इंसाफ की भटकती महिला कर्मचारी को मिला इंसाफ, पहले लगाई थाने के चक्कर फिर विभागीय जांच और अब जाकर हुई गिरफ्तारी
हमारे देश में सत्यमेव जयते सिर्फ एक वाक्य नहीं बल्कि चरित्र है।इंसाफ भले ही देर से मिले पर अपराधी को उसकी गुनाहों की सजा एक न एक दिन जरूर मिल जाती है, और इंसाफ के हकदार को उसका इंसाफ ऐसा ही एक मामला बिलासपुर में देखने को मिल रहा है, जहां 2016 से छेड़खानी का शिकार हो रही महिला कर्मचारी को न्याय मिलने की उम्मीद जाग गई है।दरअसल दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में पदस्थ चीफ कमर्शियल इस्पेक्टर को छेड़छाड़ के आरोप में बिलासपुर की तोरवा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इंस्पेक्टर का नाम विजय कुमार कोरी है जो कि वर्तमान में चाम्पा रेलवे में पदस्थ है 52 वर्षीय इस्पेक्टर अपने ही कार्यालय में काम करने वाली महिला से लगातार अश्लील बात कर छेड़छाड़ किया करता था जिसे जूनियर महिला कर्मचारी हमेशा नजरअंदाज कर देती थी लेकिन जब पानी नाक के ऊपर से गुजरने लगा तो महिला कर्मचारी ने जून 2019 में तोरवा थाने में शिकायत की थी पुलिस से किसी भी प्रकार की सहायता नहीं मिलने के बाद उसने अपने विभाग में शिकायत की नवंबर में शिकायत के बाद विभागीय जांच में आरोपी विजय कुमार कोरी को जनवरी 2020 में सही पाया गया जिसके बाद उस महिला ने विभागीय कार्रवाई पर पुनः तोरवा पुलिस को शिकायत की जिसके बाद विभागीय जांच पर पुलिस ने आरोपों को सही पाते हुए आरोपी इंस्पेक्टर को बिलासपुर के जोन कार्यालय से गिरफ्तार कर लिया है,लेकिन इन सबके बीच सोचने वाली बात यह है कि जब 2019 जून माह में महिला छेड़छाड़ से तंग आकर तोरवा थाना पहुंची थी तो उसे पुलिस के द्वारा किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिली थी और ना ही मामले की गंभीरता को पुलिस अधिकारियों ने समझा था, जिसकी वजह से उसे अपने विभाग की शरण लेनी पड़ी थी यहां यह भी कहना गलत नहीं होगा कि अगर विभाग से उसे किसी भी प्रकार की सहायता नहीं मिलती तो शायद आज पुलिस भी कार्रवाई करने में तत्परता नहीं दिखाती और एक महिला को शर्मिंदगी का सामना लगातार करना पड़ता बाहर हाल तोरवा पुलिस ने आरोपी को हिरासत में ले लिया है और आरोपी के खिलाफ 354 के तहत कर्रवाई की जा रही है।जबकि छत्तीसगढ़ डीजीपी का स्पस्ट फरमान है कि महिलाओ के प्रति होने वाले अपराधों में तत्काल ठोस कार्यवाही कर पीड़िता को इंसाफ दिलाया जाए । लेकिन उसके बाद भी पुलिस की उदासीनता और असवेदनशील रैवये के चलते महिला को 4 साल इंसाफ के लिए भटकना पड़ा । अब बडा सवाल है कि क्या डीजीपी के आदेश की अवेहलना करने वाले तत्कालीन थाना प्रभारी के ऊपर कार्यवाही होगी या फिर आदेश को दरकिनार कर इसी प्रकार महिलाओं के साथ इस तरह की मानसिकता वाले भेड़िये इसी तरह खुलेमाम घुमते रहेंगे।