नवरात्र पर मां से लें अष्ट शक्तियों व अष्ट अलंकारों की सौगात- ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी.. पूरे नौ दिन कर सकेंगे चैतन्य देवी के ऑनलाइन दर्शन
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के टिकरापारा शाखा द्वारा आज से प्रतिदिन सायं 7 बजे चैतन्य देवी की झांकी का आयोजन किया जा रहा है.. पूरे नौ दिन चैतन्य देवी के दर्शन होंगे ब्रह्माकुमारीज़ के यूट्यूब चैनल पर लिंक प्राप्त कर देवी मां के ऑनलाइन दर्शन किये जा सकेंगे.. सायंकालीन सत्संग के आज के सत्र में सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्र.कु. मंजू दीदी ने नवरात्रि के आध्यात्मिक रहस्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अभी कलियुग के समय में हर आत्मा के अंदर एक युद्ध चल रहा है.. किसी का धन के सशक्तिकरण को लेकर, किसी का संबंधों को लेकर, किसी का विकारों से संबंधित- ऐसे सबका युद्ध अपना-अपना है.. जब हम शस्त्रों से सुसज्जित होंगे, तब ही युद्ध कर पायेंगे और विजयी बनेंगे। तो आइए इस नवरात्रि पर कुछ नवीनता करते हुए मां से अष्ट शक्तियों व अष्ट अलंकारों रूपी शस्त्रों की सौगात लें और उसे जीवन में अमल कर नवरात्रि पर्व को सार्थक करें.. सौगात केवल लेना नहीं उसे अपनी दिनचर्या में शामिल भी करना है क्योंकि जैसे हमारे पास हथियार तो है लेकिन हमने उसे कहीं रख दिया है और दुश्मन आ गया तो विजयी नहीं बन पायेंगे..
दीदी ने बताया कि.. देवियों को आठ भुजाएं बतायी जाती हैं जो अष्ट शक्तियों की प्रतीक हैं। इन शक्तियों में सबसे पहली शक्ति सहनशक्ति है। रिश्तों में जितना सहन करेंगे उतने ही मजबूत बनेंगे। लोगों के संस्कारों को सहन करना है। सहन करते यह भी ध्यान रखना है कि हमारी शीतलता कहीं खो न जाए, नहीं तो कई बार ऐसा होता है कि हम सहन करते-करते बॉयल फ्रॉॅग की तरह हो जाते हैं और एक समय आता है कि हम ज्वालामुखी की तरह फट पड़ते हैं। हमें ध्यान रहे व्यक्तियों का सहन करना है और परिस्थितियों का सामना करना है। 2. दूसरी शक्ति है सामना करने की। यदि मन शक्तिशाली और सकारात्मक है तो बाह्य चुनौतियों व परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति आ जाती है। 3. परखने की शक्ति- कोई भी कार्य करने से पहले उसके फायदे व नुकसान को परखना जरूरी है और बुद्धि की एकाग्रता न होने व कमजोर विवेक के कारण परखने व निर्णय लेने में समय बहुत जाता है। 4. निर्णय करने की शक्ति- अपनी जिंदगी से जुड़े निर्णय आप स्वयं लें क्योंकि आपसे बेहतर आपको कोई और नहीं जान सकता है। 5. सहयोग शक्ति- घर में एक-दूसरे को सकारात्मक व शुभ भावनाओं के साथ सपोर्ट करें, आगे बढ़ने में मदद करें। जैसे एक-एक उंगली के सहयोग से गोवर्धन पहाड़ उठ गया था तो समस्या क्या बड़ी चीज है। 6. समाने की शक्ति- परिवार में एक-दूसरे की कमी-कमजोरियों को अपने अंदर समाने की आदत डालें फिर देखिए आपका घर स्वर्ग बन जाएगा। 7. विस्तार को संकीर्ण करने की शक्ति- व्यस्त होते हुए भी मन को सदा हल्के रखना, बिज़ी लाइफ होते भी स्वयं की इज़ी रखना। 8. समेटने की शक्ति- व्यर्थ विचारों से स्वयं को समेटकर अपने मन को पॉज़िटिव थॉट दें। इन सभी अष्ट शक्तियों को प्राप्त करने के लिए मां से वरदान लें और प्रतिदिन राजयोग मेडिटेशन और सत्संग जरूर करें..
अष्ट शक्तियां व अष्ट अलंकार एक-दूसरे के पूरक…
साथ ही दीदी ने मां के अष्ट अलंकारों का रहस्य भी बताया कि ज्ञान की तलवार, स्वयं के दर्शन का स्वदर्शन चक्र, अपने लक्ष्य को साधने के लिए तीरकमान, जीवन को न्यारा व प्यारा बनाने के लिए कमल फूल समान पवित्र जीवन, शारीरिक, मानसिक व आर्थिक तीन शूलों को नष्ट करने के लिए आध्यात्मिकता की शक्ति अर्थात् त्रिशुल, सदा सभी को प्यार, सम्मान, शुभभावना देने की भावना रूपी वरदानी हस्त, ज्ञान की गदा व ज्ञान का शंख- ये आठ अलंकार की सौगात सभी श्रद्धालुजन माता रानी से जरूर प्राप्त करें। ये सभी अष्ट अलंकार व अष्ट शक्तियां एक-दूसरे के पूरक हैं.. आज नवरात्रि के प्रथम दिन मां जगदम्बा के रूप में सेवाकेन्द्र की बहन ब्रह्माकुमारी श्यामा विराजित रहीं जो परमात्मा शिव से शक्ति ले पूरे विश्वभर की दुखी व अशांत आत्माओं को इमर्ज कर सकाश दे रही थीं अर्थात् सुख-शान्ति के प्रकम्पन्न फैला रही थीं..