लेकर की गई लापरवाही को लेकर संबंधित कर्मचारी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करते है या फिर निगम की निविदा में भाग लेने वाले ठेकेदारो को निविदा की वैधानिक प्रक्रिया के साथ उनको कार्यादेश जारी किया जायेगा।यह फिर मान मनव्वल करके ठेकेदारों को शांत कर अपनी गलतियों को छुपाया जाएगा।

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