लॉकड़ाऊंन में गरीब कर रहा गरीबों की मदद,पढ़िए पूरी खबर

हफीज़ खान की रिपोर्ट


दुनिया में कितना ग़म है, मेरा ग़म कितना कम हैं, लोगो का ग़म देखा तो मैं अपना ग़म भूल गया। कुछ इसी तरह लॉकडाउन में राजू रिक्शा वाला स्वयं तंगहाली में जिंदगी गुजार रहा लेकिन उसने अपने गम को भुलाकर दूसरों की मदद का सिलसिला शुरू किया है।



राजनांदगांव शहर के बसंतपुर निवासी राजू रिक्शा वाला लॉक डाऊन के दौरान खुद गरीबी का दंश को झेल रहा है। वह किराये के मकान में रहता है। और लॉक डाउन में जब उसका रिक्शा चलना बंद हो गया और घर पर खाने के लिए सब्जियां नहीं थी तब तो राजू रिक्शा वाले ने सब्जी मंडी में ही 200 दिहाड़ी में मजदूरी करने लगा। सब्जी बेचने के दौरान खराब होने के कागार पर पहुंचने वाली सब्जी को अन्य दुकानदारों के द्वारा गाय को खिलाने के लिए निकाला जाता है। जिसे देख राजू रिक्शावाला सभी सब्जियों को बटोर कर अपने घर ले आता है और अच्छी सब्जियों को छांटकर वह जरूरतमंदो को बांट देता है।

वह तंगहाली में खुद फटे हुए कपडे़ पहनता है लेकिन उससे दूसरों की तकलीफ देखी नहीं जाती। राजू रिक्शावाले का कहना है कि लॉकडाउन में वह खुद सब्जियों के लिए तरसा है जिसे महसूस कर अपने जैसे लोगों की मदद करने सब्जियां लोगों में बांट रहा है।



राजू रिक्शावाला इन सब्जियों को अपने मोहल्ले के अलावा आसपास क्षेत्र में भी वितरित करता है। राजू के वार्ड के लोग उसके इस काम की सराहना भी कर रहे हैं। लोगों के घरों में जाकर काम करने वाली वार्ड की एक महिला का कहना है कि अभी लॉकडाउन में उन्हें काम से बैठा दिया गया है, राजू सब्जी दे रहा है तो घर पर सब्जी बन रही है, नहीं तो पता भी नहीं कि सब्जी बन पाती या नहीं।


राजू सब्जी दुकान के काम से आने के बाद अपने रिक्शे में सब्जियां लेकर आता है और फिर एक ठेले पर इन सब्जियों को लेकर वह बांटने निकल जाता है।राजू यादव वार्ड में रोजाना घूम-घूम कर जरूरतमंदों को सब्जी वितरण कर रहा है।

राजू रिक्शा वाले के इस काम ने यह साबित कर दिया कि लोगों की मदद करने के लिए आर्थिक संपन्न होने की जरूरत नहीं बल्कि मजबूत इरादों की जरूरत होती है और तंगहाली में भी एक दूसरे का सहारा बना जा सकता है।

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