दन्तेश्वरी एवं मावली माई की अंतिम विदाई रस्म पूरी भव्यता के साथ संपन्न

अत्यन्त महत्वपूर्ण और पवित्र माने जाने वाले दन्तेश्वरी मांई और मावली मांई की विदाई पूजा विधान के अंतिम रस्म को भी पूरी भव्यता के साथ सम्मानपूर्वक ढंग से आयोजित किया जाता है। इस पवित्र रस्म में जिस तरह मावली परघाव के दिन मांई जी की छत्र और डोली की पूरी भव्यता के साथ स्वागत किया जाता है, उसी सम्मान और आदर के साथ भव्य रूप देकर एक शोभायात्रा के रूप में विदाई की जाती है।

लगभग एक सप्ताह तक जगदलपुर में रहने के पश्चात् दन्तेवाड़ा के लिए सम्मान पूर्वक विदाई दी जाती है। परम्परा के अनुसार जिस भव्यता के साथ मावली परघाव को मांई जी की स्वागत की जाती है उसी भव्यता के साथ ही विदाई भी दी जाती है। दशहरा के समापन की यह रस्म पूरी भव्यता के साथ सम्पन्न होती है। विशाल मंच को फूलों से सजाकर छत्र और डोली को मंच प्रदान किया जाता है। दन्तेवाड़ा तथा जगदलपुर के दन्तेश्वरी मंदिर के प्रमुख पुजारी, राजपरिवार, राजपुरोहित, राजगुरू, जनप्रतिनिधि, प्रशानिक अधिकारी, दशहरा समिति के पदाधिकारी, समाज प्रमुख सहित अन्य बड़ी संख्या में लोग उपस्थित होते हैं। मांई जी के सम्मान में पुलिस बैंड के घ्वनि के बीच सशस्त्र बल के द्वारा सलामी दी जाती है।

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