गुजर बसर के लिए आदिवासी बुजुर्ग का मुश्किल हुआ अपनी जमीन बेचना.. कलेक्टर से परमिशन के लिए महीने भर से चप्पल घिस रहा बुजुर्ग..
जीवन के अंतिम पड़ाव में अपने पुश्तैनी जमीन को बेचकर गुजर बसर करने की उम्मीद लिए एक बुजुर्ग पिछले 1 महीने से कलेक्ट्रेट के चक्कर काट रहा है.. लेकिन अब तक कलेक्टर साहब ने बुजुर्गों को एक बार भी मिलने के लिए समय नहीं दिया दरअसल बुजुर्ग आदिवासी समुदाय से आता है.. और नियम के तहत आदिवासियों को जमीन बेचने से पहले जिला कलेक्टर की अनुमति लेना आवश्यक होता है.. इसलिए कोटा निवासी मदन सिंह को हर दूसरे दिन दौड़ कर कलेक्टर साहब से मिलने की उम्मीद में जिला मुख्यालय आना पड़ता है.. लेकिन कलेक्टर साहब पिछले 1 महीने से इतने व्यस्त चल रहे हैं कि.. बुजुर्ग को समय देना ही मुनासिब नहीं समझते.. अपने उम्र के इस पड़ाव में काम करने में असमर्थ हो गया है.. जिसके बाद उसने अपनी पुश्तैनी जमीन को बेचने का निर्णय ले लिया और परमिशन के लिए राजस्व मंत्री से भी मिल चुका है.. मदन सिंह ने राजस्व मंत्री के सामने अपनी फरियाद सुनाई तो उन्हें कलेक्टर से परमिशन लेने के लिए कहा गया.. जिसके बाद से अब तक वह कलेक्ट्रेट के चक्कर ही काट रहा है..