आयुर्वेद का खजाना है धमतरी का बुटिगढ़

धमतरी जिले के मगरलोड इलाके में कुदरत ने बियाबान जंगलों के बीच मौजूद बुटीगढ़ के नाम से मशहूर दुनिया के एक ऐसा दवाखाने है जहां इंसान की हर बिमारी का इलाज होता है,जहाँ आयुर्वेद का खजाना है।इसके चप्पे-चप्पे पर पायी जाने वाली जड़ी बुटियों में वो असर है कि घातक और लाइलाज माने जाने वाले मरीज भी ठीक हो जाते हैं।अतीत भी इस बात को बयां करती है,की कभी इस दवाखाने में कांकेर राज्य के घायल सैनिकों का इलाज होता था,वैसे माना जाता है कि वन देवी के वास के चलते भगवान धन्वंतरी ने इस खास जगह में अपनी कृपा बरसायी है जो देष के वैद्यराजों को अपनी ओर खीचता है।

बता दे कि जिले से 50 किमी दूर मगरलोड इलाके के जंगलों में बुटीगढ़ के नाम से मसहूर ये वही जगह है,जहां वो दुर्लभ जड़ी बुटियां पायी जाती हैं।जिसमें हर मर्ज का इलाज मुमकीन है,चाहे वो कितना भी घातक क्यों न हो और तो और इस बियाबान जंगलों की फिजाओं में भी इसका इतना असर आ गया है,कि आने वाले मरीज इस खास जगह में आते ही बिना इलाज के अपने को काफी दुरूस्त महसूस करते हैं।यहां के पानी में वो करिश्मा है,जिसे पीने के बाद त्वचा की बिमारी मानो छुमंतर हो जाती है।अतीत बयां करते हैं की सालों पहले कांकेर के राजा जंग में अपने जख्मी सैनिकों को इलाज के लिए मिलों दूर इस बुटीगढ़ में भेजते थे,जो साल छः माह इलाज कराने के बाद सेहदमंद होकर सुबह को लौट जाते थे।वहां के लोग ये दावे से कहते है कि ये खास जगह किसी चमत्कार से कम नहीं है जहां घातक बिमारियां भी ठीक हो जाती हैं।
अगर इसकी और खासियतों को बयां करें तो करीब 20 मील दूर-दूर तक इंसानी आबादी न होने और जंगली जानवरों वाले इस जगह में देश के कई बैद्यराज यहां दवाओं की खोज में अक्सर आते रहते हैं जिन्हें तलाश होती हैं,उन जड़ी बुटियों की जो दिगर जगहों में शायद नहीं मिलते,लोगों के आने-जाने से कुछ साल पहले यहां मंदिर का निर्माण भी हुआ है।

लोगों के मन में ये मान्यता भी दिगर कर गयी है…कि वन देवी के आदेश पर धन्वंतरी भगवान इस इलाके में अपनी कृपा बरसा रहे हैं…साथ ही ये भी शोध का विषय है,कि चुंकि ये भगवान श्रीराम के वन मार्ग गमन का क्षेत्र है और ननिहाल भी,ऐसे में इस दुर्लभ बुटीगढ़ को संरक्षित और सुरक्षित रखने हेतु खास ध्यान देने की आवश्यकता है।माना जाता है कि यहा पैदा हुए अन्न को जो अपने यहा पोटली मे बांध के रखता है उसके यहा कभी अन्न की कमी नही होती,वही मान्यता है कि पूर्व मे एक ऐसी बटलोही यहा थी जो आने वाले राहगीरो को ताजा खाना देती थी।

कुदरत के इस अदभुत करिश्में और जड़ी बुटियों से भरा ये अनोखा खजाना देश के पुराने चिकित्सा पद्धति को आज भी जीवीत रखा है जो पुरातन जमाने की बेजोड़ कला है और आज भी यहां देखने को मिलता है।

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