टीकाकरण को लेकर वेब पोर्टल के पत्रकारों के साथ हो रहा भेदभाव वेब पोर्टल संस्थाओं से जुड़े पत्रकारों के अधिकरों का हनन-नितिन लॉरेंस

रायपुर बड़े दुर्भाग्य की बात है कि प्रदेश में जब से कांग्रेस सरकार सत्ता में आई है तब से आए दिन पत्रकारों के साथ अभद्रता पूर्ण व्यवहार होना मानो आम बात हो गई है।

जिस तरह से प्रदेश में बैठकर वह प्रदेश की जनता और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को कठपुतली की तरह अपने हाथों में नचाते नजर आ रहे हैं यह किसी से छुपा नहीं है। जो मुख्यमंत्री की गद्दी में बैठने से पहले पत्रकारों की सुरक्षा के लिए बड़े बड़े बयानबाजी करने से पीछे नही हटते थे आज उनके ही राज में सबसे ज्यादा पत्रकारों के साथ ज्यादती हो रही है आये दिन किसी न किसी पत्रकार को मोहरा बना कर सलाखों के पीछे डाल दिया जाता है और हद तो अब तब हो गयी जब टीकाकरण के लिए भी भूपेश सरकार ने पत्रकारों का ही विभाजन कर दिया। जिस तरह प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार कोरोना संकट के बीच अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए सरकार को प्रदेश में होने वाली हर गतिविधियों से अवगत कराते हैं उसी प्रकार वेब मीडिया से जुड़े पत्रकार भी पल-पल की खबरों से प्रदेश सरकार और जनता को रूबरू कराते आ रहे हैं। प्रशासन से जुड़ी व जनता से जुड़ी तमाम खबरों में वेब मीडिया के पत्रकार भी अपनी सक्रिय भूमिका निभाते आ रहे हैं ऐसे में उनकी सुरक्षा के मद्देनजर टीकाकरण को लेकर जिस तरह वेब पोर्टल मीडिया के केवल संपादक और वेब पोर्टल के मालिकों को ही टीकाकरण मुहैया करवाने का जो नियम बनाया गया है वह सरासर वेब मीडिया के पत्रकारों के साथ नाइंसाफी है। महोदय को इस बात से अवगत कराना चाहेंगे कि वेब मीडिया के मालिक और संपादक द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए जमीनी स्तर पर उतर कर इनसे जुड़े पत्रकार दिन रात मेहनत करके सड़कों पर उतर कर प्रदेश में घटित तमाम मुद्दों से जुड़ी हकीकतों को अपने कैमरे में कैदकर अपनी संस्था को मुहैया कराते हैं। ऐसे में इनकी सुरक्षा बेहद ही जरूरी है अगर इस तरह उनकी सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जाएगा तो कोई भी पत्रकार किसी भी वेब मीडिया से जुड़कर अपनी सेवाएं नहीं दे पाएगा जो आज के समय में लोगों को रोजगार देने में सबसे ज्यादा सक्रिय है।

इसके अलावा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को इस महत्वपूर्ण बात से भी अवगत कराना चाहेंगे कि *आजकल पत्रकारिता से जुड़े विश्वविद्यालयों में वेब मीडिया की पढ़ाई को प्रमुखता से पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जा रहा है इसके साथ ही साथ मोबाइल जनरलिज्म की भी पढ़ाई छात्र छात्राओं को करवाई जा रही है विश्व के बदलते परिवेश में इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि इंटरनेट की इस दुनिया में आज सबसे ज्यादा सक्रिय वेब मीडिया है जो किसी भी खबर को तुरंत ही लोगों के समक्ष पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण जरिया बन चुका है।जब एक विश्वविद्यालय में वेब मीडिया को इतनी प्राथमिकता दी जा रही है तो फिर वेब मीडिया के साथ इस तरह का भेदभाव करना किसी भी तरह से स्वीकार्य नही है। लंबे समय से पत्रकारिता जगत में जुड़े पत्रकार बिना किसी के दबाव में आकर स्वतन्त्र कार्य करने की मंशा से स्वयं का वेब पोर्टल संचालित कर अपने कार्यों का ईमानदारी से निर्वहन कर रहे हैं ऐसे में इन पत्रकारों को इस दायरे में बांधना सरासर नाइंसाफी व इनके अधिकारों का हनन है।

अतः मीडिया पत्रकार मंच समस्त वेब मीडिया के साथियों से अनुरोध करता है कि वह भी अपने हक लिए आवाज बुलंद करें और अपने अधिकारों के हनन को रोकने के लिए आगे आये।

मीडिया पत्रकार मंच सरकार से इन मुख्य चीजों की मांग करती है वेब पोर्टल से जुड़े पत्रकारों के अधिमान्यता के नियमों में सुधार, साथ ही जनसंपर्क विभाग के वेबसाइट में वेब पोर्टल पत्रकार से जुड़े अधिमान्यता नियमों को संपूर्ण जानकारी व पारदर्शिता के साथ अपलोड करने की कृपा करें।

जनसंपर्क विभाग में बैठे एक अधिकारी पंकज गुप्ता द्वारा यह कहा गया कि वेब पोर्टलों को पत्रकार नियुक्त करने का अधिकार नहीं है अतः महोदय से इस बात का निवेदन करते है कि वेब पोर्टलों को क्या करने का अधिकार है इस बात की संपूर्ण जानकारी भी जनसंपर्क विभाग की वेबसाइट में अपलोड करने की कृपा करें।प्रदेश भर में संचालित ऐसे सभी वेब पोर्टल्स जो जनसम्पर्क के इंपैनल सूची में शामिल है उनके मालिक और सम्पादक के अलावा वहां कार्यरत पत्रकारों को भी कोरोना टीकाकरण के लिए प्राथमिकता दी जाय।

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