सावधान बिलासपुर कोरोना की खतरे के निशान से ऊपर पहुंच रहा है.. आखिर हो क्या रहा है यहां.. पॉजिटिव के संपर्क में आएं लोग घूम रहे हैं..?

एक समय कोरोना मुक्ति के कगार पर पहुंच चुका छत्तीसगढ़ आखिर कोरोना की चपेट में आ गया है.. राजधानी समेत राज्य के कई जिलों में लागातार कोरोना पॉजिटिव मरीजों के मिलने का सिर्फ सिलसिला शुरू नहीं हुआ है बल्कि कोरोना संक्रमितों की बाढ़ आ गई है.. नियमों की अवेलहना और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाने की वजह से कोरोना ने छत्तीसगढ़ की न्यायधानी समेत बड़े जिलों को अपने चपेट में लेने में सफलता हासिल की है.. बिलासपुर में 7 अगस्त से लॉकडाउन खुलने के दूसरे दिन से ही मरीजों के मिलने का सिलसिले में तेज़ी आई है.. अब मिल रहे मरीजों की कही कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है.. इसका मतलब अब कोरोना पब्लिक स्प्रेड की ओर बढ़ चला है.. बावजूद इसके शहर में कोरोना को लेकर न ही तो चिंता नज़र आ रही है और न ही किसी में डर दिखाई दे रहा है.. लॉकडाउन में भी जमकर आदेश की धज्जियां उड़ाई गई.. 23 जुलाई से 7 अगस्त के बीच लगाएं गए लॉकडाउन को मज़ाक समझा गया कहना गलत न होगा.. शहर के बड़े दुकानदार मज़े से पुलिस और जिला प्रशासन के संरक्षण में जेब भरकर कोरोना बांटते रहे.. वहीँ छोटे ठेले खोमचे वालो पर प्रशासनिक डंडा जोर से चलता हुआ दिखा.. लॉक डाउन का मखौल बनाने के बाद जब कोरोना पॉजिटिव मरीजों के मिलने का सिलसिला जारी रहा तब भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा न तो टेस्टिंग में तेज़ी लाई गई और न ही पॉजिटिव मरीज के परिवार वालों की जांच की गई..
तो क्या कंटेटमेंट ज़ोन बनना हुआ बन्द..
23 जुलाई से 7 अगस्त तक चले लॉकडाउन के बाद कोरोना पॉजिटिव मरीजों के मिलने का सिलसिला बढ़ता रहा.. लॉकडाउन की अवहेलना करने वाले व्यापारियों को नियमों की धज्जियां उड़ाते सरे आम देखा गया.. शायद इसी वजह से यह कहां जा सकता है कि.. लॉकडाउन फेलियर रहा.. लगातार मरीज मिलने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने न ही टेस्टिंग का रेट बढ़ाया और न ही जिला प्रशासन नियमों का पालन करवा पाया.. और नतीजतन लगातार मरीजों के मिलने का सिलसिले जारी रहा..शहर के बीच लगने वाले सदर बाजार, गोल बाजार, शनिचरी बाजार और खोवा मंडी के आसपास खासकर गोंड़पारा और जूनी लाइन में मरीज मिलते रहे बावजूद इसके न तो जिला प्रशासन द्वारा कंटेटमेंट ज़ोन में सुरक्षा बरती गई और न ही स्वास्थ्य विभाग का अमला इन इलाकों में सक्रिय रहा.. यहां तो अब हालात और भी बदतर हो चले हैं लगातार मरीजों के मिलने के बावजूद बाजारों को खुला रखा गया है.. मरीजों के मिलने के बाद न तो वहां कंटेटमेंट ज़ोन बनाएं जा रहे है और न ही मरीज के घर के सामने स्वास्थ्य विभाग द्वारा चस्पा किया गया है..
संपर्क में आएं लोगों का टेस्ट तक नहीं..
शहर में महामारी का प्रभाव रोज़ दुगने स्तर से बढ़ रहा है.. कोरोना वारियर्स के नाम पर खूद की पीठ थपथपाने वाले स्वास्थ्य विभाग की हवा निकल गई है.. स्वास्थ्य विभाग द्वारा पॉजिटिव आएं मरीज को घर से तो लेकर चल दिया जाता है पर मरीज के संपर्क में आएं लोगों की टेस्टिंग के नाम पर खानापूर्ति की जाती है.. इसके अलावा होम क्वारेन्टाईन करवाने की जब बात आती है तब भी स्वास्थ्य अमला लाचार नज़र आता है.. पिछले कुछ दिनों में जो कोरोना पॉजिटिव मरीज निकलकर सामने आएं है उनके घर पर चस्पा तक नहीं किया गया है और न हो मरीजों के घर को कंटेटमेंट ज़ोन बनाकर उसे सील किया गया है..
नियमों की किस तरह धज्जियां उड़ाई जा रही है उसका इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि.. पूर्व के दिनों में आयोजित सामान्य सभा की बैठक के बाद सभापति और उनके बाद महापौर की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी लेकिन उनके संपर्क में आएं लोग लगातार घूमते रहे साथ ही वहां उपस्थित पत्रकारों के टेस्ट तक नहीं कराएं गए है.. जिला स्वास्थ्य अधिकारी पर उसी के कर्मचारी भारी पड़ते दिखते है.. जिला स्वास्थ्य विभाग का टीम भी स्वाधीनता दिवस के मौके पर महापौर के सीधे संपर्क में आया था बावजूद इसके उन्हें भी नियमतः होम क्वारेन्टाईन होना चाहिए था बावजूद इसके उनके लिए सारे नियम शिथिल कर दिए गए..

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