Budget 2021: वॉलंटियरी व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिस को किया लॉन्च,वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आटो सेक्टर को लेकर किया बड़ा ऐलान।
नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में आटो सेक्टर को लेकर बड़ा ऐलान किया है। वित्त मंत्री ने वॉलंटियरी व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी लॉन्च करने का ऐलान किया है। इसके तहत 20 साल पुराने प्राइवेट व्हीकल्स और 15 साल पुरानी कमर्शियल व्हीकल्स सड़कों पर नहीं उतर सकेंगे। माना जा रहा है कि बजट का यह ऐलान ऑटो सेक्टर को बूस्ट देने वाला साबित होगा। फाइनेंस मिनिस्टर ने अपने बजट भाषम में कहा है कि यह स्ट्रैटिंग पॉलिसी वॉलंटियरी होगी, जो फेजवाअज चलाई जाएगी। आगे इसके बारे में पूरी डिटेल अभी दी जानी है।
आटो शेयरों में आई तेजी : वित्त मंत्री के इस ऐलान के बाद महिंद्रा एंड महिंद्रा में 3.5 फीसदी, अशोक लेलैंड में 3.5 फीसदी, टाटा मोटर्स और बजाज आटो में 2 फीसदी, आयश्सर मोटर्स में 1.5 फीसदी, हीरो मोटोकॉर्प में 1 फीसदी से ज्यादा और मारुति में 1 फीसदी तेजी है. निफ्टी पर आटो इंडेक्स में सभी शेयरों में तेजी है।
बढ़ेगी नई गाड़ियों की मांग : पुरानी गाड़ियों के लिए स्क्रैपिंग पॉलिसी आने से अब अनफिट गाड़ियां सड़कों पर नहीं उतर सकेंगी। इससे गिरावट का सामना कर रही देश की अर्थव्यवस्था को ताकत मिलेगी। असल में इस पॉलिसी से नई गाड़ियों की मांग बढ़ेगी। जिससे ऑटोमोबाइल सेक्टर को बूस्ट मिलेगा। ग्राहकों को नए वाहन 30 फीसदी तक सस्ते मिलेंगे। पुराने वाहनों से वायु प्रदूषण में 25 फीसदी की कमी आएगी. वहीं स्क्रैप सेंटरों पर बड़े पैमाने पर रोजगार भी उपलब्ध होंगे।
1 अप्रैल 2022 से लागू : सरकार ने 15 साल से पुरानी गाड़ियों के स्क्रैपिंग को मंजूरी देने के लिए मोटर व्हीकल एक्ट में जुलाई 2019 में संशोधन का प्रस्ताव रखा था। अब यह स्क्रैपेज पॉलिसी 1 अप्रैल 2022 से लागू होगी। सरकार के इस कदम का मकसद प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को सड़क से हटाना है इसके लिए भारत स्टेज -VI स्टैंडर्ड मानक के वाहन मालिकों को इन्सेंटिव भी उपबल्ध कराया जाएगा।
स्क्रैपिंग पॉलिसी पर करीब 5 साल से विचार चल रहा था। यह सरकार के राजस्व नुकसान की चिंताओं के कारण विभिन्न स्तरों पर अटक गई थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार वाणिज्यिक वाहन, जो कुल वाहन का लगभग 5 फीसदी हिस्सा हैं, कुल वाहनों के प्रदूषण का लगभग 65-70 फीसदी योगदान करते हैं। ये पुराने वाहन आधुनिक वाहनों की तुलना में 10-25 गुना अधिक प्रदूषण करते हैं।