मरवाही विधानसभा की राजनीतिक दृष्टि से उसकी एक अलग पहचान और उसका अवलोकन

दिलीप अग्रवाल की कलम से
अजीत जोगी के निधन के बाद एक बार फिर मरवाही विधानसभा में उप चुनाव होना है । बिलासपुर से अलग होकर 10 फरवरी 2020 को अलग जिला बने गौरेला पेण्ड्रा मरवाही के मरवाही विधानसभा सीट राजनीतिक दृष्टिकोण से एक बेहद महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है और दिलचस्प सीट माना जाता है।
छत्तीसगढ़ की मरवाही विधानसभा सीट से 2013 में वर्तमान विधायक अमित जोगी ने कांग्रेस पार्टी की सीट से जीतकर विधानसभा पहुचे थे । 2018 में उन्होंने ये अपने पिता और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत होगी के लिए छोड़ दी थी। पिछले 20 सालों से ये सीट जोगी परिवार की परंपरागत मानी जाती थी। अजीत जोगी ने 2003 में उप चुनाव यहीं से जीतकर छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल किया था ।
मरवाही विधानसभा क्षेत्र मध्यप्रदेश की सीमा से लगा हुआ है। यह आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित सीट है । इस विधानसभा क्षेत्र की एक और खासियत है कि ये दलबदलू नेताओं के लिए भी जाना जाता है।मरवाही के हर विधायक ने एक न एक बार अपनी पार्टी जरूर बदली है या पार्टी छोड़कर चुनाव लड़े हैं ।

मरवाही को भौगालिक दृष्टिकोण से देखें तो ये इलाका घने जंगलों से घिरा हुआ है । यहां करीब डेढ़ लाख हेक्टयेर में जंगल फैला हुआ है ।भालुओं के लिए भी ये इलाका काफी मशहूर है और बीयर लैंड के नाम से भी मशहूर है । इस इलाके में दुर्लभ सफेद भालू भी मिलते हैं। सफेद भालू लगभग विलुप्ति के कगार पर है। जंगल में रहने वाले ग्रामीणों पर लगातार भालू के हमले की खबर आती रहती है । स्व अजीत जोगी ने मुख्यमंत्री रहते हुए इस समस्या से निपटने के लिए ऑपरेशन जामवंत प्रोजेक्ट चलाने की घोषणा भी की थी । जोगी की सरकार जाते ही ये योजना फाइलों में गुम हो गई । यही वजह है कि चुनाव में यहां दूसरे मुद्दों के साथ भालू भी एक बड़ा मुद्दा बन ही जाता है।

2018 का चुनाव-

2018 के विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी रिकार्ड मतों से जीत हासिल कर विधायकी कर रहे थे । आकाडों की बात करें तो स्व अजीत जोगी 74041 जनता कांग्रेस को मिले तो वहीं बीजेपी के उम्मीदवार अर्चना पोर्ते 27579 वोट प्राप्त हुये । 2018 के चुनाव में कांग्रेस के गुलाब सिंह राज 20040 वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे ।

2013 का चुनाव-

मरवाही विधानसभा सीट पर 2013 में 11 उम्मीदवार मैदान में थे। कांग्रेस से अमित जोगी ने पिता की विरासत को बचाने में ही नहीं बल्कि रिकॉर्ड मतों से जीतने में कामयाब रहे । अमित जोगी को 82 हजार 909 वोट मिले थे। जबकि बीजेपी उम्मीदवार समीरा पैकरा को 36 हजार 659 वोट मिले थे। बाकी उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा सके थे । वहीं इसके अलावा पिछले चुनाव की बात करें तो 2008 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अजीत जोगी को 67523 वोट मिले थे और बीजेपी के ध्यानसिंह पोर्ते को 25431 वोट मिले थे । 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अजीत जोगी को 76269 को वोट मिले थे और बीजेपी के नंद कुमार साय को 22119 को वोट मिले थे ।
मरवाही सीट की कहानी दिलचस्प है । ये दलबदलू विधायकों का क्षेत्र रहा है । इसकी शुरूआत बड़े आदिवासी नेता भंवर सिंह पोर्ते से ही हो जाती है, जिन्होंने 1972 ,1977 और 1980 के चुनाव जीत कर हैट्रिक लगाई थी ।1985 में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया और कांग्रेस के दीनदयाल विधायक बने । भंवर सिंह ने नाराज होकर कांग्रेस छोड़ दी और बीजेपी का दामन थाम लिया । 1990 में वे बीजेपी से विधायक बने । 1993 में फिर बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया और कांग्रेस के पहलवान सिंह मरावी इस सीट से विधायक बनने में कामयाब हुए ।

मरवाही विधानसभा की सीट जोगी का गढ बनने के पीछे विधानसभा में चुनाव में आने वाले चुनाव परिणाम है,जिसमें 2001 के बाद से ये विधानसभा जोगी की होकर रह गई है । 2003, 2008 में अजीत जोगी लगातार यहां से विधायक रहे । 2013 में अमित जोगी ने इस सीट को छोड़ दिया था । जिसके बाद 2018 में अमित जोगी ने अपने पिता स्व अजीत जोगी के लिए सीट छोड़ दी थी ।
राजनीतिक इतिहास बताता है कि यहां से भले ही दो बार बीजेपी के विधायक बने हैं, लेकिन इसकी तासीर कांग्रेसी ही है ।जोगी के गढ़ के रूप ख्यात मरवाही मूल रूप से कांग्रेस पार्टी को अबतक चुनता आ रहा है।

कुछ महत्वपूर्ण जानकारी—

मरवाही विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 24 से जुडी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी-

सीट – अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित….

* मरवाही में उप निर्वाचन के लिए 3 नवंबर को मतदान होगा ।
* इस दिन मतदाता सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान कर सकेंगे ।

* मरवाही में 1 लाख,90 हज़ार 907 मतदाता हैं ।
*मतदाताओं के सुगम मतदान के लिए 286 मतदान केंद्र बनाए गए हैं ।

*इनमें से 237 मूल मतदान केंद्र एवं 49 सहायक मतदान केंद्र बनाए गए हैं।
* इस निर्वाचन में कोरोना संक्रमण को देखते हुए कोरोना प्रभावित मतदाताओं के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं । उन्हें मतदान के अंतिम 1 घंटे में मतदान की सुविधा प्रदान की गई है ।
आपको जानकारी दें कि प्रदेश में 2018 में हुए चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनी और प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल बने । भूपेश बघेल ने 15 अगस्त 2019 में इस क्षेत्र की सबसे पूरानी जिला बनाने की मांग पूरी की ।

Related Articles

Back to top button