बिलासपुर के सहकारिता विभाग के अधिकारी के खिलाफ पीएमओ में हुई शिकयत,भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आरोप से घिरे अधिकारी

बिलासपुर सहकारिता विभाग में सहकारी संस्था के जॉइंट रजिस्टार सुनील तिवारी के ऊपर गलत नियुक्ति का मामला तूल पकड़ने लगा है ।

तीन साल बीत जाने के बाद भी शिकायत पर किसी प्रकार की कार्यवही नही होने से सुनील तिवारी के रसूख़ का अंदाजा लगाया जा सकता है । राज्य शासन से पीएमओ कार्यालय तक शिकायतो के बाद भी जाँच का झुनझुना सिर्फ बजता ही दिख रहा है।

नियुक्ति के एवज में करोड़ों का खेल खेलने वाले इस शातिर अधिकारी के खिलाफ अब तक कार्यवाही नही होने से इसके हौसले बुलंद है  । बताया जा रहा है कि संभाग में ऐसे 450 से लोगों की नियुक्ति के बदले प्रत्येक लाभार्थी से 2-2 लाख रुपये लिए गए ।

इस तरह यह मामला लगभग 9 करोड़ का बताया जा रहा है । इस बात की शिकायत सहकारिता सेक्रेटरी से 30 सरपंचों और जनप्रतिनिधियों ने मिलकर की है । मामले में जांच की जा रही है । 2018 के अक्टूबर बिलासपुर में पोस्टिंग होने के बाद से ये अपना खेल खेलना शुरू कर दिए और पैसे के लेन देन कर अपने पावर का गलत इस्तेमाल कर अलग अलग जगह में पोस्टिंग करने के नाम पर भ्रष्टाचार जमकर करने लगे।। इनके खिलाफ हुई शिकायत के बाद इस मामले में जांच कमेटी बिठा दी गई है । इस बात की शिकायत पर लंबा समय बीतने के बाद भी अबतक कोई कार्रवाई नहीं की गई है ।

संवंधित अधिकारी के ऊपर सहकारी समितियों में नियुक्ति के बाद अनुमोदन करने में प्रक्रिया को विधिवत पालन नहीं करने का के गंभीर आरोप लगे है। सरकार को करोडो रु का चूना लगाने वाली  समितियों में धान शोर्टेज में दोषी पाए गए कर्मचारियों से पैसे लेकर उनके मामले को दबाने का आरोप भी लगाया गया है। सम्वन्धित अधिकारी के ऊपर अपने काम में लापरवाही,काम के बदले सरेआम पैसा लेने,मनमाना व्यवहार जैसे संगीन आरोप लगे हैं ।

वही एडिश्नल कलेक्टर के पास पीएमओ से आये जांच पत्र को भी रायपुर भेज कर मामले को दबाने का प्रयास जारी है । दरअसल सहकारिता विभाग के अधीन कई बैंक है और इन्ही बैंको के अधीन 200 से ज्यादा समितियां और बैंक ब्रांच चलते हैं धानखरीदी चावल आबंटन सहित कई कार्य इन समितियो के द्वारा किया जाता है। और इनके द्वारा ही प्रबन्धक, कप्यूटर आपरेटर और सेल्समेन की नियुक्ति की पुष्टि की जाती है ।जेआर ने पहले तो इनकी नौकरी में प्रश्नचिन्ह खड़ा कर नोटिस भेजा और फिर पैसो के लेनदेन कर इनकी बहाली कर दी ।

अब देखना होगा कि प्रदेश में पहली बार 30 से ज्यादा सरपंच और जनप्रतिनिधियों द्वारा ज्वाइंट रजिस्टार के खिलाफ की गई गड़बड़ी की शिकायत और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग पर शासन कब कार्यवाही करता है । या फिर जांच के नाम पर अधिकारी को बचाने ये खेल यू ही चलता रहेगा। लेकिन इतना तो साफ है कि दाल में जरूर कुछ न कुछ  काला जरूर  है ।

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